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कसाईबाड़ा 34

13 दिसम्बर 2022

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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।
पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था। मैं और बच्चे समझा रहे थे। क्यों रो रही है।

 मम्मी कुछ हुआ नहीं है ।अभी तो आश बची है। अभी रोके क्यों अपनी हालत पतली किए जा रही हो?
डॉक्टर सुधीर ने लिवर ट्रांसप्लांट सही नहीं किया। इस दाग को मिटाने के लिए अब यह लोग- कैंसर का बहाना कर रहे हैं ।
बस संही था। बात पते की थी।
यह डॉक्टर इतने दिनों तक कर क्या रहे थे? 3 महीने हो गए थे ।इतने दिनों तक उनके ऑब्जरवेशन में था गोपाल। फिर भी उन्हें पता नहीं चल पाया था ?कि मामला क्या है?
भाभी और बच्चे पढ़े लिखे तो थे। मगर डॉक्टर के आगे सभी अनपढ़ हो जाते हैं। सारी पढ़ाई लिखाई धरी की धरी रह जाती है।
 क्या कि इस वक्त परिवार का किसी भी सदस्य की जिंदगी का सवाल सामने आ खड़ा होता है ।
अपने परिवार के सदस्य को बचाने के लिए आदमी हर वह काम करता जाता है। जो डॉक्टर कहता है। फिर भी जब जिंदगी नहीं बच पाती।
लाखों खर्च ने के बाद भी जिंदगी नहीं बच पाती तब क्या कहें ?डॉक्टर भगवान तो नहीं है, ना! ऊपर बैठा सुपर नेचुरल पावर जो है उसी के हाथ में है,, वही कर्ताधर्ता है।

उसकी इच्छा के बगैर कोई पत्ता भी नहीं हिल पाता है। क्या !नहीं ,वही है गॉडफादर वही है। सुपर नेचुरल पावर ।वही है मास्टरमाइंड। उसी के नेटवर्क से हम जुड़े हैं ।उसी के नेटवर्क में है हम ।उससे जुदा हो ही नहीं सकते।
 उसका सेटेलाइट सभी पर पैनी नजर रख रहा है ।उसी ने इस धरती में समय देकर भेजा है। बस समय खत्म होते ही ऊपर खींच लेता है। जिस जिस्म में उसने नेटवर्क कार्यन्वयन कर रखा है। पूरा होते ही खत्म ।कोई रिचार्ज नहीं.. कोई रिचार्ज नहीं ।नेटवर्क खत्म तो कोई रिचार्ज नहीं कर सकता।
डॉक्टरों को मेडिकल प्रोफेशनल को ,हम रिचार्ज करने वाले एजेंट समझकर उन पर विश्वास करते हैं ।मगर ऐसा नहीं है ।रिचार्ज खत्म वैलिडिटी खत्म। अब यह शरीर आदमी चाहता है कि इस शरीर को जल्द से जल्द खत्म करना। जिस शरीर को बचाने के लिए इतना सारा जतन किया -सिम कार्ड के निकलते उस शरीर को आदमी मिट्टी में मिलाने के लिए, उसी के परिवार वाले उसे शमशान ले जाते हैं।
इंसान !इंसान क्या है!?
कुछ भी तो नहीं है। सिर्फ मिट्टी के खिलौने है।
माटी का पुतला है। कनेक्शन खत्म, पुतला मृत।
यह तेरा -यह मेरा ,किस लिए ?
जाना तो सभी को श्मशान के रास्ते से ।श्मशान नहीं भी गए ,तो मिट्टी में यह तो मिलना है ।
फिर घमंड क्यों!?
कुछ घमंड गोपाल में भी था।
 कुछ प्रतिकार गोपाल में भी था ।कुछ हिंसा गोपाल में भी था। यहां बयान करूं ना करो तो बेहतर रहेगा ।
सालों से बिछड़ा मेरा दोस्त -शायद अंतिम अवस्था में जाते-जाते ऐसा हुआ था ।लोग तो अंतिम अवस्था में जाते-जाते भगवान के करीब हो जाते हैं ।फिर उसके बातों में प्रतिवाद था। मैंने महसूस किया था। इसलिए मैं यहां लिख रहा हूं ।किस बात से मुझे इस बात का एहसास हुआ इस बात को भी मैं बयां ना करूं तो अच्छा ही रहेगा।
भाभी का रोना रुकना रहा था ।जो मुझसे उसका रोना सहाना जा रहा था। 
मैंने भाभी से कहा था -अलवर राजस्थान में दिल्ली से तिजारा जाने वाले रास्ते में, एक जगह पड़ता है ।जहां बाबा कमलनाथ आश्रम है ।जहां कैंसर की दवा देते हैं ।शायद उस दवा से वह ठीक हो जाए!?
क्योंकि अक्सर आदमी हर वह कोशिश करना चाहता है। जिससे मरीज की जान बच जाए। जिससे अपने रिश्तेदार की जान बची रहे।

भाभी ने पूछा था- क्या खर्चा लगेगा?
मैं- वही आने जाने में जो खर्चा लगेगा! दवा तो फ्री में होगा ।उसके साथ मिक्स करने के लिए जो सामान मिलेगा ।उसका शायद पैसे लेंगे। शायद डेढ़ हजार के करीब ।वह जगह कहां पर है ।मुझे एक अंकल जी हैं उनसे पूछना पड़ेगा।
भाभी सुबकते हुए बोली -खर्चे का फिक्र मत करो, अंकल जी से पूछ लो ।कहां कैसे जाना होगा। और दवा लेते आओ। शायद उस दवा से कुछ असर पडे..और ठीक हों।
मैंने लेटे हुए गोपाल का वीडियो बनाया था। विवेक ने मुझे रिपोर्ट की कॉपी व्हाट्सएप कर दिया था। अगले ही दिन मैं अंकल से एड्रेस लेकर चल पड़ा था।
तिजारा पार करने के बाद एक कस्बा सा पड़ता था। भड़ौसी। अंकल जी ने मुझे बताया था ।कि दिल्ली धौला कुआं से अलवर जाने वाले रास्ते में जाना है। और कंडक्टर को बता देना कि कैंसर की दवा लेने जाना है ।उसे पता होगा और वह सही जगह पर उतार देगा।

और सच में कंडक्टर को पता था। मैं सुबह नाश्ता किए बगैर चल पड़ा था ।यह सोच दिल में लिए कि, यहां बाबा कमलनाथ आश्रम में लोगों का कैंसर से राहत मिलता है ।और शायद गोपाल को भी राहत मिलेगी।
कमलनाथ आश्रम में जो पंडित जी थी, मैंने उनसे मरीज की कंडीशन बयान किया था। उन्होंने कहा था -कि अगर दवाखाने में सक्षम है तो 30 दिन के अंदर उठकर चलने लगेगा मरीज।
मगर अफसोस!
एक दिन भी ऐसा ना गुजरा ।की दवा पूरा खिलाया हो ।मगर फिर भी सानू और विवेक लगे रहे हैं 
सानू ने मुझे दो-तीन बार कहा बाबा बहुत कष्ट भोग रहे हैं ।उस समय सानू का कहने का अर्थ मैं नहीं समझ पाया। मगर अभी समझ रहा हूं।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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