एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।
सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।
थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चेकअप कर रहे सभी डॉक्टर जमा थे। सभी डॉक्टर का अर्थ किडनी फेफड़ा वैली लीवर एक्स्ट्रा।
सुधीर ने बात का खुलासा किया- रिजल्ट नेगेटिव है !सभी डॉक्टर उस वक्त गोपाल का रिपोर्ट चेक कर रहे थे ।और कुछ प्रोग्रेस रिपोर्ट सो हो रहा था ।मरीज के अटेंडेंट और उनके परिवार वालों को यही बताया गया था।
वास्तव में--
गोपाल की बॉडी नेगेटिव रिस्पांस दे रहा था।
इंसान दवा के बल पर ही जी रहा है। आर्गन सारे काम कर नहीं रहे ।ऑपरेशन के बाद भी पानी जमा होना खत्म नहीं हुआ है ।ऑपरेशन के बाद भी 7 लीटर पानी निकाला जा चुका है।
उसे फिर फिर से आइसीयु पर रखा जाना चाहिए।
क्यों!? इस तरीके से अब ठीक हो जाएगा?
क्योंकि उसको जिस कंपनी के द्वारा यहां भेजा गया है ।वह खर्चा कर रही है ।सात दिन के लिए उसे आईसीयू में भर्ती किया जाएगा। इससे उसकी हालात कुछ दिनों के लिए यूं लगेगा --जैसे सुधार हो रहा है। बस इतना ही।
सुधीर -मैंने वादा किया था। कि वह अपने पैरों पर चलकर अपने घर जाएगा।
वरिष्ठ -मगर वह नहीं जा पाएगा !तुम्हें पता है! इतना आयल इंडिया देती है !दे सकती है खींच लो! वह मरेगा वरना जीना तो हमारे हाथ में नहीं है !मगर उससे हमारी कमाई तो बढ़ सकता है!
डॉक्टर सुधीर -सिर्फ पैसे के लिए, हम एक इंसान की जिंदगी से खेलते रहेंगे!?
वरिष्ठ डॉक्टर -ऑपरेशन करके सबसे ज्यादा चार्ज तो तुमने ही बसुला है ।सबसे ज्यादा तो
तुम्हारी कमाई हुई है। यूनो डॉक्टर नेवर भी परफेक्ट ।ऑलवज प्रैक्टिसिंग विद द पेशेंट। हाउ हुई ट्रिट इट्स इज दी मेंटर।
डॉक्टर सुधीर -इट वाज गोन केश! गोन केश! ओन्ली टू आरनिंग सोर्स आई फेल्ट वेरी डिफिकल्ट ।बाय माय हार्ट ।आई फेल्ट गिल्टी। उन्होंने मुझे सम्मान किया ।ऑपरेशन सही करने के लिए अंगोछा प्रदान किया ।सम्मान किया फिर भी हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं।
वरिष्ठ -आपन उन्हें सो किया ना !कि वह खाता पीता था !खड़ा भी होता था! वह हंस्ता बोलता भी था।
सुधीर -मगर हाउ मच दे! मैं उनके आंखों का सामना नहीं कर पा रहा ।यह व्यक्ति जो मरीज का भाई कहता है -अपने आपको! उसे मैं नजर मिला नहीं पा रहा ।उसकी आंखों में न जाने क्या है ।स्लो -स्लो बोलता है ।मगर उसकी नजरें मुझे गिल्टी बताते हैं। नेवर ..नेवर ही कांट नो द प्रोफेशन ऑफ डॉक्टर ।मगर आई फील ही ईज सेइंग समथिंग ।व्हाट एवर आई कुड नाट लिसन।
डॉ वरिष्ठ-आई मैट हिम।ईटस योर फीलिंग। ऑलवेज फील बट यू नेवर बी गिल्टी। यू नेवर फैल ।जब आप हथियार डाल दोगे ।मरीज के रिश्तेदार आप पर चढ़कर बोलेंगे। आप को स्ट्रांग रहना है। वारदात हुई।उई यार सपोर्टिंग यू। ऐसे केसेज कई आते हैं। जाते हैं और होता भी है ।गलतियां हम करते भी हैं। मगर अपनी गलती को आप गलती नहीं कोशिश कह सकते हैं।
कोशिशे सफल हो सकती हैं। यह सभी जानते हैं ।ऐसे ऑपरेशन 10% मात्रा सफल होते हैं। वह 90% में था जो असफल हो गया। हम यह मान के चलते हैं -कि इस ऑपरेशन के बाद इंसान अपने पैरों पर चलकर अपने नेटिव प्लेस लौट जाएगा ।मगर लौटा नहीं ,तो हम क्या कर सकते हैं ।हम भगवान तो नहीं है!!
डॉक्टर सुधीर- मैंने आपको यह पहले ही कहा था ।
यह मरीज ऑपरेशन के बाद भी बच नहीं पाएगा।
डॉक्टर वशिष्ठ -पता है !ऑपरेशन नहीं होता तब भी जिंदा नहीं रहता! ऐसे कैसेज इसको हम भगवान के ऊपर छोड़ देते हैं ।कुछ प्रतिशत भगवान ठीक भी कर देते हैं। ऐसा पहली बार हो नहीं रहा ऐसा तो होता रहता है।
डॉक्टर सुधीर-यू आर जीनियस डॉक्टर! डॉक्टर सुधीर ने बरिस्ट के हाथ जोड़ा बोला- आप तो बस।
डॉक्टर वरिष्ठ- मैं क्या कह रहा हूं- ऑपरेशन ना भी होता तो भी वो जिंदा नहीं रहता! हमारे पास आया हमने कुछ महीने उसे जिंदा रखा। उसे जिंदगी देने की कोशिश की ।।अब भगवान की मर्जी नहीं है। जिंदा नरहे तो हम इसमें क्या कर सकते हैं ।यह तो हमारे हाथ में है ही नहीं। जिंदा रहेगा या मरेगा।
चित भी मेरी पट भी मेरी!!
डॉक्टर्स ऑलवेज राइट!ऑलवेज राइट !यू आर द स्पेशलिस्ट इन लिवर ट्रांसप्लांट ।एंड इट इज द मोस्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ऑफ इंडिया- नॉट ओनली दिल्ली! शो यू मस्ट बी द राइट! ईफ़्यू फील गिल्टी ईफ यू शो द गिल्टी देन नो गंगाराम बिल लाइव।
अपनी पापुलैरिटी आपने स्पेशलिटी बनाए रखने के लिए भी गंगाराम फेमस है ।फिर गिल्टी डॉक्टर ,गिल्टी स्पेशलिस्ट ,विल वेनिश द नेम एंड फेम ऑफ द हॉस्पिटल एंड हॉस्पिटैलिटी। शो द ब्रेव। थिंक राईट ,सो राइट, यू आर ऑलवेज राइट।
डॉक्टर वरिष्ठ आपने सिट छोड़ कर उठा । साथ में किडनी संबंधी डॉक्टर और सारे स्पेशलिस्ट भी थे। उठे और दरवाजा खोलकर एक साथ बाहर निकले ।डॉक्टरों का टीम राउंडअप में निकल पड़ा। सबसे पहले गोपाल के पास ही पहुंचा।
गोपाल के पास पहुंचकर बोला -गुड मॉर्निंग! कैसे हैं आप?
गोपाल करहाता सा बोला- प्रॉब्लम चल रहा है। मुंह के छाले ठीक हो नहीं रहें हैं।
वरिष्ठ- एंटीबायोटिक की वजह से शरीर में गर्मी बढ़ी हुई है !इसीलिए मुंह में छाले पड़े हुए हैं ।मैं आज से एंटीबायोटिक कम कर देता हूं। ठीक है और कोई प्रॉब्लम नहीं है।
गोपाल -और मेरा बायां पाव सूजन हो रही है। चल ही नहीं पा रहा हूं।
डॉक्टर वरिष्ठ- कुछ नहीं !लेटे रहने की वजह से है ।जैसे उठकर चलने लगोगे ,तो ब्लड सरकुलेशन होने लगेगा। फिर यह भी ठीक हो जाएगा। ठीक टॉयलेट सही हो रहा है?
गोपाल -अभी टॉयलेट में तो प्रॉब्लम नहीं है। अभी पेशाब में प्रॉब्लम है।
वरिष्ठ- कुछ नहीं ..कुछ नहीं !डॉक्टर मालिक हैं। वह आपका यूरिन से रिलेटेड सभी चीजों को ध्यान में रख रहे हैं ।टेंशन फ्री होकर रहें। सब ठीक होगा ..और चलते फिरते रहे ..खाते पीते रहें। फिजिकल थैरेपिस्ट को आपके पास भेज देता हूं। दिन में दो या तीन बार आपको एक्सरसाइज भी करा देगा ठिक है..! कता हुआ डॉक्टर का टीम बाहर निकल गया!
डॉक्टरों का टीम बाहर निकल जा चुका था।
गोपाल के पेट में फिर से मारोड़े आने शुरू हो गए थे ।गोपाल सोच रहा था ।कि घर में चला जाऊंगा ।तो सब ठीक हो जाएगा।
यहां हर वक्त डॉक्टरों का जमावड़ा उसके पास आता रहता।हर आधे घंटे के में दवा घुसेडता। हर घंटे में खाना आता । कैसे ठीक होगा ?घर जाऊंगा तो माहौल चेंज होगा- तो फिर ठीक हो जाएगा गोपाल का मानना था।
गोपाल सोचने लगा- शाम के राउंडअप में अगर आते हैं! डॉक्टर तो मैं अपने आप को रिलीज करने के लिए कहूंगा!
विवेक बोला- यहां पर हर 30 मिनट में डॉक्टर और नर्सों की देखरेख में इतना ध्यान क्या घर में दे पाएंगे!?
कुछ नहीं। पैखाना तो उठ कर उठा कर ले जाने पर चला जा सकता हूं। पिसाब की नली खुद फीट लगा रखा है।
विवेक -जो पानी पेट में भर रहा है? उसका क्या ?यहां रहेंगे तो डॉक्टर हर वक्त ध्यान देगा। मगर घर पर ।
गोपाल बोला-- गोपाल नहीं..! नहीं! मुझे कमरे में ही जाना है। मुझे यहां दिल नहीं लग रहा है। यहां डॉक्टर नर्स और अस्पताल स्टाफ के बार-बार आवागमन से मैं डिस्टर्ब होता हूं। ना नींद आती है ठीक से।
आधे घंटे की जबकि भी ले ही नहीं पाता। मुझे ले चलो मुझे यहां नहीं रहना।
गोपाल बोला- नहीं… नहीं.. मुझे कमरे में ही जाना है ।मुझे यहां दिल नहीं लग रहा ।यहां डॉक्टर नर्स और सब स्टाप के बार- बार आने से मैं डिस्टर्ब होता रहता हूं। ना नींद आती है ठीक से। आधे घंटे की झपकि भी नहीं ले पाता हूं ।मुझे ले चलो यहां से नहीं रहना यहां।
सानू बोली- ठीक है; बाबा अगर यही चाहते हैं तो हम ले चलते हैं। उनको फिर से घर।
मैं कभी विवेक को देखता । कभी सानू को ।इन दो हीरे को देखता । जिन्हे भाभी ने कैसे संस्कार दिए। इनको पाला पोषा। यह बच्चे 1 मिनट भी पापा को खाली अकेले रहने नहीं देते। हर वक्त वाच पर ही रहते।
सानू जैसे हर पल भगवान को याद करती रहती ।सिर के पास ही दीवार में कामाख्या मां की छोटी सी मूर्ति रखी थी। जिस मूर्ति को आसाम से ही। कामाख्य मंदिर से सानू ने ला रखा था। उसी को देखती; दुआ मांगती; मेरे पापा को ठीक कर दो!
मगर गोपाल शानू को देखकर चिड़ता चाहता। यह मुझे सोने नहीं देती-- बाबा... बाबा ..बुलाती रहती है!
मैं कहता-- डॉक्टरों ने दिन को सोने से मना कर रखा है। इसीलिए दिन को नींद ना लो इसीलिए बार-बार आवाज लगाती है।
गोपाल --और खाना ?खाना तो यूं ठूसती है। जैसे मेरे अंदर पचाने का मशीन लगा रखा है। सोचती है दिनभर खाता रहूं।
सानू का मैं सपोर्ट करता । तंदुरुस्त बनना है। डिगबोई की उन गलियों में रनिंग करनी है। पार्क में योगासन करनी है। इसीलिए।
गोपाल सानू को आंखें तरेरता ।
भाभी कहती है कि--एक आंख नहीं सुहाती सानू पापा को।
जब कि सानू बाबा ...बाबा.. कहते थकती नहीं। सेवा करते थकती नहीं। जब तक रहती कभी पांव दबाती, कभी बाल सवारती ।कभी खाना खिलाती। एक बच्चे की तरह सेवा करती। फिर भी!?
गोपाल इसे अपने सरकारी नौकरी पर घमंड है। 50,000 कमाती है ,महीने में ,यही घमंड है इसे।
बेटी अपने पैरों पर खड़ी है । स्वावलंबी है। जिसमें तुम्हें तो खुश होना चाहिए। ऊपर से डाटते रहते हो। तुम इसको उसकी नौकरी का ताना देते रहते हो।
गोपाल फिर गमगीन हो जाता। कहता मेरी बच्ची है -इसीलिए तो डरता हूं !किसी और के बच्चे को डांटने जाऊं ,तो क्या वह मुझे छोड़ेंग?
अपनों में ही डांटना -फटकारना गुस्सा -प्यार सब कुछ होता है ।यह सारी लीलाएं भगवान करवाता है। खेल है ।भगवान खिलाता है। अपने बच्चों को।
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