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कसाईबाड़ा 25

8 दिसम्बर 2022

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सबके चेहरे में मायूसी सी थी।
 गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।
दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था।
 जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था।
अभी गोपाल की बीपी ठीक था ।
इसका मतलब हृदय की गति ठीक थी। जिस्म का तापमान भी ठीक था।
मगर, शुगर लेवल सुबह कुछ शाम तक कुछ हो जाता।
 जमीन आसमान का फर्क आ जाता। रात के वक्त शुगर साडे 400 तक पहुंच जाता सुबह-सुबह बिल्कुल 75 में आ रहा था।
 ऐसा क्यों था!?
इंसुलिन का डोज दो बार डॉक्टर ने बता रखा था।
 मगर शुगर लेवल फिर पिचहत्तर, का अर्थ था खतरे का लेवल।
 शुगर बिल्कुल कम हो तो भी इंसान की खतरे की घन्टी हो जाती है, और ज्यादा बढ़ जाता तब भी।
और गोपाल को नमकीन अंदर जाता न था। शुगर फ्री शुगर खा रहा था। शुगर को कम करने के लिए।
खाने में परहेज करने से अच्छा डॉक्टर ने कुछ भी खाने के लिए बता रखा था। ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन डाइट। और फिर शुगर फ्री आइटम।
 मगर सिर्फ शुगर फ्री शुगर प्रयोग करने से खून में अगर शुगर कमी होती तो यह ठीक था। मगर शुगर लेवल बढ़ता जाता था। रात तक 500 के पास आसपास पहुंच जाता।
सबसे पहले मरीज को इंसुलिन से शुगर को लेवल में लाने की कोशिश की गई थी। फिर लिवर ट्रांसप्लांट किया गया था। अब जब ऑपरेशन करके ट्रांसप्लांट हो चुका था।  शुगर लेवल बढ़ता ही जा रहा था। बढ़ता ही जा रहा था। एक भी ऐसा दिन न था जब कभी शुगर लेवल कम हो।
वजह- एलोपैथी दवा का अत्यधिक सेवन। और इंसान चल फिर तो पता न था ।खाना खिलाए जा रहे थे। ना खिलाए तो भूखे मर जाता। खिलाने पर शुगर लेवल बढ़ जाता।

 भाभी दूसरे कमरे में बैठकर आंसू बहाती। मुझे कहती खाना बनाना और खाने का इतना शौक था। कि अब चाहकर भी अच्छी तरह बनी  खाना खा नहीं सकते थे। जब कभी स्पेशल खाना बनाना हो तो कहते- तुम हटो मैं बनाता हूं ।और बनाकर खिलाते।
 सानू का बना पसंद नहीं करते। मेरा बना भी उनको पसंद नहीं आती ।सानू बनाती तो दुनिया भर की मीन मेख निकालते। डांट लगाते कहते  इसे तो बनाना भी नहीं आता। फिर उसने सामने कहते बेकार बना है।
सानू खुद बनाती तो कहती बेकार बना है मत खाइए ।अपना बना खाओ ।
सानू के सामने से हटते ही कहते जरा देना टेस्ट तो करू! फिर टेस्ट करने के बाद कहते -- थोड़ा और दे देना!

भाभी शिकायत करती करती- आप कर रहे हैं अच्छा नहीं बना है ।फिर क्यों बार-बार मांग रहे हो।
 गोपाल कहता थोड़ा ही तो मांग रहा हूं ।और थोड़ा- थोड़ा करके खूब खा लेते ।बेटी को डांट भी लेते ।और इसका बना पसंद वाली सब्जियां खा भी लेते । अजीब था।
सानू शनिवार को छुट्टी करके सीधा ड्यूटी से डिब्रुगढ़  से  डिगबोई आ  जाती ।आते ही थोड़ी देर के बाद बाप बेटी में तकरार शुरू हो जाता । तकरार में ही बाप बेटी का प्यार छुपा था। सानू कोने में बैठ कर रोने लगती ।मुझे तो बस देखते शुरू हो जाते हैं ।अगली बार आऊंगी ही नहीं -देख लेना! 
जब तक रहती बाप बेटी में तकरार होता रहता। 
भाभी भी कहती पता नहीं क्यों बच्चे तो इनको एक आंख नहीं सुहाते। मगर फिर जब सानू चली जाती। बार-बार फोन करते सही पहुंच गई ना ।सानू फोन में ही लडने लगती ।अबकी बार नहीं आऊंगी। देख लेना।
गोपाल!
 मन ही मन मुस्कुराता ।सानू को छोड़ना उसको गुस्सा कराना उसे अच्छा लगता। सिलसिला ऐसी ही चलता रहा था। जैसे ही शनिवार होता सुबह से शाम को फोन करने में लग जाते हैं। ड्यूटी से जल्दी निकल जाना मैं विवेक को लेने के लिए चाराली भेज दूंगा।
सोनू!?
वही मन ही मन मुस्काती करती मुझे देखते लड़ाई शुरु कर देते हो। और अब!?
गोपाल कहता तुम मेरे बच्चे हो ।तुम्हें डांट नहीं लगाउंगा तो किसे डाट लगाउंगा ..किसे?
बाप बेटी का रिश्ता ही अजीब होता है ।बाप चाहता भी है ।बेटी को प्यार भी करता है। बहुत प्यार, मगर प्यार डांट और तकरार के रूप में सामने आता है।
 सानू के चले जाने के बाद गोपाल सोंचता अबकी बार आएगी तो बिल्कुल नहीं डालूंगा। मगर जब सामने आती तो फिर वही डांट फटकार।
वही बात -अपनी सरकारी नौकरी का रौब झाडती है। मुझे बाप ही नहीं समझती। मुझसे जुबान लड़ाती है ।मुझसे तकरार करती है। ऐसी शिकायत गोपाल की होती सानू के साथ।
सानू कहती- मैं आपसे जुबान लड़ाती हूं। तो आप हैं घर में आते ही बस  काटने को दौड़ते हैं।
गोपाल- अच्छा तो तुमने मुझे कुत्ता भी कह दिया ।जो मैं तुम्हें काटने दौड़ता हूं।
सोनू पैर पटकती  मां ..ओ.. मां !मैं तो आपसे बात भी नहीं करना चाहती !पैर पटकती  अपने कमरे की ओर चली जाती।
 भाभी बोलती- क्यों परेशान करते हो? छुट्टी के दिन के लिए तो आती है ।तसल्ली से उसे रहने भी नहीं देते।
गोपाल- ईसे मैं क्यों परेशान कर रहा हूं। उससे गोपाल कहता।
भाभी परेशान हो लेती- सोचती पता नहीं क्यों सानू के सामने आती लड़ने लग जाते हैं! और उसके घर से चले जाते फिर ;सानू- सानू रोने लग जाते हैं।
और विवेक?
हिंदुस्तान में एक बाप बेटे का रिश्ता जितना गहरा होता है। उतना ही संवाद कम होता है। कई-कई दिनों तक तो बाप बेटे के बीच बात तक नहीं होता ।बेटा बाप के आसपास भी कम दिखता है।
 जितना बेटी बाप के आसपास मडराती है उससे बहुत कम ही बेटा बाप के सामने आता है ।
पता है -एक घर में बाप बेटे का एक साथ रहना किसी सस्पेंस फिल्म का संवाद बगैर के सीन सा होता है ।
बेटा सोचता है कि बाप के सामने आना ही ना पड़े। बोलना ही ना पड़े ।किसी भी चीज की डिमांड कौन पूरा करता है ?-बाप!
मगर मीडिया कौन होती है-मां!

बाप और बेटे के बीच की मीडिया होती है- मां। बेटे की सिफारिश की अर्जी बाप के सामने मां रखती है। और उसे पहले ही अपने दिल से पास कर चुकी होती है।
 और बाप को मनाती है ।बेटे की डिमांड को पूरा कराने के लिए। बस जिंदगी की दौड़ यूं ही गुजरती जाती है ।मंजिल इतना खूबसूरत नहीं होता- जितना खूबसूरत सफर होता है।

सफर की यादों को इंसान दिल में सजौता है। मंजिल मिले ना मिले सफर का मजा लीजिए।

 सफर में ही मंजिल का रास्ते को दिल में सजा दीजिए ।
तोबा हम तेरे बातों में ना आते ।
मंजिल के सफर में हम यूं न खोते ।
आंखों में हजार सपने क्यों बसाए हैं।
 मंजिल को ही दिल में क्यों बसाए हैं।


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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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