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कसाईबाड़ा 30

10 दिसम्बर 2022

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मौत!?
मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है।
 हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है।
 मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के लिए भेजा है। कुछ समय का सॉफ्टवेयर उसके नाम से परमेश्वर ने बना दिया है।
 बस उसका साथ सॉफ्टवेयर तब तक ठीक चलता है- जब तक हार्डवेयर खराब ना हो! खराबी न बताने लगे।
 हार्डवेयर का लेखा-जोखा भी परमेश्वर ही बनाता है। और ठीक होना ना होना भी परमेश्वर के सुपर कंप्यूटर में सेव होता है।
सुपर कंप्यूटर में लिखी गई अवधि में ही इंसान को धरती में रखा जाता है ।फिर पंचातत्व का शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है।
 इंसान को पता हो चला है, कि शरीर पंचतत्व से बना है। मगर अफसोस! इन पंच तत्वों को मिलाकर इंसान किसी इंसान को बना या बिगाड़ नहीं सकता।
इंसान ना ही पंचतत्व की कंबीनेशन को समझ सकता है। मगर फॉर्म करना इंसानी  साइंस के बस में नहीं है ।या गुड तत्व ग्रेट सिक्रेट इंसान खोल कर रख नहीं सकता।    
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रात बहुत हो गई थी। मैंने विवेक को एकाध बार कहा भी था। सानू को रात को जल्दी रिलीज कर दिया करो ।8:00 से 9:00 के बीच।
 में देखता था अक्सर सानू काअस्पताल से 10:00 के बाद निकलना होता।  दिल्ली यो भी लड़कियों के लिए सेफ नहीं है। फिर ओल्ड राजेंद्र नगर ।यूं ही बदनाम है। पैसे वालों के रहने के बावजूद। कुछ गलत लोगों का भी सड़कों में आना जाना रहता था । दिन का वक्त या शाम का वक्त सेब माना जा सकता था। मगर रात के 9:00 बजे के बाद दुकानें बंद हो जाया करते थे। 
लोगों का चाहल पहल कम हो जाता फिर लड़कियों के लिए यह सेव न था।
कई बार मैं अपने कमरे में रहता - सोचता यह ठीक नहीं है ।भाभी और विवेक को भी आगाह कर चुका था ।मगर परिस्थिति के हाथों का हर इंसान गुलाम है ।विवेक रात भर सो न पाता। पल-पल डॉक्टरों का आना-जाना नर्सों का आना जाना।
 फिर इन्हीं कारणों से पापा के पास रहता मगर रात भर नींद खुलती रहती। 1:00 से 2:00 के बीच सानू और भाभी चली जाती। गोपाल के पास ।फिर विवेक फ्लैट में आकर नित्य क्रिया से फारिग होकर र खाना खाकर सो जाता।
मरीजों के पास सिर्फ एक ही बंदा ठहर सकता था। इसलिए भाभी जल्दी आ जाती ।फिर सानू देर रात तक रुक जाती ।कई बार 11:12 तक भी रुक जाती। मुझे खलता। क्योंकि दिल्ली ही ऐसी जगह है। जहां निर्भया जैसी कांड का दाग लिए हुए बैठा है ।पूरे विश्व में इस घटना को लेकर शर्मसार है।
मेरा दिल सानू के लिए डर से धड़कता था। रहता कई बार मैं भी भूल जाता। कि अब विवेक जाएगा फिर सानू प्लेट में लौट आएगी। सानू सेल्फ डिपेंड थी ।इसलिए भी बिंदास थी। मगर उसका यह बिंदास रवैया वह भी रात के 10:00 बजे के बाद अस्पताल से निकलना मुझे पसंद नहीं था ।
भाभी को इस बारे में बता चुका था। कि विवेक को फ्लैट से जल्दी भेजा करें ।सानू को जल्दी वहां से छोड़कर। मगर शुक्र उस ऊपर वाले की सॉफ्टवेयर की उसने सॉफ्टवेयर में कोई ऐसी अप्रत्याशित घटना को शुमार नहीं किया था। तो पापा की रखवाली करते करते उसके जिंदगी से दो चार हो सकती थी।
उस रात में भाभी के पास ही था। 10:30 से कुछ ज्यादा हुआ जा रहा था ।विवेक निकला तो मैं बोला था। बेटा मैं भी चलता हूं ।तेरे साथ रात ज्यादा हो रही है ।सानू को साथ लेकर मैं लौट आऊंगा ।मैं ऊपर नहीं जाऊंगा। मैं इमरजेंसी गेट में हूं -शानू को बताना।
हम साथ निकले। विवेक अस्पताल के इमरजेंसी गेट से अंदर चला गया था। गेट के अंदर जाते ही लिफ्ट था। और उसी लीफ्ट से वह 13 68 नम्बर‌ कमरे में पहुंचा  जाता । पांच मिनट भी नहीं लगता ।
तभी एजेंसी से ट्राली में सफेद कफन में लिपटा ट्रॉली पर एक लाश लाकर एंबुलेंस में लादा गया ।मेरा दिमाग उसे देखकर चकरा सा गया था ।
मुझे गोपाल का ख्याल आया। मुझे पता था। यही होना था। उसका भी। मुझे उसमें जिंदगी तो दिख ही नहीं रही थी।
 हे!भगवान ,मैं  इमरजेंसी के सीड़ी पर बैठ गया था ।
लाश के रिश्तेदार रो-पीट रहे थे।
 लूट लिया ,सारा लूट लिया ।जब बचाना न था तो फिर ऑपरेशन क्यों किया? हार्ट सर्जरी क्यों कि ?
सभी रो धोर रहे थे।कुछ खामोशी से लाश को लाने के लिए फिर रोतों को संभालने में लगे थे।

 रोती औरतों में मुझे भाभी नजर आ रही थी। मुझे सानू नजर आ रही थी ।और विवेक का हालत अपने बाल नोच नोच के  खराब हुआ जा रहा था ।
उसका बिलखना ।उसका बाल नोचना। मुझसे बर्दाश्त हो नहीं रहा था। मेरी आंखें बर बस बरस रही थी।
एंबुलेंस मे लाश लाद लिया गया था। लाखों खर्च ने के बाद भी ,जिंदगी ना बचने का गम कुछ अधेड़ से देखते लोगों को था।
 कुछ लोग एंबुलेंस में ही सवार हो गए ।कुछ लोग कार में ।गाड़ी आगे निकल गई। एंबुलेंस भी आगे निकल गया था। अब गेट के पास सिर्फ सन्नाटा था ।मैं सीढ़ियों में बैठा आशु पोंछ रहा था। तभी मेरा मोबाइल बजा। मैंने मोबाइल पर देखा। सानू का कॉल था। सानू-- काका! कहां हो आप?
मैं- इमरजेंसी के गेट के पास ही खड़ा हूं!
सानू ने उधर से फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। आधे से भी कम मिनट में वह मुझे  इमरजेंसी के गेट से निकलती दिखी थी।  प्यारी सी गुड़िया! प्यारी सी !
उसके चेहरे में मायूसी का जाल बिछा हुआ था?
मैं उठा ,शानू पास आती बोली- चलिए काका!
हम दोनों फ्लैट की ओर चल पड़े। अस्पताल का गेट पार करके आगे बढ़ते सानू आंखें नम करती बोली- बाबा को डॉक्टर ने कैंसर  डिक्लेअर किया है!
मैं -क्या-क्या कैंसर?
सानू -हां!
मैं -कब.. कब कहा  डॉक्टर ने? मां को पता है?
सानू -विवेक को पता है। मां को अभी पता नहीं है।
मैं -बताना तो पड़ेगा। पता चल भी जाएगा।
मैं सोच में पड़ गया था ।अब यह कैंसर कहां से आ गया।
 मैं -डॉक्टर तो बोल रहा था। लिवर में कैंसर है। इसलिए उसे काटकर अलग कर दिया गया था ।और अब शरीर के किस हिस्से में कैंसर बता रहा है!?
सोनू- डॉक्टर बता रहा है कि, छाती में कैंसर फैल गया है।
मैं छाती में कभी गोपाल को फेफड़े में इंफक्शन होने के बाद
 ट्यूबरक्लोसिस होने के बाद तो पता था। मगर अब कैंसर हुआ भी छाती में ,छाती के किस आर्गन में?
सोनू -अभी डिक्लेअर नहीं है! वायप्सी के लिए डॉक्टर ने कहा है ।फिर पता चल जाएगी वास्तव में क्या मामला है!?
मैं सन्न रह गया था!
 मुझे समझ में नहीं आ रहा था। क्या कहूं या ना कहूं।
 सानू खामोश थी ।इस बात को लेकर वह ज्यादा डिस्टर्ब हो गई थी।
 मेरे भी मन मेरा भी मन विचलित हो चला था। सानू इस बात को लेकर कुछ ज्यादा ही डिस्टर्ब थी ।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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