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कसाईबाड़ा 15

4 दिसम्बर 2022

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ऑपरेशन के बाद---!
फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।
खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।
जबकि डॉ यह कह चुका था -कि जो मर्जी खा सकते हैं! साधारण इंसान की तरह! मगर खाया तो नहीं जा रहा था। मुंह के छाले ठीक होने का नाम नहीं ले रहे थे ।क्या खाया जाए? क्या खिलाया जाए?
यही बात बच्चों से लेकर ,खुद गोपाल तक को भी सोचने के लिए मजबूर किये रखा था।

गोपाल ने मुझे बताया- उसे खोया खाने का दिल है।
ओल्ड राजेंद्र नगर में आस-पास कोई ऐसी मार्केट न थी। कि जहां खोया प्राप्त कर सकें। राजेंद्र नगर के हर दुकान मिठाई वाले के पास मैंने खबर की। मगर वह मिला नहीं।
फिर मुझे ख्याल आया पटेल नगर ।
पटेल नगर में अच्छा खासा मार्केट है। होटल  मिठाइयों की दुकानें है। डेरी है वहां मिलना जरूरी है। फिर ढूंढते हुए मैं पटेल नगर पहुंचा। वहां से मैं गोपाल के लिए खोया लेकर आया।

 भाई को खोया खाने का दिल है। मुर्गा खाने का दिल है। मुर्गा मंगवाया गया ।पनीर तो हर रोज हर खाने में दिया जाने लगा था ।मसालेदार और तेल में फ्राइड को भाभी ने थोड़ा गोपाल के लिए बंद कर रखा था।
स्थिति नाजुक थी।
 मगर फिर भी मियां बीवी में चिक चिक बाजी चलती रहती थी ।गोपाल कहता कि तुम लोग मेरा ध्यान नहीं रखते ।भाभी कलेजा डोनेट कर चुकी थी। उसकी स्थिति भी खास ठीक नहीं थी। फिर भी दिन भर हाथ पैर दबाती जितना हो सके करती। मगर उसको तसल्ली नहीं होता।
मुझे सुनकर बड़ी अजीब सी लगती। इसका एक पाव कब्र में पड़ा हुआ है -वह भी इंसान अपनी बीवी पर चिल्लता रहता है।
गोपाल ने कॉन्फिडेंस दिखाया। खुद बिस्तर से उतर कर दीवारें पकड़ कर चलना शुरू कर दिया था। उसके पांव में हल्की सी जान सी आ गई थी।
मगर यह कॉन्फिडेंस भी ज्यादा दिन टीका ना रहा। वह कोहिनी के बल लुढ़का।
जब फर्स पर लूढका तो ,जोड़ की धड़ाम की आवाज सीआई।
 उस आवाज को सुनकर सानू और भाभी   उसके कमरे में पहुंचे ।देखा कि वह बिस्तर से उतरने के चक्कर में फर्श पर लुढका हुआ है। और करहा रहा था।

शरीर क्षिण कमजोर था। जिसकी वजह से उसकी सबसे निचले वाले पसली में चोट आ गई थी।
फ्रैक्चर होने की भी संभावना थी। शरीर कमजोर होने के साथ-साथ शायद हड्डियां भी खोखली सी हो गई थी।
अब एक और मर्ज बढ़कर सामने आ गया था। वह यह था कि पसली में उसका दर्द बढ़ने लगा था। रिपट ने की वजह से।
आब पसली की भी एक्स-रे करने की जरूरत पड़ गई थी।
परेशानी में और एक परेशानी आन जुड़ा था। 

गोपाल का कहना था- अगर यह मेरे को ध्यान देती तो मैं रिपटता? 
भाभी आंशु बहाती, रोती रहती ।कहती -दारु तो रोज का था! मैं कभी कहती तो कहते मैं अपने पैसे से पीता हूं ।किसी के नहीं पीता मैं। मैं अपनी कमाई का पीता हूं। और दारू के बाद नॉनवेज बनाते खुद भी खाते और बच्चों को परिवार को भी खिलाते।
मगर मियां बीवी के बीच चिक चिक सी बनी रहती। मुझे पता नहीं था। वह बिबी बच्चों पर सवार रहता है। क्योंकि मैंने उसकी शादी के बाद का वह समय नहीं देखा। जिसमें चिक चिक बाजी  शुरू हो चुकी थी।
 मैं तो उसके करीब तब तक रहा जब सानू की उम्र 7 साल की रही होगी। और विवेक उस वक्त  2 साल का रहा होगा ।अब सानू की उम्र 35 साल की हो गई है।
उस समय तो मुझे सब कुछ ठीक-ठाक साही लगता था। शायद वह मेरी ना समझी थी। गोपाल अक्सर मेरे से मिलकर कहता। तुम दिन में जब भी वक्त हो भाभी के पास चले कर बैठ जाना ।अकेली रहती है।
मैं वक्त बेवक्त भाभी के पास पहुंच जाता। भाभी मेरे आने से खुश नजर आती। भाभी मुझे कहती-- बाबू! अगर कुछ खाने को दिल हो तो कह देना! मैं बना दूंगी!
27- 28 साल बाद का यह दर्दनाक मुलाकात थी। उसकी और मेरी ।मगर रिश्ता जो बचपन का था- वह गहरा होता है !बहुत गहरा दिल से जुड़ा होता है।
वह इस हाल में भी चीखता चिल्लाता था हाथ नहीं उठाता था शान उससे भी चिक चिक बाजी चलती रहती।
सानू जब भी छुट्टी में घर पर आती ।सब्जी बनाकर उसके पास रख देती, तो कहता  मुझे इसका बनाया बिल्कुल पसंद नहीं है ।फिर सानू के हटते कहता सानू का बना थोड़ी सब्जी दे देना।
भाभी कहती - उसका बना आपको पसंद नहीं! फिर भी!
होठों होठों पर मुस्कुरा कर कहता-- मैं अच्छा थोड़ी बोल रहा हूं !मैं तो टेस्ट के लिए मांग रहा। हूं थोड़ा टेस्ट कर लूं ।और अच्छा भी नहीं कहता ,और खाना छोड़ता भी नहीं। चटोरे पनकी तो हद ही हो गई थी।
उसका ज्यादा सा आकर्षण दारू और नॉनवेज में रहता। जैसे जिंदगी सिर्फ खाने पीने के लिए बनी हो।
पेट का दर्द दर्द थोड़ा सा कम हुआ था। वोमिट भी थोड़ा सा कम हो गया था। मुंह के छालों में भी कभी कमी आ गई थी ।मगर अंदर अब भी जख्म था। थोड़ा हल्का सा गर्म भी नहीं खा पाता। खाते ही तड़प उठता। हम कहते हम क्या डॉक्टर भी कहता। बस या मुंह के छाले ठीक होते ही सारा ठीक-ठाक होगा।
इसे चलाओ फिरओ डॉक्टर कहता है।
अस्पताल में रहते वक्त दोनों और पकड़ के ही सही, अस्पताल के कैरी डोर में डेढ़ चक्कर लगवा ते मैं और विवेक ,विवेक और सानू ,और बाया पैर अभी ठीक नहीं हो रहा था। उसको ठीक करने के लिए भी एक खुला जूता सा खरीदना पड़ा था। कि पैर ठीक हो जाए।

गोपाल जीद्द पकड़ कर बैठा था ।कि मुझे छुट्टी दे दो। मैं फ्लैट में चला जाऊंगा ।
ऑपरेशन और अब तक का बिल 28 लाख के करीब आया हुआ था।
डॉक्टरों ने पेट में भरे पानी को निकालने के लिए एक पाइप लगा दिया था।
 पेट का पानी किसी डब्बे में जमा होता। पेशाब के लिए एक पाइप लगाई गई थी ।वह किसी थैले में जमा होता।
 हर वक्त शैतान का वक्त होता!
 हर वक्त खौफ का वक्त! क्योंकि हर जगह पाईप से ही काम चल रहा था।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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