विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी।
और हम यहां बाबा के स्वास्थ्य लाभ होने के बाद घर को वापस लौट जाएं ।
इरादा -तो यही था !
मगर गंगा राम की महिमा अलग थी ।बेड चार्जेस महंगे और दवा भी महंगी थी ।जो दवाएं ₹2 की होती है वही दवा रे रिप्रेजेंटेटिव यों की वजह से रुपए 200 में बिकती है।
जितना ज्यादा रीफर करेंगे उतना ज्यादा फायदे का लालच देकर डॉक्टरों को खरीदा जाता है।
अस्पताल के चार्जेस इतने महंगे हो गए ।आदमी सोचता है -जितना बड़ा अस्पताल, उतनी अच्छी ट्रीटमेंट ।यही सब की मनोभावना होती है ।
यहां के बेड चार्ज सभी पैसे वालों के लिए होता है । यहां गरीबों के लिए तो सोचना भी मुश्किल है। और आज के डॉक्टर बिकाऊ ।अस्पताल चलाओ ।के जमाने में सब कुछ बस पैसे पर ही बिकता है।
खैर !?
गरीबों की बात दरकिनार करें -और हम अस्पताल और मेरे दोस्त के साथ हुई साजिश के बारे में जिक्र कर रहे हैं ।
जिस साजिश के तहत उनसे पैसे बहुत लूटा । तो मामला डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन के पास में था ।
हमें करावाना था ट्रांसप्लांट ।
असम के डॉक्टरों ने सिर्फ इसीलिए, इसी की सलाह दी थी।
मेन प्रॉब्लम था- पेट में पानी भर जाना! और पानी भरने का मुख्य कारण डॉक्टरों ने लीवर को ही करार दिया था ।और डॉक्टरों ने या तो हैदराबाद ।या फिर दिल्ली रेफर करना था। हाइदराबाद के लिए कुछ प्रॉब्लम खड़ी हो गई थी ।ऑयल इंडिया दिल्ली गंगाराम गोपाल के कहने पर गंगाराम में लीवर ट्रांसप्लांट के अच्छे स्पेशलिस्ट है ।कंपनी ने उसे दिल्ली गंगाराम में ट्रांसप्लांट के लिए भेजा था।
गोपाल को जिंदा देखने की आरजू लिए बच्चों ने- गोपाल के ही और जमाई के कहने पर दिल्ली गंगाराम रिफर करवा कर यहां लाए थे। यहां लाते लाते मामला पानी का इतना सीरियस रहा कि- लिवर ट्रांसप्लांट वाले डॉक्टर उपलब्ध न हो पाए !और मेडिसन से संपर्क करके अस्पताल में एडमिट किया गया।
मगर अब मामला अटक सा गया था। इनकम के चलते मेडिसिन वाले सर्जरी को रेफर करने के लिए तैयार न थे।
1 दिन का बेड चार्ज यहां 10,000 से लेकर 20000 तक होता था।
डॉक्टर सेंड अदर चार्जेस अलग होते थे।
फूडिंग अलग हॉस्पिटल हॉस्पिटैलिटी अलग डॉक्टर नर्स , मेडिसिन ,अलग सारे अलग-अलग चार्जेस थे। यह जो मैंने जिक्र किया था यह तो सिर्फ बेड चार्ज था।
अब जब मेडिसिन से सर्जिकल के पास पेश करना चाहते थे ।
तब तक दो लाख से ज्यादा का अमाउंट अस्पताल ने खींच लिया था ।
मेडिसिन और सर्जिकल के बीच के खींचातानी की नाटकियता ने पेशेंट और इसके परिवार से 200000 अमाउंट वसूली कर चुके थे। कहीं जाकर मेडिसिन वालों से डिस्चार्ज लेकर सर्जिकल वाले कप के पास ले जाने की नाटकीय ड्रामा दरपेश हुआ था।
अस्पताल के इस ड्रामे में मरीज पीस रहा था। दवाइयां एक वक्त में 30 प्रकार की गोलियां- वाईटामिन और इंसुलिन दिन में तीन बार।
मेरी समझ से बाहर की बात थी ।
एक मरीज को दिन में तीन- तीन बार इंसुलिन का डाज देने का क्या अर्थ था !?
अब मरीज को करीब पेट से 18 लीटर पानी छेद करके निकालने के बाद ,उसे ऑपरेशन की तैयारी के लिए कहा गया था ।ऑपरेशन जरूरी था।
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