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कसाईबाड़ा 29

10 दिसम्बर 2022

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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि नहीं दिया।
गोपाल मुझसे कहता-  भाई! पैर दबादो।
 इतनी पैरों को तो मैंने अपने पिता की भी नहीं दवाई होगी।
 मगर मैं यह आश से करता रहा। कि शायद पैर दबाने से उसके दर्द में कुछ आराम होता। उसके पैर में उंगलियां धस्ती जाती, सुझा हुआ पाव बिल्कुल काली पढ़ती हुई चमड़ी ,और चमड़ी के लेयर मे भी आता हुआ पतलापन।

गोपाल ने विवेक से बोला- मुझे घर ले चलो!
 विवेक -मगर ,बाबा कैसे? आप तो बैठ भी नहीं पा रहे हैं ।अगर बैठ भी पातें, फिर यह लोग आपको बैठने के लायक भी बना दे ,तो चलेंगे ।
गोपाल ने मुझे पता करने को कहा व्हीलचेयर के बारे में ।
पता करने पर व्हीलचेयर 8000 से लेकर 50000 तक का मिल जाता है ।शायद गोपाल ने यह आईडिया लगाया हो व्हीलचेयर में चला जाऊंगा। उसने अपने आप में हिम्मत को बटोरा था। मगर उसकी हिम्मत के मुताबिक अभी बैठ नहीं पा रहा था।

खाना नली से अंदर जा रहा था।
हाथों की नसें गायब सी होने लगी थी ।डॉक्टर ने गले की नशे से ब्लड और गुलकोज को अंदर कर रहा था। सांसे ऑक्सीजन के सहारे चल रहा था।
डॉक्टर कहता- हम ऑक्सीजन तो सिर्फ इसलिए दे रहे हैं। कि आपके अंदर की एम्यूनिटी फीलिंग को मजबूत करें ।आपको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है।
क्या सच में ही ऐसा था?
डॉक्टर अब सिर्फ मरीज और मरीज के रिश्तेदारों को बरगलाने की कोशिश कर रहे थे। अब उन्हें किसी चीज पर ,बाहरी चीज पर उनके ठीक ना होने का इल्जामात थोपना था।

डॉक्टर साहब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की फिराक में थे ।
ऐसा तब होता है। जब डॉक्टर जब यह समझ लेता है। कि अब इस मरीज को अब भगवान भरोसे के लिए छोड़ना है।
 सबसे बड़ा डॉक्टर ऊपर बैठा है। सबसे बड़ा सर्जन ऊपर बैठा है। उससे बड़ा कोई नहीं। जो डॉक्टर खुद को भगवान समझने लगते हैं। वह अपना पल्ला झाड़ते हुए  यह कहते हैं। कि  अब सब कुछ भगवान भरोसे है। सब कुछ भगवान भरोसे। सब कुछ भगवान के ऊपर छोड़ देते हैं।
                                                  **
मैं उस वक्त दिल्ली के पहले सिरे पर था।
सोनू ने फोन किया मुझे -काका !आप कहां हो?
सानू का मुझ पर फोन जाना। और मेरी लोकेशन पता करना, ही मेरे दिल को दहलाने के लिए काफी था।
मैंने महसूस किया- सानू के वाक्य स्थिर थे। थोड़ी घबराहट मेरी कम सी हुई। मैं बोला- बोलो बाबा?
सानू बोली- आप कितने देर में यहां पहुंच जाएंगे!?
मैं बोला -एक- सवा घंटे में।
शानू  स्थिर स्वर में बोली-ठीक है काका !आप आ जाइए! सानू से बात होते ही मैं बस स्टैंड पर पहुंच चुका था। मैं बस में सवार हुआ ।सानू का फोन फिर आया- काका आप कहां पहुंचे?

मैं समझ चुका था- कुछ इमरजेंसी है! मैं बोला। अभी मैं चल चुका हूं बाबा!
सानू फिर बोली- ठीक है काका! आप आराम से आइए ,घबराइए नहीं। ठीक है!
मैं आराम से बस के सीट पर पसर गया था। आंखें मुदली। गोपाल का चेहरा मेरी आंखों के आगे घूमने लगा। कल ही तो मैं गोपाल से मिला था। उसी के पास था, तीन-चार घंटे।

गोपाल बोला था- सेना !मुझे यहां से ले चलो!
कहां ?कहां जाओगे!?
यह लोग मुझे जान से मार डालेंगे- मुझे जीने नहीं देंगे! मैं जीना चाहता हूं ?उसकी आवाज में थरथराहट सी थी! कंपन थी! डर था। मैं अपने बच्चों के लिए जीना चाहता हूं।
क्या..!?
हां !यह लोग मुझे मारने की फिराक में है।
ऐसा नहीं है। ऐसा क्यों सोच रहे हो।डॉक्टर तो मरीज को बचाने की फिराक में रहते हैं।
वह कातर शब्दों में बोला ।नहीं यह मुझे मार डालेंगे। मुझे बचा लो। यहां से ले चलो। मुझे अपने घर ले चलो। डिगबोई ले चलो।
मैं बोला -कौन मना कर रहा है! प्लीज चलेंगे कुछ उठने बैठने लायक बन जाओगे तो!

वह रोता सा बोला -अब क्या उठ बैठ पाऊंगा मैं!?
मगर यहां से कैसे ले जाएंगे !?डॉ इस हालत में छुट्टी नहीं देगा!
गोपाल कातर शब्दों में बोला -अब मेरे में कुछ नहीं बचा ।अब यह लोग मुझे मारने की फिराक में है। मार डालेंगे मुझे ।ले चलो घर में जाकर आराम से मरूंगा ।तसल्ली से मारूंगा।

मैं उससे ताकत देता हुआ सा बोला- क्या बात कर रहे हो? ब्रैव मैन हार जाओगे तो बच्चों का क्या होगा?
गोपाल बोलो- अब मैं हार गया हूं! मैं जीना चाहता था। मगर डॉक्टर जीने नहीं देना चाहते। वह मुझे मारना चाहते हैं ।कुछ ऐसी ही बातें हो रही थी।
मैं मरना नहीं चाहता। सानू की शादी करवानी है ।विवेक को नौकरी लगवानी है। विवेक की भी शादी करवानी है। फिर आराम से चैन की मौत मरूंगा। चैन से सो जाऊंगा।
मैं बोला  पता है- दोनों मिलकर डिगबोई को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनानी है! एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म !जिसमें हीरो हीरोइन कुछ नहीं होते !बस कैमरामैन बोलता जाता है। कैमरा घूमता रहता है ।घटनाचक्र सूट होता रहता है। या फिर शूटिंग की जाती है। मुझे ले चलो। विवेक से बात करो ।तुम भी साथ चलना।
तभी मेरी तंद्रा भंग हुई ,जब मेरे फोन की घंटी बजी। मैंने जेब से मोबाइल निकाल कर देखा- सानू का फोन था ।बोली- काका! आप मां के पास जाइए, घर ठीक है।
मैं बोला-  बेटा! बस ओल्ड राजेंद्र नगर पहुंच गया हूं। अगले 10 मिनट में भाभी के पास पहुंच जाऊंगा ठीक है।
सोनू बोली-मैं और विवेक बाबा के पास है। फ्लैट में मां अकेली है। आप मां के पास ही ठहरिए।
मैं अगले 10 मिनट में सनातन धर्म मंदिर के पास पहुंच गया था। मैं बस से उतर कर आनन फानन में भाभी के पास पहुंचा था। मैंने कुंडी खटकाया तो भाभी ने ही दरवाजा खोला। भाभी का चेहरा मुरझाया हुआ था। दुखी चेहरा देखकर मुझे बिल्कुल किसी अनहोनी की आशंका सी हुई।
भाभी के साथ वाले कमरे में, मैं भी बैठ गया।
गोपाल को गोपाल को लेकर डॉक्टर की कही गई बातों को लेकर हम दोनों में बातें छिड़ने लगी ।
भाभी बोलने लगी- डॉक्टर ने हमें धोखा किया है !डॉक्टर ने ऑपरेशन सही नहीं करा  है। अभी तक पेट का पानी भरना कम हुआ नहीं है। डॉक्टर बता रहे हैं- पेट का पानी ही सीने में उभर कर आ रहा है!
मगर पेट का पानी सीने में कैसे आ सकता है!? डॉक्टर हमसे कुछ छुपा रहा है ।अपने असफल ऑपरेशन को छुपाने के लिए- बातें इधर-उधर घुमा रहा है।
 या उन्हें पता ही था -मरीज ठीक होने का नहीं! फिर भी उसे अस्पताल में एडमिट करा कर उसका पेट चीर दिया। उसकी बीवी का भी पेट चीरकर लीवर प्रत्यारोपण किया। मगर क्या हासिल हुआ!?
हासिल तो नहीं हुआ। अस्पताल को ।डॉक्टरों को दौलत के भूखे -चोर ;खूनी, आतंकवादी तो सीधे लेते हैं। इस तरीके से किसी इंसान को ठीक होने का झांसा देकर पेट चीर कर उससे पैसा वसूल करना !?
यह डॉक्टरों का ही काम है। कोई ऑब्जेक्शन नहीं ।आदमी ,मरीज, मरीज का परिवार खुशी खुशी देता है।
और मरीज को वे पैदल ही मौत के मुंह में ले जाते हैं। पता है ,या होना ही है फिर भी।

इंसान भी  अंधविश्वासी होता है ।कुछ को छोड़कर ,डॉक्टर सभी डॉक्टर ऐसे कदाचित नहीं होते।
 कुछ डॉक्टर कुछ बड़े अस्पतालों में डॉक्टर और अस्पताल अथॉरिटी की मिलीभगत में काम होता है ।वरना डॉक्टर बर्खास्त किया जाता है। बड़े अस्पताल से जुड़ कर करोड़ों कमाने की लालच में, लोग में हुए इंसानी जिंदगी को सिर्फ प्रयोग की वस्तु समझकर ऐसा करते हैं।
 डॉक्टर जिसको समाज के प्रति सहानुभूति होनी चाहिए ,नहीं होता। वह सिर्फ आने वाले चार्जेस पर नजर ध्यान केंद्रित करते हैं ।

आगे क्या होगा क्या नहीं होगा ।उसे भगवान के ऊपर  छोड़ने की बात करते हैं। मासूम जिंदगी से खेलते हैं ।
और दौलत बटोरते  हैं।
 क्या खाते हैं?
 वह लोग सोने की बिस्किट ,चांदी के चावल, हीरे जवाहरात की सब्जियां?
 अरे खाना तो वही दो रोटी है ।मिलना इसी धरती में खाक बनकर ही तो है।
 न दौलत ले जाएगा न हिरे जवाहरात। सब यहीं धरी की धरी रह जाएगी।
 फिर डॉक्टरी जैसे पेसे को ऐसे लोग ऐसे अस्पताल शर्मसार क्यों करते हैं? अस्पताल को कसाईबाड़ा बना देते हैं।
मानवता को ताक पर रख देते हैं!
इनके दिल में किसी के प्रति न दया होता है। ना प्यार ।दौलत.. सिर्फ दौलत ..दौलत के सिवाय यह किसी के सगे नहीं होते।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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