shabd-logo

कसाईबाड़ा 11

24 नवम्बर 2022

12 बार देखा गया 12
ऑपरेशन की रात थी वह।
रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू  और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।
गार्ड़ने हमें याद दिलाया -आप लोग, तीन लोग यहां एक साथ नहीं आ सकते। एलाऊ नहीं है।
विवेक ने बताया लिवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन है ।डॉक्टर ने मिलने के लिए बुलाया है। तब जाकर बाहर गार्ड ने 3 लोगों को गेट से अंदर आने दिया।
वह गाड़ी बड़ी भयानक सी थी। जब हम आप्रेशन थियेटर के बाहर खड़े थे। हम तीनों के दिल पसलियों में धाडधाड करके बज रहा था। जैसे अपने ही दिल की धड़कन हमें सुनाई दे रही थी।
मैं कभी ऐसी परिस्थितियों से गुजरा न था। जब डॉक्टर का फोन आया-जब मेरे मुंह से यह बात निकल गई ।कि ऑपरेशन थिएटर में रात के 11:00 बजे सभी रिश्तेदारों को न जाने क्यों बुला रहा है? क्या बात है!?
इस बात से सानू का दिल अंदर ही अंदर दहल रहा था ।बार-बार यही सोंची जा रही थी ।कि रात की इस समय डॉक्टर के द्वारा काल आन संकास्पद लग रहा था ।घबराहट तो सभी में बढ़ गई थी।
सानू अपने आप को रोक नहीं पाई। वह  गार्ड से पूछ कर -चौथी फ्लोर में ।वास रूम में भाग कर चली गई थी। मैं -उसकी और विवेक की स्थिति समझ रहा था। वे तो उसके बच्चे थे। जिस का ऑपरेशन हुआ था ।2 घंटे पहले ही उनकी मम्मी को आईसीयू में ले जाया गया था। मम्मी को हल्का-हल्का सेंस था । उन्हीं का लीवर उसके पति के लिवर में प्रत्यारोपित किया गया जाना था।
इसीलिए घबराहट थोड़ी ज्यादा बढ़ गई थी। समझ में नहीं आ रहा था ।अगले छड़ क्या होने वाला था।
अगला छठ हर पल भयानक सा था ।अगला क्षण सस्पेंस के गोद में बैठा ।लॉलीपॉप जूस रहा था। अगला छठ तब पता चलता जब डॉक्टर बाहर निकल कर कुछ कमेंट करता। कुछ बताता। मगर अभी तक डॉक्टर निकला नहीं था ।हम बाहर खड़े अपने ही पसलियों में धड़कते दिल को महसूस कर रहे थे।
धक..! धक..! धक...! धक!
 दिल की धड़कन हर पल तेज होती जा रही थी।
 धड़कन बर्दाश्त न कर पाने की वजह से सानू बाथरूम की ओर भागी थी ।
और हम दिल को थामे खड़े थे। कब क्या समाचार आए अंदर से ।कब क्या हो ना हो!

 पता नहीं था। जब आदमी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा होता है। और उसके बाल बच्चे बाहर इंतजार कर रहे होते हैं ।
तब ..!?
अजीब सी धड़कन ।अजीब -अजीब सी बातों का सिलसिला दिल और दिमाग को समन्वय करने की कोशिश करती है ।
दिमाग आगे भाग रहा होता है ।और दिमाग के साथ साथ चलने के लिए दिल भी तेजी से धड़क रहा होता है।
क्योंकि ,बात जिंदगी और मौत के बीच झूलती हुई जिंदगी की होती है ।
सफल असफलताओं के बीच झूलती हुई होती है ।जिंदगी हम गहन खौफ  को अपने दिल की धड़कनों में थामे  पास रखी सीट पर बैठे थे।

जब भी अंदर से मुस्कुराता हुआ, आंखों में मोटे लेंस का चश्मा और सिर पर दूरबीन लगाए हुए डॉक्टर सुधीर का चेहरा चमका। बाहर आते ही उसने अंगूठा दिखाया कर तसल्ली भरी मुस्कान फेंका ।
विवैक खौफ से हिलता हुआ डॉक्टर सुधीर के पास पहुंचा -डॉक्टर !?
डॉक्टर सुधीर -परेशान मत हों।ऑपरेशन हंड्रेड परसेंट सक्सेस ,ऑपरेशन सफल रहा ।सौ प्रतिशत ।घबराने वाली जैसी कोई बात नहीं है। 15- 20 दिन के अंदर आप अपने पापा मम्मी को घर लेकर जा सकते हैं!
विवेक ने लंबी सांस छोड़कर- पूछा सच में डॉक्टर !?पूछते वक्त उसकी आवाज में हल्की कंपन सी थी।
 जैसे  विश्वास कर ना पा राहा हो।
सच..!?
डॉक्टर सुधीर बोला -योर फादर इज हंड्रेड परसेंट कंप्रोमाईजिंग , टू मच एनर्जेटिक, टू मच सपोर्टिंग, फुल विद कॉन्फिडेंस।
विवेक ने फिर से एक बार तसल्ली करना चाहा फिर पूछा- इज ईट सकसीड?
डॉक्टर सुधीर -हंड्रेड परसेंट !मैंने कहा ना ,वह बहुत सपोर्टिव है। उनकी आत्मविश्वास  के कारण ही ऑपरेशन सौ प्रतिशत सफल रहा।

उस वक्त विवेक की आंखों में एक प्यारी सी चमक चमक उठी। आप अपनी मम्मी से मिले? सी सो वेल कोऑपरेटिव। एन्ड टू मच वोल्ड लेडी- डॉक्टर बोला।

विवेक बोला -हां ऑपरेशन के बाद हम मम्मी से मिल चुके हैं। उन्हें थोड़ा थोड़ा सा  सेंस था। थोड़ी आंखें खोल कर मेरे हाथों को हाथ में लेकर थोड़ा दबाया भी था। और  उनको होश नहीं है है अभी।
हम उन्हें पांच से सात दिन के अंदर रिलीव कर देंगे ।उन्हें कोई बीमारी नहीं था ।और उनका लीवर इतना खूबसूरत था।कहता हुआ उसने मोबाइल से खींचा हुआ पेट के अंदर की तस्वीरें मोबाइल पर ही दिखाया ।कोई बीमारी नहीं ,मगर आपके पिता का कलेजा। एक मिनट मैं आपको दिखाता हूं। करता हुआ एक दूसरा शख्स जो थिएटर के बाहर ही खड़ा था। दरवाजे पर ।उसको इशारा किया ।बोला --इनको इनके पापा का कलेजा जो हमने कट आउट किया था !लाकर दिखाइए!

राघवन अंदर गुसा और कुछ सेकंड के अंदर एक बर्तन में हरा कपड़ा रखा था ।और हरे  कपड़े के ऊपर रखा हुआ कलेजा लेकर  आया और दिखाएं।
डॉक्टर ने कलेजे के ऊपर उंगली से इशारा करता हुआ दिखाया- यह जो देख रहे हैं- बबल- बबल सा। यह कैंसर है।जो कुछ ही दिनों में इनकी जान ले लेती ।यह बीच में देखिए यह हार्डसा दिखाई दे रहा है ।कलेजे के अंदर यह कैंसर था ।अगर इस वक्त हम नहीं निकालते तो उनकी बस लास्ट स्टेज था। और 10- 20 दिन के मेहमान थे।
विवेक कालेजे को देखता हुआ ,हल्का सा चीख सा पड़ा - ओ माय गॉड !ईज‌ईट!?
डॉक्टर सुधीर बोला -तुम लोगों ने इन्हें सही समय पर अस्पताल पहुंचाया है। नाऊ ही इस स्केप्ड।
उसी वक्त सानू वापस आ गई थी। सानू डॉक्टर सुधीर को देखते ही उसे  हाथ पकड़ कर फफक फफक कर रो पड़ी ।मेरे बाबा को बचाओ.. मेरे बाबा को बचाओ ...मेरे बाबा को बचाओ !डॉक्टर !रोती रोती सी बोली -डॉक्टर मेरे बाबा को बचा लो! मेरे बाबा को बचा लो डॉक्टर!
मैं-सोनू यह डॉक्टर कर रहे है !ऑपरेशन सफल हो गया है। वह अब ठीक हो जाएंगे ।वह ठीक हो जाएगा ।मत रो प्लीज।

वह फफक ती रही। मैं शांत कराता रहा ।कुछ देर में उसका फफक ना बंद हुआ ।अब सानू और विवेक को कुछ तसल्ली सी हो गई थी।

डिगबोई से आते ही विवेक ने ओल्ड राजेंद्र नगर में एक धर्मशाला का एक कमरे का सेट रेंट पर ले लिया था। मैं धर्मशाला की ओर पलटा था ।सानू मां के पास और विवेक बाबा के पास रुकने के लिए वही अस्पताल में ठहर गए थे।
हम सभी भगवान का लाख-लाख शुक्रिया अदा कर रहे थे। कि ऑपरेशन सफल होने की खुशखबरी डॉक्टर ने हमें दी थी।

                                                   *******
40
रचनाएँ
कसाईबाड़ा
0.0
मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
1

कसाईबाड़ा 1

16 नवम्बर 2022
4
0
0

वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

2

कसाईबाड़ा 2

16 नवम्बर 2022
1
1
0

हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

3

कसाईबाड़ा 3

17 नवम्बर 2022
1
1
0

एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

4

कसाईबाड़ा 4

17 नवम्बर 2022
0
1
0

जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

5

कसाईबाड़ा 5

17 नवम्बर 2022
0
0
0

मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

6

कसाईबाड़ा 6

18 नवम्बर 2022
0
1
0

जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

7

कसाईबाड़ा 7

18 नवम्बर 2022
0
0
0

तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

8

कसाईबाड़ा 8

19 नवम्बर 2022
0
0
0

आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

9

कसाईबाड़ा 9

19 नवम्बर 2022
0
0
0

विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

10

कसाईबाड़ा 10

19 नवम्बर 2022
0
0
0

डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

11

कसाईबाड़ा 11

24 नवम्बर 2022
0
0
0

ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

12

कसाईबाड़ा 12

25 नवम्बर 2022
0
0
0

ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

13

कसाईबाड़ा 13

25 नवम्बर 2022
0
0
0

थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

14

कसाईबाड़ा 14

26 नवम्बर 2022
0
0
0

विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

15

कसाईबाड़ा 15

4 दिसम्बर 2022
0
0
0

ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

16

कसाईबाड़ा 16

4 दिसम्बर 2022
0
0
0

एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

17

कसाईबाड़ा 17

4 दिसम्बर 2022
0
0
0

एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

18

कसाईबाड़ा 18

5 दिसम्बर 2022
0
0
0

गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

19

कसाईबाड़ा 19

5 दिसम्बर 2022
0
0
0

एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

20

कसाईबाड़ा 20

5 दिसम्बर 2022
0
0
0

एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

21

कसाईबाड़ा 21

6 दिसम्बर 2022
0
0
0

उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

22

कसाईबाड़ा 22

6 दिसम्बर 2022
0
0
0

विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

23

कसाईबाड़ा 23

7 दिसम्बर 2022
0
0
0

शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

24

कसाईबाड़ा 24

7 दिसम्बर 2022
0
0
0

मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

25

कसाईबाड़ा 25

8 दिसम्बर 2022
0
0
0

सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

26

कसाईबाड़ा 26

8 दिसम्बर 2022
0
0
0

गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

27

कसाईबाड़ा 27

8 दिसम्बर 2022
0
0
0

विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

28

कसाईबाड़ा 28

9 दिसम्बर 2022
0
0
0

धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

29

कसाईबाड़ा 29

10 दिसम्बर 2022
0
0
0

पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

30

कसाईबाड़ा 30

10 दिसम्बर 2022
0
0
0

मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

31

कसाईबाड़ा 31

12 दिसम्बर 2022
0
0
0

सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

32

कसाईबाड़ा 32

12 दिसम्बर 2022
0
0
0

अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

33

कसाईबाड़ा 33

13 दिसम्बर 2022
0
0
0

लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

34

कसाईबाड़ा 34

13 दिसम्बर 2022
0
0
0

अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

35

कसाईबाड़ा 35

14 दिसम्बर 2022
0
0
0

धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

36

कसाईबाड़ा 36

14 दिसम्बर 2022
0
0
0

वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

37

कसाईबाड़ा 37

14 दिसम्बर 2022
0
0
0

मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

38

कसाईबाड़ा 38

15 दिसम्बर 2022
0
0
0

परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

39

कसाईबाड़ा 39

15 दिसम्बर 2022
0
0
0

एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

40

कसाईबाड़ा 40

15 दिसम्बर 2022
1
0
1

गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए