एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते।
जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !
नहीं ..नहीं में तुमने कई लाख दे दिए ।अब भी हिसाब बाकी था ।अब भी उनको लेना बांकी था।
कसाईबाड़ा में मौत की भी कीमत है। सफेद चोंगों में लिपटे कसाईयों को मौत का गम नहीं है ।बस रुपए की लालसा है।
मिला।
विवेकी हिसाब कर आया था। फिर मिट्टी को डिगबोई ले जाना था।
क्योंकि मिट्टी जहां की थी वहीं पर लोग इंतजार कर रहे थे ।
पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन के लिए।
मगर ,जो मर गया वह -तो बस चला गया ।
मृत शरीर का रिश्ता सिर्फ एक से था -जमीन से !मिट्टी से !
मिट्टी का शरीर मिट्टी में ही मिलना था ।कुछ नहीं बचा था ।
तेरा- मेरा ;घमंड इर्ष्या सब कुछ खत्म ।
शांत ।बस शांति गोपाल सदा के लिए हवा में विलीन हो गया था। सदा के लिए सिर्फ यादों में ही बस गया था।
झरनों में मैं लूंगा ।
बचपन में मैं खेलूंगा ।
लाल पहाड़ी में फिसलन -फिसलन खेलते, बचपन में मैं फिर से जी लूंगा।
मैं यही रहूंगा ,तुम्हारे आसपास।
गभिगते हुए बचपन में, सरसराती हवाओं में।
तुम मुझे देखोगे,
तुम कहोगे मैं न हूंगा ।
मैं वहीं पर हूंगा ।
आंसू बहाना मत ,रोना मत ।
मैं जाऊंगा, तो कोई आएगा ।
संसार है- मैं फिर फूलों में खिल खिलाऊंगा। फूलों में गुनगुना लूंगा।
तुम मुझे देखोगे, आंखें बंद करो तो ।
तुम्हारे दिल में धड़क लूंगा।
मैं तुम्हारे पास ही रहूंगा ।मैं तुम्हारे पास ही रहूंगा।
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