हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं रूबरू ना होता ।हालात से मैं दो चार न होता ।
पराशर उर्फ गोपाल का छोटा सा परिवार था। तीन बच्चे एक लौती बिबी।
जहां तक मैं जानता हूं ।दोनों में अगाध प्रेम था। प्यार था ।इसीलिए भी बिबी कौशल्या ने (चंद्रकला ने) सोचा कि -हैदराबाद जाकर इलाज किया जाए! और पुत्र विवेक ने हैदराबाद के लिए भी कहा। और कुछ एडवांस 10000 रुपए भी भेजे।
हिंदुस्तान धीरे-धीरे डिजिटलाइज होता जा रहा है ।इसलिए पेमेंट भी डिजिटली किया गया।
बुलाने में टाइम लगाना था। वहां अभी खुद के विहार को इंट्रोड्यूस भर किया था ।अभी समय सीमा तो रखा गया न था ।यह भी बताया नहीं था- कि कब तक उन्हें यहां लाया जाए ।बस फोन से बातें चलती रही ।गूगल पे से पैसा भी भेज दिया गया ।समय का अभी इंतजार करना था -डिब्रूगढ़ मेडिकल कॉलेजआसाम में और गुवाहाटी में भी यही कहा गया था। आप उन्हें हादराबाद ले जा सकते हैं। यहां कोई स्पेशलिस्ट है ही नहीं। जो लिवर ट्रांसप्लांट जैसी ऑपरेशन कर सकें।
संभावना यह थी कि -आयल इंडिया लिमिटेड की ओर से वहां रीफर कर भी सकता था। नहीं भी ।
इसकी कोई गारंटी नहीं थी कुछ दिन पहले ही पेट में पानी भर जाने और पेशाब करने में परेशानी होने की शिकायत गोपाल ने डॉक्टर से की थी।
यूरिन पास होने की शिकायत बहुत पुराना था। जब लड़का पैदा हुआ था। तब की बात थी ।अचानक पेशाब करने में परेशानी होने लगी थी ।रात को ही डिगबोई अस्पताल ले जाया गया था। यह बात अभी से 29- 30 साल पुराना था ।
मैं इसलिए कह रहा था कि जिस बच्चे के जन्म के समय यह वाक्या हुआ था ।तब बच्चा पैदा हुआ था। और अब उसकी उम्र 29 साल हो चला था।
डॉक्टर कहता था -कि पेशाब करते वक्त नल के खोलकर पानी को बहता देखना तब तुम्हारी यूरिन पास करने की इंटेंशन बनेगी।
बात अजीब सी थी।
मगर यही सत्य था। नर्स भी कई बार यह बात बता चुकी थी ।डिपार्टमेंट के दो चार दोस्तों ने भी ऐसा ही सलाह दिया था।
फिर वक्त गुजरता रहा ।कई बार गोपाल यूरिन पास की समस्या से जूझता रहा। उसका अपना काम ही ऐसा था। कि पेशाब जोर से लगने पर भी रोक कर अपने आप जाने से रोका रहता। और पेशाब रोके रोके कई लंबा समय गुजरता तो -उसे लगता कि मुझे पेशाब लगे तो तकरीबन 2 घंटे हो गए ।अभी तक मैं बाथरूम गया नहीं ।ओह माय गॉड!!
तब वह सोचता कि यूरिन पास के लिए उससे वॉशरूम जाना चाहिए ।जब यूरिन के लिए जाए तो यूरीन ही नहो ।फिर यूरिन के लिए नलके को खोल कर गिरता पानी को देखकर यूरिन का इंटेंशन बनाता था।
यह सिलसिला लंबे अरसे तक चला था। अभी जब उम्र 60 की हो चुकी थी ।ऑयल इंडिया से रिटायरमेंट ले चुका था ।अभी यही समस्या एक गंभीर रूप धारण करके सामने खड़ी थी।
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