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कसाईबाड़ा 13

25 नवम्बर 2022

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थूक पर थूक।
आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।कैसे? हर दूसरे मिनट में ककार के साथ थूक।
मैं गोपाल को सलाह दे रहा था-- थोड़ा कोशिश करो कि थुको कम ।फिर खाना भी पचेगा। वरना खाना पचेगा नहीं ।स्वास्थ्य सुधरेगा नहीं।
  डॉक्टरों ने चेस्ट का एक्सरे करवाया ।दो दो बार ।
 कुछ नहीं है !बस थोड़ा सा यह धूंध देख रही है। यह कफ है यह निकल जाए तो बस ठीक हो जाएगा।
गोपाल आत्मविश्वास के साथ पूछता- मैं ठीक हो जाऊंगा ना डॉक्टर?
अब हिलने ढूंढने लग गया था ।दबाई के जोर से ।बाजू पकड़ के 2 लोग उठाते तो खड़ा हो जाता ।
फिर चलाने लगते ।
घरेलू  माहौल में रहूंगा तो ठीक हो जाऊंगा ।मुझे रिलीफ दे दो ।
डॉक्टरों ने सलाह किया -और गोपाल को रिलीव दे दी !
हर दूसरे दिन चेकअप करवाना होगा। पेशाब की नली लगा लगी थी ।और कुछ नहीं था ।हर रोज दो बार ब्लड शुगर टेस्ट करवाना था। ब्लड शुगर फिर पेशाब कितना आया उसे बोतल में भर भर डेली लैब में भेजना था।
डॉक्टर को अपडेट बताना था।
अब गोपाल राजेंद्र नगर के फ्लैट में आ गया था। उसे घरेलू माहौल मिलने लगा था। हम उसे खड़ा करवाते ।बाजू पकड़ के 20 -30 कदम चलाने लगे। 
एक दिन भाभी ने कहा -बाबू देसी चिकन लेते आना।
मैं सोच में पड़ गया था। कि देसी चिकन लाने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता।
जनकपुरी में देसी चिकन तो मिलने से रहा। फिर उस वक्त मैं गाजीपुर में पहुंचा।
 देसी चिकन मिलेगा ?
गाजीपुर मुर्गी मंडी ,करोल बाग से गाजीपुर।
 मंडी देसी चिकन के चक्कर में। मगर अफसोस देसी चिकन न था।
 मगर यह क्या है?
 यह मुर्गा है ।देसी भी नहीं है विदेशी भी नहीं है। बीच का है बीच का है ।
क्या मतलब ?
देसी के बदले आप इसे ले जा सकते हैं।
 अच्छा !टेस्ट ?
सेमसेम ।
चलो मुझे चिकन देसी लाने के लिए गोपाल ने पैसे दे रखे थे।
 कहा सब कुछ तैयार कर देना  किचन में कुर्सी लगा देना। मैं बनाकर खिलाऊंगा।
 और सच में बनाने लग गया।
गोपाल को बहुत शौक था। खाने-पीने का। स्पेशल बनाने का। खुद बनाकर लोगों को खिलाने का।
सच में हम खुश थे। अब बंदा किचन तक आने की हिम्मत कर सकता है।
 मतलब रिकवरी धीरे-धीरे हो रहा है ।
खुद के लिए बायल दो पीस कर ली ।हमारे लिए फ्राईड बनाया ।
खास मसाला ना पडा था। मगर मुझे अच्छा लगा। हम सब ने इंजॉय किया।
कई दिनों के बाद मैंने भाभी के चेहरे में हल्की सी मुश्कान  देखी ।
भाभी ने कहा- ऐसा ही है! घर में भी ऐसा ही करते हैं ।कुछ भी स्पेशल बनाना हो ।तो मुझे हटा कर खुद लग जाते हैं ।
ओल्ड राजेंद्र नगर में टू रूम सेट किराए पर ले रखा था ।मैं रात को वहीं ठहर जाता। ऐसे भी दिल्ली में मैं अकेला रह रहा था। जनकपुरी में मुझे खुद ही बना कर खाना पड़ता था। यहां मुझे बना बनाया गोपाल के हाथ के मिल रहा था।
बच्चे भी खुश थे। की 8 तारीख तक का टू रूम सेट का करार था ।अगर ठीक-ठाक रहा तो अगले हफ्ते फ्लाइट बुक कर के चले चलेंगे।
 मैं भी खुश था ।कि अब जिंदगी मूल धारा पर बहने लगेगी।
मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।
क्योंकि जो भी थोड़ा बहुत जोर था। उसे ब्लड चढ़ा चढ़ाया गया था। फिर दवाओं का दौर जारी किया गया था। जिससे कि उसके इम्यून सिस्टम को बूस्टप्प मिले।
अचानक दूसरे दिन से फिर गोपाल के पेट में दर्द शुरू होना जारी हो गया था।
 मैं सोच रहा था- ज्यादा खाने की वजह से ऐसा हो रहा था ।
मगर बच्चों ने बताया था ।खाना बहुत कम खा पा रहे थे। इसीलिए रिकवरी के लिए बार-बार खाना देना जरूरी था।
अस्पताल के न्यूट्रिशन ने भी हर दो घंटे बाद प्रोटीन डाइट ,फ्रूट, मिल्क आदि डाइट के लिए बोला था। और न्यूट्रिशन के मुताबिक इन खानों से उसके शरीर में ताकत आना चाहिए था।
मगर!
फिर से पेट दर्द हो रहा था ।
अचानक सुबह के समय अस्पताल में फिर से एडमिट करवाना था।
 तब तक फिर से पेट में पानी भरने लग गया था।
 लिवर स्पेशलिस्ट ने कहा था- कि लिवर ट्रांसप्लांट के बाद पेट में पानी भरने की समस्या से निजात मिल जाएगी ।मगर फिर से पेट में पानी भरना शुरू हो गया था ।
फिर चार लीटर पानी निकाला गया था। या पानी बारंबार क्यों भर रही थी। वजह क्या था?

जमाई राजा के डिगबोई से दिल्ली आने की खबर मिली थी ।परिवार खुश थे।
 कि अंजलि के पति बड़े बेटी के पति दिल्ली पहुंच रहे थे ।फोन किया था 12:00 बजे की फ्लाइट थी। 4:00 बजे तक राजेंद्रनगर उनका पहुंच जाना था ।पहुंच भी गए थे। डॉक्टर से डिस्कस करना था।
 जमाई साहब एक अफसर थे। उनको डॉक्टर से बातें करने की तमीज थी। भाभी ने बताया मगर उनका आना मात्रा आना ही रह गया था।

उनका कंपनी की तरफ से फरीदाबाद में पांच दिन का सेमिनार था। सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम 8:00 बजे तक लगातार पांच दिन का सेमिनार ।फिर पांच दिन के बाद वापसी का भी टिकट था।
मैं ही था जो इस वक्त दिल्ली में फ्री था।
 फ्री का मतलब फ्री नहीं था ।मेरी अपनी इच्छा से की जाने वाला काम था ।मैं इस वक्त पॉकेट नोबेल में अपनी नावेल  डेडली वुमन  के लिए लिख रहा था। मैं जिस किसी भी समय उनके पास पहुंच जाता। अभी मेरा भी घर से आए ज्यादा दिन न गुजरे थे। कि मुझे टेंशन होने लगा था ।मैं उस वक्त बिल्कुल पैन्नीलेश हुआ जा रहा था।
मेरे पास अभी कोई जमा पूंजी नहीं थी ।
मगर बात जमाई साहब की थी ।वह आए तो खुशी की एक हल्की लहर सब में दौड़ गई थी। उनका आना ऑपरेशन के तुरंत बाद भी हुआ था। यह दूसरी बार थी। वह यहां आए थे। गोपाल के  एडमिट होने के बाद। 
मेरी कोई गिनती नहीं थी !
मैं यूं भी गिनती के आदमी में नहीं था।
 मुझे समझ थी। मगर मेरा दिल थोड़ा सेंटीमेंटल था। जिसका जेब फटा होता है। जिगर बड़ा होता है ।यही हाल था।
 मेरा आना ना आना सिर्फ गोपाल के लिए महत्वपूर्ण था ।औरों के लिए नहीं ।सानू विवेक और भाभी के लिए।
 और मैं खुद को कभी समझ नहीं पाता था। जब रुक ना होता तो भी नहीं रुकता। और कभी न रुकने की जरूरत होती तो भी रुक जाता।
गोपाल के पेट के दर्द बढ़ जाने के कारण रात को ही ले जाकर उसको एडमिट कर लिया था। अब लीवर का सही ट्रांसप्लांट हो गया था। तो फिर पेट दर्द क्यों हो रही थी ।पानी फिर क्यों जमा हो रहा था ।
उस दिन रात को फ्लैट में ठहर गया था ।सानू और भाभी के साथ ।दूसरे दिन मैंने सोच लिया था ।कि आज दिन भर गोपाल के साथ रह जाएगा ।मैंने विवेक को भेज दिया था ।विवेक 11:00 बजे के करीब प्लेट में लौट गया था। मैं गोपाल के पास रह गया था।
मेरे गोपाल के पास ठहरने पर गोपाल के चेहरे में मुझे अजीब से भाव नजर आ गए थे। मैं नहीं चाहता कि ऐसे भाव को मैं वर्णन करूं। शायद.. यह मेरी गलतफहमी हो।

मैं अक्सर दूसरों के बारे में सोचता ।अपने बारे में नहीं।यही मेरी जिंदगी की बहुत बड़ी कमजोरी रही।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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