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कसाईबाड़ा 23

7 दिसम्बर 2022

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शायद..?
क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था!
 जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों को बुरा एहसास हो।
 मगर कहानीकार होने के नाते कुछ लिखूं! सोचता फिर कलम रुक जाती! जब उसे बुक बनाकर प्रकाशित करूंगा- भाभी के हाथों लगेगी ओ पढेगी तो भाभी को शायद बुरा लगे।
जो खुशियां न मिली उन झरोखों में खड़े होकर  नजारा कराने का मेरा कोई इरादा नहीं था। मैं तो बस इस कहानी के दिल्ली की  गंगाराम की कारस्तानी ,उससे भी ज्यादा खूबसूरत चिकने चेहरे वाले ,और सब कुछ ठीक हो जाएगा की तसल्ली देकर जेब काटने वाले , जेब काटने वालेडॉक्टरों की कहानी बयान करना यहां उचित समझ कर मैं लिखने बैठा हूं।
अगर गोपाल सही सलामत लौटता तो मुझे कुछ लिखने का मूड भी नहीं था जब जमाई साहब-( अंजलि )बड़ी बेटी के पति आए थे, तो मुझसे एक सवाल किया था- क्या आप इसे कहानी में तबदिल करना चाहेंगे?
मैंने जवाब दिया था ।
है तो बहुत कुछ अस्पताल के बारे में लिखने को। क्योंकि जब प्रेस में रिपोर्टर हुआ करता था। तभी एक साल पूरा का पूरा एक साल सिर्फ स्वास्थ्य और अस्पताल संबंधी रिपोर्ट लिखता था। डॉक्टरों की कारस्तानी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और डॉक्टर के बीच की दवा बेचने का फंडा। और अस्पताल में होने वाले कांड जिसे हम मेडिकल लाइन के एक्सक्यूज के रूप में ले लेते हैं ।
हम नजरअंदाज कर देते हैं। कुछ तो इसलिए कि हम डॉक्टर को भगवान का एजेंट मानते हैं। हम यह सोचने लगते हैं कि डॉक्टर चाहे तो इंसानी जिंदगी को बचा सकता है।
और डॉक्टर करता है कुछ।
 और एक्स यूज़ के लिए कहता है- भगवान भी कुछ चीज है! उसके हाथ में है सब कुछ। हम सब्जेक्ट नहीं है -करता नहीं है कारक है। आबजेक्ट है।  व्याकरण की भाषा में कहें तो।

 सानू भी एक दिन मुझसे पूछती रही यहां भी कुछ आपको नजर आता है? एज ए रिपोर्टर?

मैंने कहा था- हां! सब कुछ जो तुम्हें नजर नहीं आता!
 मेरा रिपोर्टर दिमाग; कहानीकार दिमाग; सब कुछ देख लेता है। सफेदपोश क्राइम को ।सफेद चोंगे के अंदर छिपा हुआ भेड़िया दिखता है- मुझे!
 मैं यहां न रिपोर्टिंग करना चाहता हूं- नहीं कहानी! यहां बस- तुम, भाभी, तुम्हारा मैं काका!
 बस तुमसे अजीब सा लगांव है। इतनी दूर रहने के बाद भी प्यार है। तुम्हें जब देखता हूं, तो मैं सारी दुनिया भूल जाता हूं। सच में । गोपाल ने दो हीरे को जन्म दिया। तुम और विवेक। भाभी ने कितने अच्छे संस्कार दिया है। जब तुम दोनों को देखता हूं। तो मुझे गर्व सा होता है। तुम रियल टाइम हीरो हो। तुम  गोपाल की जी ने की आश हो।
भाभी की बातों में तवज्जो देता -मैं सोच रहा था। कि आज डॉक्टर से मुलाकात करना ही करना है।
 मैं और विवेक कई देर तक डॉक्टर सुधीर का इंतजार करते रहे। जब डॉक्टर राउंड-अप में आया तो मैं डॉक्टर सुधीर के पास खड़ा था।

 डॉक्टर दो -दो आदमी आप अंदर नहीं रह सकते, कृपया एक आदमी  बाहर जाइए। यही बात वार्ड के बाहर खड़ा गार्ड भी कहता रहा था।
 मै बोला था -कि मुझे डॉक्टर सुधीर से मरीज के सिलसिले में कुछ जानकारी हासिल करनी है।
डॉक्टर सुधीर ने मुझे तसल्ली देता हुआ कहा- कि आप बाहर चलो! हम बाहर बात कर लेंगे। कुछ देर आप इंतजार करो। मैं जबरन  वार्ड के बाहर गेट, से के बाहर आया ।और लिफ्ट के पास रुका रहा और इंतजार करता रहा।
डॉक्टर सुधीर और 2 जूनियर डॉक्टर राउंडअप करके करीब आध घंटे में बाहर आए। मैं बाहर ही खड़ा था। गंगाराम में बाहर खड़े होने की भी जगह नहीं है। सीट की बात तो अलग है ।मरीज को डॉक्टर खुद एक सिक्रेट स्टोरी बनाकर पेश करता है। जो कोई समझ ना पाए।
या कोई मीडिया चक्कर नहीं लगा था। यहां कोई न्यूज़ चैनल वाले कभी नहीं दिखते। कि फलाने डॉक्टर ने फलाना सफेद पोस मर्डर किया। यह गंगाराम है! गंगाराम। यहां डॉक्टर को एक्सक्यूज है ।क्यों ?क्योंकि डॉक्टर कभी परफेक्ट नहीं होता। ठीक हुआ तो ठीक है। नहीं हुआ तो भगवान के हाथ में है। कह कर अपना पल्ला झाड़ा जाता है।
करीब पौने घंटे के इंतजार के बाद डॉक्टर सुधीर बी ब्लॉक वार्ड  से बाहर निकला। उसे निकलते ही मैं उसके आगे खड़ा हुआ।
 डॉक्टर सुधिर-आप!?
 हां !मैं ..मैं मरीज का पराशर का भाई!
 डॉक्टर सुधीर -दश दिन टाइम दीजिए बस। ठीक होंगे ।अपने पैर में चलकर जाएगें।
मैं- यही बात कहते हुए ऑपरेशन के भी एक महीने से ज्यादा गुजर गए। मरीज की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। और तो और आपने कहा था कि पानी जो पेट में भर रहा था ऑपरेशन के बाद ठीक होगा। मगर, अभी ऑपरेशन के बाद भी हार हफ्ते पानी निकाला जा रहा है..क्यों ऐसा हो रहा है?

डॉक्टर सुधीर नई-नई पानी कम है ।पहले कितना निकलता था? हफ्ते में आठ लीटर अब दो लीटर ।वह भी लीवर की वजह से नहीं है। लिवर का ऑपरेशन सफल है।
 कारण है पानी भरने का किडनी की वजह से। पेशाब की जो पहले ईनको दवा देनी पड़ती थी- वही चीज अब पानी बन के पेट में जमा हो रहा है। जब से विवेक पैदा हुआ था। तब से गोपाल को पेशाब करने में प्रॉब्लम होती थी। बड़ी जोर से पेशाब लगा हुआ है ।मगर उतरता न था। डॉक्टर नर्स ने सलाह दिया था कि वॉशरूम में जाओ तो नलके को खोल लेना, पानी गिरता देखकर तुम्हें पेशाब करने का इंटेंशन बनेगा।
कई बार ऐसा भी हुआ था कि पेशाब करने के लिए भी उसे दवा लेनी पड़ती थी।
 अब डॉक्टर सुधीर को बहाना मिला था- कि यह वजह से तुम्हारे पेट में पानी जमा हो रहा है। मुझे उसकी बातें बचकानी  और मरीज को बरगलाने वाली बातें लगी थी। मैंने विवेक को बोला हम जो डॉक्टर किडनी के और पेशाब के बारे में ट्रिट कर रहा है उसे जाकर बात करते हैं।
फर्स्ट फ्लोर में डॉक्टर मालिक का चेंबर बना हुआ था ।हमने उससे मिलने की ठानी। फिर कई देर के इंतजार के बाद डॉक्टर मलिक से मुलाकात हुई ।
डॉक्टर मालिक से मरीज के बारे में बताते हुए पूछा -डॉक्टर सुधीर बता रहे हैं -कि किडनी की वजह से या फिर पेशाब की थैली की वजह से पेट में पानी भर रहा है! क्या ऐसा ही है?

डॉक्टर मलिक ने जो किडनी स्पेशलिस्ट थे- उन्होंने हमें बताया। देखिए कितनी की वजह से पेट में पानी नहीं भर रहा है ।जो पिसाब है उसके लिए तो हमने नली लगा रखी है। पेशाब बाहर थैली में जमा हो रहा है ।फिर पेसाब पेट में जाने की वजह नहीं है। यह किस
 लिए है यह सुधीर ही बता सकते हैं। आईएम स्योर पानी भरना किडनी की वजह से कदाचित नहीं है।

डॉक्टर सुधीर हमें गोल-गोल क्यों घुमा रहा था? ह्यूमन हेल्थ एंड एक्टिविटीज के बारे में साधारण इंसान को पता नहीं होता! तो आप गुमराह करेंगे ..? इसका अर्थ है.. कुछ गड़बड़ है ।ऑपरेशन गलत हुआ है। मेरे दिमाग में ही बात  घूम रही थी। कुछ लोचा है। मैं जिस सुधीर डॉक्टर सुधीर को लिवर ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट समझ रहा था।
 अब मुझे उस पर संकाय होने लगी थी। मुझे ही नहीं गोपाल के परिवार भी इस बात का डाउट करने लगा था ।यही ठगी हुई है। कहीं गलत है ।भाभी के दिमाग में भी झटका सा होने लगा था।
कफ़ का निकलना रुक नहीं रहा था। पानी जमना पेट में बंद हो नहीं रहा था।
 खांसी बरकरार थी ।खांसी का मतलब कफ़ का मतलब हर मिनट में कफ़।
 मुंह के छाले ठीक होने का नाम नहीं ले रहे थे। लेटे-लेटे कमर के निचले हिस्से का खाल सड़ने लगा था। पांव बेकार हो गया था ।हाथ और मुंह और पाओअपनी इच्छा से हिला सकता था। करवट बदलना भी नामुमकिन सा हो गया था ।हम डॉक्टर पर भरोसा कर रहे थे ।
और डॉक्टर हमारी भरोसे को तोड़ रहा था। हमारे विश्वास पर कील ठोक दिया था। हम लड़खड़ा रहे थे। हमारी आंखों से चमक गायब हो गई थी।
जबकि, डॉक्टर को ऑपरेशन के बाद गोपाल ने असम से लाया हुआ चाय पत्ती और अंगोछा ससम्मान दिया था। पहनाया था।
 मगर अब रौश ही रौश गिले ही गिले थे। शिकवा ही शिकवा था ।
क्योंकि ,डॉक्टर की कही गई बातों के मुताबिक ऑपरेशन के एक महीने के बाद आप अपने पैरों में चलकर जाओगे। अपने पैरों में चलना तो दूर आपने आप करवट भी नहीं लिया जा रहा था। मगर गोपाल के जीद पर फ्लैट पर लाने की विवेक ने मन बनाया था।

फ्लैट में गोपाल को लाना जोखिम से खाली नहीं था ।मगर लाना ही था। अभी स्थिति बहुत खराब सी हो गई थी ।किसी तरह उसे पकड़कर वॉशरूम तक ले जाना होता था। फिर वॉशरूम से बिस्तर तक ले जाना फिर कोमेड पर बिठाना। फिर उठाने के लिए जाना बच्चे परेशान थे।
 मगर क्या करते ,शिकवा का कोई अर्थ नहीं था ।मौत से लड़ते पापा को देखकर सानू की आंखें नम हो जाती ।मगर वह पापा के सामने रो कर दिखाना नहीं चाहती थी। वह एक बहुत ही समझदार बच्ची थी -बेटी थी।
विवेक सानू का छोटा भाई था। मगर उसमें भी हिम्मत बरकरार थी। रात भर पापा की देखभाल करता ।और दिन भर कंपनी से आने वाले क्रेडिट के लिए अस्पताल से डॉक्टरों से तालमेल बिठाने के लिए इधर-उधर भागता। सानू सुबह से खाना चाय नाश्ता करती। 
 छोटे भाई को रिलीज देने के लिए बाहर एक बजे पापा के पास अस्पताल पहुंचती। फिर विवेक कुछ काम करके फ्लैट में लौट आता। फिर खाना खा कर सो जाता।
 रात भर  नींद तो आती नहीं थी। उसे अब जब पापा को फ्लैट में ले आए थे ।सभी फ्लैट में ही तैनात रहते। भाभी की हालत सुधार हो चुका था ।खुद खड़ी होकर खाना बनाती सबको खिलाती। फिर अपने करहाते हुए शौहर के पांव दबाने के लिए बिस्तर के छोर पर बैठ जाती ।फिर जब तक नहीं थकती पैर दबाती।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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कसाईबाड़ा 2

16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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