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कसाईबाड़ा 24

7 दिसम्बर 2022

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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता।  गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर में जान नहीं रह गई थी ।शरीर में मांस का तो कोई नामोनिशान नहीं था। चमड़ी हड्डी से जाकर सट सी गई थी।
मुझे अपने पापा की याद आ गई थी। जब पापा गुजरे थे। तब मैं उनके पास पहुंच न पाया था। बिल्कुल बीमार हो गए थे ।वे भी बिस्तर से सट से गए थे। उनको वॉशरूम उठाकर ले जाना पड़ता था। मगर कोरोनावायरस की वजह से फुल लॉकडाउन की वजह से मैं उनके पास पहुंच न पाया था। मुझे मलाल है कि मैं उनकी सेवा न कर पाया था।
मैं पापा की इतनी सेवा न कर पाया जितनी सेवा में गोपाल की कर रहा था। मेरे पापा जब गुजरने वाले थे -मुझे छोटे भाई ने कॉल किया था। पापा अभी बिस्तर में ही गंदगी करने लगे हैं ।
तब मैं मैं भाइयों का फोन उठाने से भी डरता था। कब यह समाचार आ जाए, कि भाई बोले- पापा नहीं रहे !
फिर भी जाने वाले को हम इंसान रोक नहीं सकते ।हमारे बस में कुछ नहीं है।
जब ऊपर वाले का बुलावा आता है। तब तत्काल इंसान को जाना होता है ।इंसान एक क्षण भी यह नहीं बोल सकता। रुक जाओ मैं फलाने से यह बोल आता हूं ।या बस रुक जाओ मैं यह काम कर लेता हूं। या रुक जाओ मैं फलाने से मिलाता हूं ।
नहीं बस मौत आती है- तो  ले ही जाती है। किसी की नहीं सुनती।
6:45 बजे के करीब मेरे छोटे भाई का सुबह कॉल आया था। उसने बाल सिलवा रखे थे। कहां पापा जी अभी नहीं रहे। कोरोनावायरस था आदमी हिल ही नहीं सकता था। घर जाने की बात तो दूर पापा के अंतिम दर्शन भी कर न पाया। मलाल दिन में रह गया। मगर पता है-- यही होता है।
खैर..!!
मैं कोशिश करता कि गोपाल को कुछ राहत महसूस हो। कुछ आराम हो। कुछ अच्छी नींद आए।
 मगर गोपाल रिकवरी की ओर जा ही नहीं रहा था। थुकपे थुक हर मिनट में तो निकलता। जब खाना पचाने वाला थुक ही शरीर में नहीं रहा तो- वह इंसान क्या कर सकता था ?
इसी से पैदा होता है- कैंसर ।मेरे दिल कहता । मगर, फिर भगवान से मनाता कि मेरा दोस्त ठीक हो जाए !
सही सलामत घर लौट जाए।
अब गोपाल की मुश्किलाते है और ज्यादा बढ़ गई थी।
अब सीने में भी छेद करके पानी निकाला जा रहा था।
 इस बात का जवाब डॉक्टर सुधीर -लिवर स्पेशलिस्ट एंड स्पेशलिस्ट इन ट्रांसप्लांट एंड सर्जरी के पास भी नहीं था ।
वह मरीज के घरवालों को गेट की तरह कभी इधर डालता कभी उधर डालता ।
तसल्ली बस जवाब उसके पास भी नहीं था। उसे खुद समझ नहीं था -कि क्या माजरा है ?या उन्हें पता था !कि क्या हो रहा है !क्योंकि- ऑपरेशन से पहले ही उन्हें पता था ।मरीज की हालत क्या होने वाला है ।और कितने दिन तक वह सरवाईव कर पाएगा।
उनको सब कुछ पता था। सब कुछ जानते हुए भी, समझते हुए भी ,सर्जरी जैसी कष्टदायक  स्थिति से उन्होंने गोपाल को गुजारा था। गोपाल की वाइफ को गुजारा था। वह इसलिए कि आयल इंडिया मरीज की जिंदगी के लिए- उसे सही सलामती के लिए- क्रेडिट यीशु कर रही थी।
 उन्हें असूल करना था ।अपनी जेबे भरने था।
रोज कई टेस्ट हो रहे थे ।रोज 20-20 यम यल खून निकाला जाता ।रोज दो बार शुगर टेस्ट होता। पिसाब भी रोज टेस्ट किए लिए जाता। मगर रिकोवरी नकारात्मक  नदारद था।
डॉक्टर को पता नहीं लग पा रहा था। कि किस वजह से शरीर में नकारात्मकता बढ़ रही है? किस वजह से प्रॉब्लम बढ़ रही है? क्यों शरीर रिकवर कर नहीं पा रहा ?इतने दवाओं  बाद भी मरीज  रिकवर कर नहीं पा रहा था। वजह क्या थी!?
पल-पल अपनी और बढ़ते हुए मौत से लड़ते हुए गोपाल की आंखों पर मैं देखता तो यूं लगने लगता जैसे किसी मुर्दे की आंखें हों।
होठों से मुस्कान खत्म हो गया था ।
बोलने की भी तकलीफ होने लगी थी ।
खांसी बढ़ गई थी ।खांसते खांसते वक्त शरीर का सारा का सारा आर्गन हिल जाता। दर्द से कराह उठता।
वह कहता कामाख्या माता रक्षा करना। कामाख्या से लाई हुए एक पीतल की मूर्ति सानू ने पापा के सिरहाने रख दिया था ।
और मंदिर से जाकर पापा के लिए मन्नत भी मांगी ।
मंदिर रोड पर जाकर लक्ष्मी नारायण मंदिर पर भी बैठ कर मन्नते मांगी।
 प्रसाद चढ़ा, मंदिर से पूजा करके गले में बांधने के लिए धागा ले आई ।पापा को तिलक करके प्रसाद चटाया।
ऊपर वाले ने गोपाल की कहानी में जो लिख छोड़ा था। वह मिटने वाली नहीं थी ।हर किसी के जिंदगी में ऊपरवाला कुछ ना कुछ लिख कर भेजता है।
 जिंदगी तो मौत से दो-दो हाथ करने वाली थी। जब परमपिता ने जो लिख भेजा है- वही अक्षरस होने वाला था। हम तुम कुछ भी करते बदलने वाला न था ।जीतने भी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे का चक्कर लगालें।
डॉक्टरों का ड्रामा चल रहा था।
 मेरे आंखों के आगे ड्रामा खेला जा रहा था। डॉक्टर के फेरों से बचने के लिए ,दिन के कई कई बार के टेस्ट और डॉक्टरों का हर आधे घंटे का वह दौर से बचने के लिए ,नर्सों की वह खूबसूरत चेहरे के पीछे छुपा  सत्य को झांकने से बचने के लिए ,दिन भर के उन मशीनों से, मशीनों की आवाज से बचने के लिए, बाहर की हवा ,आबोहवा थोड़ी-थोड़ी लगे इसलिए, गोपाल ने अस्पताल से फ्लैट में आने की जिद की थी ।
और आ भी गया था।
 मगर यह आवागमन भी कितने दिन की थी!?


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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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