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कसाईबाड़ा 26

8 दिसम्बर 2022

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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था।
 इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर दिया था ।
अंजली का देवर था जो सानू को पसंद करता था। मगर अंजली के देवर से बात चलाने से सानू ने हीं मना कर दिया था। दो बहनों की एक ही घर में सही नहीं है। ऐसा कह कर सानू ने मना कर दिया था।
अब सानू के दिल में क्या बात था? वह तो अलग बात थी। मगर मना कर दिया था ।
सानू सरकारी नौकर थी। तो उसके लिए ऐसा ही लड़का ढूंढ थोड़ा जा रहा था। मगर सरकारी वाले एक आधआए भी तो ऐसे जो अपने स्टेटस के ही नहीं थे ।और उसके लिए सानू को तबादला करना पड़ता ।और सानू मां बाप को छोड़कर दूर जाना नहीं चाहती थी ।ईस बात का जिक्र को पालने दुखी होते हुए मुझे बताया था।
या यह बात भी हो सकती थी। कि सानू अभी शादी के लिए सीरियस नहीं थी। शादी के लिए मेंटली प्रिपेयर नहीं थी।
 यह बात नहीं थी। कि सानू के लिए लड़के नहीं मिले थे ।मगर बेरोजगार लड़कों से शादी करवा कर उसके जिंदगी में जहर घोल ने से अच्छा यही होता की शादी ही ना कराते।
इस वक्त सानू की उम्र भी हाथ से निकलती  जा रही थी। सानू का उम्र ढलता जा रहा था। मगर अभी तक ठोस डिसीजन वह लेने नहीं पा रही थी ।दिल से जितना वह मजबूत थीं। अपने आप कोई ऐसा कदम नहीं उठा पाती।
 गोपाल कहता यह बताए तो। जाति बिरादरी का नाम भी हो तब भी मैं उसके हाथ पीले कराने के लिए तैयार हूं ।मगर सानू को कोई पसंद भी आए तब ना!
कहता कहता गोपाल खामोश हो गया था। जैसे बहती हुई नदी अचानक बहती- बहती रुक सी गई हो! समंदर की लहरों में अचानक रवानगी खत्म हो गई हो!
 मैं- चिंता क्यों करते हो ?हो जाएगी उसकी शादी भी ।हो जाएगी। कन्यादान तुम ही करोगे। तुम भी डांस करोगे।
गोपाल मुस्कुराया भर। नहीं न कह सका!

गोपाल की आंखों में नमी भर गई थी। शायद वह मेरी बातों को भी ..न ,करना नहीं चाहता था। वह नहीं चाहता था कि उसके लिए मेरे आंखों में भी आंसू बह आए ।
 दिल्ली में पहली बार जब अस्पताल में देखने के लिए गया था ।तब उसकी बातों से मेरी आंखें नम हो गई थी। मैं बोला था -तुमसे मिलने के लिए मैं डिगबोई आना चाहता था। मिलना चाहता था। मगर यूं ऐसी हालात में मिलोगे मैं सोचा ही नहीं पाया था। मेरी आंखें नम हो गई थी। मेरी आंखों की नमी को उस ने भाप लिया था ।
मैं बोला भी था -अब रुलाओगे क्या?
तुम ठीक हो कर जल्दी से डिगबोई पहुंचा तो। फिर उन गलियों में एक बार हम जरुर घूमेंगे। उन भूले हुए यादों के सिलसिले में फिर से एक बार गुनगुनाएंगे ।
मैं आंसू में भर गया था ।उसे पता था ।मेरे दिल की बात आंखों की नमी को फिर मैं जल्दी से निकला था ।शाम को फिर आऊंगा कह कर।

 वह बोला- शाम को भी आधे घंटे के लिए सिर्फ दो आदमी को मिलने देगा।
मैं बोला -फिर कल सुबह मिलूंगा!
गोपाल बोला-  यही ठहर जाना। कमरे में( फ्लैट में )
मैं बोला -ठहरने का कोई प्रॉब्लम नहीं है! मैं यही दिल्ली में रहता हूं! तुम्हें पता तो है!

गर्मी का मौसम तेज पर था।
 दिल्ली की गर्मी यूं ही कड़क होती है ।दिल्ली का मौसम- गर्मी में अत्याधिक गर्मी! और ठंड में भी अत्यधिक ठंड सा हो जाता है।
 मगर, गंगाराम के अस्पताल वार्ड में गर्मी का एहसास नहीं होता ।पूरा का पूरा अस्पताल चिल्ड होता है ।मरीज और कोई भी अस्पताल के अंदर रहने वालों को गर्मी का एहसास होता ही नहीं है।

मैं बोला था- बाहर बहुत गर्मी है ।यहां गर्मी की वजह से इधर उधर जाने में तकलीफ होती है।
 उस वक्त जब पहली बार अस्पताल में एडमिट था ।तब यहां ठहरने के लिए किसी को डॉक्टर ने यह अस्पताल आथरिटी ने इजाजत न दी थी। मगर विवेक नीचे बने वेटिंग रूम में ठहरा रहता ।न जाने बाबा को किस चीज की जरूरत पड़े ।और कब बुला ले।
विवेक से भी यहां पहली बार मेरी मुलाकात हुई थी।
 कई सालों बाद भाभी और सानू से भी।
 विवेक को देखकर लगा था -कि यह डिगबोई आया हुआ है।
 विवेक और मैं बातें करने लग गए थे ।विवेक ने जहां ठहरे थे वहां ले गया था मुझे ।तब मामला इतना सीरियस लगा ना था।
भाभी बोली थी- हमें पता ही नहीं था! कि वह ग्रुप वाले जैसे किसी भी को भी ब्लड दान दे सकता है। वैसे ही लीवर भी डोनेट कर सकता है। तब जाकर मैंने फैसला किया कि मैं इनको लिवर डोनेट करूंगी।
मेरे दिमाग में भी यह नहीं था या लिवर ट्रांसप्लांट का मामला है। और महीने भर की दिल्ली में स्टेबिलिटी होगी फिर डिगबोई रवानगी।
 बच्चे और भाभी भी यही सोच रही थी। मगर मामला इतना हल्का न था ।जो लंबा खींचने वाला था। किसी ने भी यह नहीं सोचा था।
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद भी डॉक्टर रोज ब्लड टेस्ट करते रहे ।
उसकी चमड़ी बिल्कुल पतली हो गई थी। कागज की तरह हो गई थी ।चेहरे में और शरीर में डार्कनेश आ गया था ।
यूं तो डार्कनेस पहले से ही था। डिगबोई से आते वक्त भी डार्कनेस था ।आब तो चेहरा और ज्यादा डार्क हो गया था।
मैं कुछ दिन से उन्हीं के पास पड़ा था ।मुझे हर वक्त डर लगा रहता- कि अब सांसे ना बंद हो जाए। अगर सोते देखता तो उसके छाती पर नजर  गड़ाता- सांसो को चढ़ता उतरता देखकर तसल्ली होता। कि आदमी जिंदा है। थोड़ी सी देर अगर सांसो को ना ही देखता तो मेरा दिल की धड़कने तेज हो जाती।
सबको पता है- मौत की सच्चाई फिर भी आदमी क्या करता ? इंसान को मौत से कोई नहीं बचा सकता? खुद भगवान भी नहीं! फिर डॉक्टर  क्या चीज है? सारा खेल उसी का रचाया हुआ है।
मैं देख रहा था गोपाल की स्थिति में कोई सुधार नहीं था दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी।
 अभी किराए के फ्लैट में थे ।
मगर अब डायरिया या का दौर शुरू हो चुका था।
एक तो कब की वजह से खांसी बरकरार थी। थुकपे थुक निकलना ।थूकना फिर वोमिट। अब डायरिया।
 पहला दो-तीन दिन तो चलकर पकड़कर टॉयलेट में को मोड पर बिठाते रहे ।इस स्थिति में सुधार नहीं। और फिर गिरावट थी। शुगर बड़ा हुआ था ।
बीपी भी बड हुआ था। सांसो में नियंन्त्रण नहीं था।
भाभी दूसरे कमरे में बैठ कर रो लेती- बोलती क्या सोच कर आए थे। विवेक! क्या हो रहा है!

 मैं भाभी को कहता- क्यों रो रही है। अभी कुछ हुआ थोड़े हैं। यह तो लिवर ट्रांसप्लांट के बाद होने वाले साधरण दुश्वारियां है ।डॉक्टर ने बताया है- सब कुछ ठीक चल रहा है! और खौफ़ खाने की कोई जरूरत ही नहीं है।
मेरी तसल्ली से भाभी को कोई खास तसल्ली नहीं मिलती ।क्योंकि स्थिति वह सामने देख रही थी। जो भी गुजर रहा था ।उसे अपनी आंखों से देख रही थी।
बाबू आंसुओं को पूछ कर धीरे से बोलती- मैं समझ नहीं पा रही ;कि सुधार क्यों नहीं हो रहा। एंटीबायोटिक कम कर दी गई है। विटामिन बी दिए जा रहे हैं। प्रोटीन डाइट भी दिए जा रहे हैं। मगर स्थिति में कोई सुधार नहीं है। दिन-ब-दिन और ढलता जा रहा है।

भाभी को क्या कुछ अंदेशा हो गया था! क्या उसे इनट्यूशन मिल गई थी ?वह हर वक्त भगवान के जाप में लगी रहती थी। क्या उससे किसी बात का पहले ही पता था? क्या दुनिया को वह यह नहीं दिखाना चाहती थी- कि हमने कुछ नहीं किया , हमने मरिज को बचाने की कोशिश ही नहीं की ।दुनिया को यह भी दिखाना चाहती थी- कि उनके लिए मैंने अपना लिबर डोनेट किया है। शायद उसे सब कुछ पता था। सब कुछ!
अभी अंदरूनी कम्युनिटी  में ह्रास होता जा रहा है ।
ड्रग्स दे देकर अंदर की है एम्यून सिस्टम को दबा रखा था। अब वह दवा कम करने की वजह से फिर से ऊभर आया है। और डॉक्टर इसी तरह धीरे-धीरे दवाई का डोज कम करा रहे हैं। फिर धीरे-धीरे लेवल में आएगा।
मौत की परछाई धीरे-धीरे गोपाल की और सड़क रही है।
मौत के काले बादलों से आसमान बिल्कुल काली मां मय हो गया है ।चारों तरफ तेज हवाएं हैं। घुप अंधेरा है। शहर की पत्तियां गुल हो चुकी है। उसी वक्त यमराज धीरे-धीरे गोपाल की ओर अपने मंद मंद मुस्कान लिए बढ़ रहा है। भाभी को क्यों न जाने ऐसा लग रहा है।


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रचनाएँ
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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