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कसाईबाड़ा 27

8 दिसम्बर 2022

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विवेक भी खौफ जदा था ।
अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।
फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते। मेडिकल से डायपर लाकर पहनाया जा रहा था। 
डायपर में ही लैट्रिन हो जाता। पिसाब की तो नली लगी थी ।थैले में पेशाब जमा होता। दिन-रात 24 घंटे में चार चार बार होता।
 बच्चे इसलिए परेशान नहीं थे कि बाप का टॉयलेट साफ करना पड़ रहा  था। बल्कि इसलिए परेशान थे कि गोपाल की हालत में सुधार नहीं हो रहा था।
तब गोपाल अपने आप करवट भी नहीं ले पा रहा था। बिस्तर में ही छोड़ जाता। फिर वह विवेक को आवाज लगाता था। मैं भी हाल में सो रहा था ।रात को तीन बार साफ करवाना पड़ा था। मुझे भी नींद नहीं आ रही थी।
क्योंकि टॉयलेट हाल पर ही बना हुआ था। और विवेक और मैं उसे उठाकर किसी तरह कॉमेंट पर बिठाते रहें। बैठने के बाद साफ करने के बाद फिर उसे कॉमेंट से ही उठाना पड़ रहा था। फिर कपड़े ठीक करवा कर दो लोग  अगल बगल पकड़कर बिस्तर में लाकर सुनाना पढ़ रहा था।
गोपाल के लेटे लेटे कमर के नीचे की चमड़ी छिल गई थी ।जो अभी तक ठीक हो  के नहीं दे रहा था ।और उस हिस्से को ठीक करने के लिए या फिर लेटने की दर्द को कम करने के लिए ।स्पन्ज का एक गद्दा सा ईस तरिके से बना हुआ था- वास्तव में वह गद्दा इस तरीके से बना हुआ था कि लेटने में जो जख्म वाला हिस्सा था वह बिस्तर से ना टकराय उसमें हवा लगे।
क्योंकि लेटे लेटे रहने की वजह से जख्म वाले हिस्से को थोड़ा-थोड़ा करके दवा लगाया जाता। फिर बिस्तर के सहारे पुरे दिन चिपका रहता। उस गद्दे को इसीलिए  लाया गया था।जिससे कि  जख्म वाला हिस्सा, बिस्तर से ऊपर रहे और जख्म सूख जाए।
अस्पताल में मरीज को लेटे-लेटे; बैठे-बैठे; एक्सरसाइज कराने के लिए, या यूं कहें कि उनके लिम्स को मोशन देने के लिए, फिजिकल एक्सरसाइज के लिए भी एक कंपाउंडर आता। और हाथ पैर फिर फूकने वाला एक्सरसाइज कराता था। दिन में 3 बार या फिर 4 बार।

इससे मरीज के दिल में कंफ्यूजन  मरीज को लगता कि उसके शरीर में मूवमेंट है ।वह अभी भी हिलडुल सकता है। मरीज को लगता उसके हाथों में ताकत सी आ रही है ।और इसी मोमेंट की वजह से थोड़ा बहुत- भूख और नींद भी आ जाती! मरीज कुछ देर के लिए आराम कर पाता!
डॉक्टर ने बता रखा था। अटेंडेंट को कि उन्हें दिन में सोने ना देना ।झबकि लेने लगे तो आवाज लगा देना। डॉक्टर ने सिर्फ रात को सोने देने के लिए कहा था। इसलिए कोशिश कर करा कर किसी तरह खड़ा करके चीयर में बिठ रहे थे ।मगर चीयर मैं अब ज्यादा देर बैठ नहीं सकता था ।कमर और सारे शरीर में दर्द उभर कर आने लगता ।फिर उसे उठाकर बिस्तर में लिटा जाता।
गोपाल दर्द के चरम अवस्था से होकर वह गुजर रहा था।
 पेशाब की नली तो लगी ही थी। का लेट के लिए भी कोशिश कर रहे थे। कि वह कोमेड पर बैठ जाए।
 कल मगर धीरे-धीरे यह सब होता जा रहा था। गोपाल बेचारा हो गया था। उसकी ऐसी दयनीय स्थिति सही नहीं जा रही थी। जब से एडमिट हुआ था। तब से बिस्तर बिस्तर में ही लेटा रहा था। बीच में 10:00 15 दिन थोड़ी यू लगे थे कि अब ठीक हो रहा है ।मगर आप्रेशन से पहले की स्थिति में भी वह पहुंच ना पाया था।
गोपाल की दयनीय स्थिति देखकर बच्चों की आंखें भी नम हो रही थी। फिर भी जब तक सांस है तब तक आस है। वाली बात रह गई थी।

 एक-एक इंच उसके कदम मौत की ओर सरक रहा था। लेकिन सांसे मौत की ओर रवानगी का अलार्म दे रही थी।
 मगर गोपाल ने मौत को अपनी ओर आते देख रहा था। उसकी पथराई सी आंखें मुझे जड़ता की ओर ले जाती ।
उसकी भाव रहित चेहरा उसके भाव रहित । सब कुछ मौत की ओर इशारा करती।
 मैं पहले दिन जब मिला था -तब से ही ऐसी भावना  शिकार हुआ था ।
अनहोनी सा लगा था। मगर मैं भी कुदरत से दुआ मांग रहा था ।कि इल्तजा सफल हो ।और हंसी खुशी से बच्चे और गोपाल लौट जाएं।


जब बिल्कुल रहा नहीं गया था- तब डॉक्टर सुधीर से भाभी ने प्रश्न किया था? आप कह रहे थे- कि ठीक होकर अपने पैरों में चलकर जाएगा ।मगर अब तक कोई प्रोग्रेस नहीं है। डॉक्टर जब भी बोलता- बस यही 15 दिन के अंदर खड़ा होने लगेगा ,चलने लगेगा निश्चिंत रहें।
भाभी कैसे निश्चित रह पाए? आए हुए 3 महीने होने लगे हैं। ऑपरेशन के बाद दो-चार दिन ही ठीक रहा। फिर बिस्तर पकड़ा तो उभर न पाया। अभी आप 15 दिन की बात बता रहे हैं।

डॉक्टर सुधीर बस अब ज्यादा दिन 25 वे दिन में ही, उन्हें जाने लायक जरूर बना दूंगा। इन्हें फिर से एडमिट करना होगा। हमारे सर्विलेंस में रहना होगा ।इन्हें इंफेक्शन हो गया है।
  भाभी खाना भी ठीक है। मगर गले से नीचे खाना दो चम्मच से ज्यादा उतरता नहीं है। इनका पेट में पानी भरने का सिस्टम ठीक नहीं रहा है ।और पेट में दर्द उभर कर आ रहा है। रात भर करहाते रहते हैं।
डॉक्टर -हमने जानबूझकर पेन किलर और एंटीबायोटिक का ज्यादा से ज्यादा डोज कम कर दिया है। इसलिए कि नेचुरल एमेनिटी बढानी होगी। क्योंकि दवाओं के सहारे तो कितने दिन तक रखा जाएगा ।नेचुरल एमेनिटी बढ़ानी होगी।
 मगर घर जाना है तो।
भाभी- रात भर करहाते रहते हैं। इनसे ज्यादा इस बात का हमें बर्दाश्त नहीं होता ।
डॉक्टर- देखिए आपका और आपके पति का ऑपरेशन हुआ ।आपका यह एयूनिटी ठीक था। आप चल फिर रहे हैं। वह पहले से ही बीमार थे। और यह एम्युनूटी इसलिए इंक्रीज नहीं हो पा रहा है।
 भाभी -अभी तक मुंह के छाले ठीक नहीं हुए। अभी तक पेट का दर्द ठीक नहीं हुआ। पेट में पानी बढ़ता ही जा रहा है।
आपको  इन्हें 15-20 दिन के लिए और यहां एडमिट करके रखना होगा। तब जाकर कहीं यह ठीक हो पाएंगे।
भाभी -विवेक कंपनी में मेल डालेगा ।और क्रेडिट ट्रांसफर करवाएगा तभी तो इन्हें फिर से हम एडमिट करा सकते हैं ।जानकारी के मुताबिक अभी तक 3000000 कंपनी के तरफ से अस्पताल को पे हो चुका था। कंपनी जबकि 2600000 की क्रेडिट पेमेंट पहले ही अदा कर चुकी थी। अब फिर मरीज को एडमिट करने का अर्थ था -फिर क्रेडिट मगवाना फिर से सारी चेक अप को रिवाइज करना।
क्या बात हो गई थी ।जिसकी वजह से क्योर नहीं हो रहा था। रिकवरी नहीं हो पा रही थी।

 भाभी -क्या आप लोगों ने सही से डायग्नोसिस नहीं किया। क्यों इतने लाखों रुपए खर्च करने के बाद आप बता रहे हैं ।फिर से सारा चेक अप करना है ।कंपनी आपकी गलतियों का पैसा नहीं देगी। और कंपनी एडमिट के लिए भी कुछ टाइम देगी। इससे ज्यादा अस्पताल का चार्ज नहीं देगी।
 डॉक्टर सुधीर -इनका शरीर कुछ अच्छा रिस्पांस नहीं कर रहा ।इस बात का हमें पता लगाना है। हफ्ते भी नहीं लगेंगे ।और 20 दिन का टाइम कंपनी के द्वारा आप ले लो ।15 दिन में आपके हस्बैंड को फिट फाट करके भेज देंगे।
अब जो आप लोगों ने ढाई 3 महीने में नहीं कर पाए। वह एक पखवाड़े में कैसे ठीक कर पाएंगे। यह तो मरीज है- उसके रिश्तेदारों को झांसा देने वाली बात है।
डॉक्टर- अगर ऑपरेशन असफल रहता तो मरीज 2 दिन भी जिंदा नहीं रह पाता! यह बड़ी उपलब्धि है कि आपके हस्बैंड का लिवर ट्रांसप्लांट यकीनन सफल रहा है। इसके अलावा भी कई दुश्वारियां है जिसे पता लगाकर इलाज करना है ।
भाभी- जो अभी तक पता नहीं है।
 डॉक्टर- एक्सरे में चेस्ट में कुछ बादल से दिख रहे हैं! बस कफ़ का प्रॉब्लम है- थोड़ा पेट का भी प्रॉब्लम है ,किडनी का प्रॉब्लम तो पुराना है। सब कुछ ठीक होगा ।आप आराम से निश्चिंत होकर जाइए। वह जल्दी ही ठीक होगा यह मेरा वादा है।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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