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कसाईबाड़ा 17

4 दिसम्बर 2022

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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।
सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर  थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।
थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चेकअप कर रहे सभी डॉक्टर जमा थे। सभी डॉक्टर का अर्थ किडनी फेफड़ा वैली लीवर एक्स्ट्रा।
सुधीर ने बात का खुलासा किया- रिजल्ट नेगेटिव है !सभी डॉक्टर उस वक्त गोपाल का रिपोर्ट चेक कर रहे थे ।और कुछ प्रोग्रेस रिपोर्ट सो हो रहा था ।मरीज के अटेंडेंट और उनके परिवार वालों को यही बताया गया था।
वास्तव में--
गोपाल की बॉडी नेगेटिव रिस्पांस दे रहा था।
इंसान दवा के बल पर ही जी रहा है। आर्गन सारे काम कर नहीं रहे ।ऑपरेशन के बाद भी पानी जमा होना खत्म नहीं हुआ है ।ऑपरेशन के बाद भी 7 लीटर पानी निकाला जा चुका है।
उसे फिर फिर से आइसीयु पर रखा जाना चाहिए।
क्यों!? इस तरीके से अब ठीक हो जाएगा?
क्योंकि उसको जिस कंपनी के द्वारा यहां भेजा गया है ।वह खर्चा कर रही है ।सात दिन के लिए उसे आईसीयू में भर्ती किया जाएगा। इससे उसकी हालात कुछ दिनों के लिए यूं लगेगा --जैसे सुधार हो रहा है। बस इतना ही।

सुधीर -मैंने वादा किया था। कि वह अपने पैरों पर चलकर अपने घर जाएगा।
वरिष्ठ -मगर वह नहीं जा पाएगा !तुम्हें पता है! इतना आयल इंडिया देती है !दे सकती है खींच लो! वह मरेगा वरना जीना तो हमारे हाथ में नहीं है !मगर उससे हमारी कमाई तो बढ़ सकता है!
डॉक्टर सुधीर -सिर्फ पैसे के लिए, हम एक इंसान की जिंदगी से खेलते रहेंगे!?
वरिष्ठ डॉक्टर -ऑपरेशन करके सबसे ज्यादा चार्ज तो तुमने ही बसुला है ।सबसे ज्यादा तो

 तुम्हारी कमाई हुई है। यूनो डॉक्टर  नेवर भी परफेक्ट ।ऑलवज प्रैक्टिसिंग विद द पेशेंट। हाउ हुई ट्रिट इट्स इज दी मेंटर।
डॉक्टर सुधीर -इट वाज गोन केश! गोन केश! ओन्ली टू आरनिंग सोर्स आई  फेल्ट वेरी डिफिकल्ट ।बाय माय हार्ट ।आई फेल्ट गिल्टी। उन्होंने मुझे सम्मान किया ।ऑपरेशन सही करने के लिए अंगोछा प्रदान किया ।सम्मान किया फिर भी हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं।
वरिष्ठ -आपन उन्हें सो किया ना !कि वह खाता पीता था !खड़ा भी होता था! वह हंस्ता बोलता भी था।
सुधीर -मगर हाउ मच दे! मैं उनके आंखों का सामना नहीं कर पा रहा ।यह व्यक्ति जो मरीज का भाई कहता है -अपने आपको! उसे मैं नजर मिला नहीं पा रहा ।उसकी आंखों में न जाने क्या है ।स्लो -स्लो बोलता है ।मगर उसकी नजरें मुझे गिल्टी बताते हैं। नेवर ..नेवर ही कांट नो द प्रोफेशन ऑफ डॉक्टर ।मगर आई फील ही ईज सेइंग समथिंग ।व्हाट एवर आई कुड नाट लिसन।
डॉ वरिष्ठ-आई मैट हिम।ईटस योर फीलिंग। ऑलवेज फील बट यू नेवर बी गिल्टी। यू नेवर फैल ।जब आप हथियार डाल दोगे ।मरीज के रिश्तेदार आप पर चढ़कर बोलेंगे। आप को स्ट्रांग रहना है। वारदात हुई।उई यार सपोर्टिंग यू। ऐसे केसेज कई आते हैं। जाते हैं और होता भी है ।गलतियां हम करते भी हैं। मगर अपनी गलती को आप गलती नहीं कोशिश कह सकते हैं।

कोशिशे  सफल हो सकती हैं। यह सभी जानते हैं ।ऐसे ऑपरेशन 10% मात्रा सफल होते हैं। वह 90% में था जो असफल हो गया। हम यह मान के चलते हैं -कि इस ऑपरेशन के बाद इंसान अपने पैरों पर चलकर अपने नेटिव प्लेस लौट जाएगा ।मगर लौटा नहीं ,तो हम क्या कर सकते हैं ।हम भगवान तो नहीं है!!
डॉक्टर सुधीर- मैंने आपको यह पहले ही कहा था ।
यह मरीज ऑपरेशन के बाद भी बच नहीं पाएगा।
डॉक्टर वशिष्ठ -पता है !ऑपरेशन नहीं होता तब भी जिंदा नहीं रहता! ऐसे कैसेज इसको हम भगवान के ऊपर छोड़ देते हैं ।कुछ प्रतिशत भगवान ठीक भी कर देते हैं। ऐसा पहली बार हो नहीं रहा ऐसा तो होता रहता है।

डॉक्टर सुधीर-यू आर जीनियस डॉक्टर! डॉक्टर सुधीर ने बरिस्ट के हाथ जोड़ा बोला- आप तो बस।
डॉक्टर  वरिष्ठ- मैं क्या कह रहा हूं- ऑपरेशन ना भी होता तो भी वो जिंदा नहीं रहता! हमारे पास आया हमने कुछ महीने उसे जिंदा रखा। उसे जिंदगी देने की कोशिश की ।।अब भगवान की मर्जी नहीं है।  जिंदा नरहे तो हम इसमें क्या कर सकते हैं ।यह तो हमारे हाथ में है ही नहीं। जिंदा रहेगा या  मरेगा।
चित भी मेरी पट भी मेरी!!
डॉक्टर्स ऑलवेज राइट!ऑलवेज राइट !यू आर द स्पेशलिस्ट इन लिवर ट्रांसप्लांट ।एंड इट इज द मोस्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ऑफ इंडिया- नॉट ओनली दिल्ली! शो यू मस्ट बी द राइट! ईफ़्यू फील गिल्टी ईफ यू शो द गिल्टी देन नो गंगाराम बिल लाइव।
 अपनी पापुलैरिटी आपने स्पेशलिटी बनाए रखने के लिए भी गंगाराम फेमस है ।फिर गिल्टी डॉक्टर ,गिल्टी स्पेशलिस्ट ,विल वेनिश द नेम एंड फेम ऑफ द हॉस्पिटल एंड हॉस्पिटैलिटी। शो द ब्रेव। थिंक राईट ,सो राइट, यू आर ऑलवेज राइट।
डॉक्टर वरिष्ठ आपने सिट छोड़ कर उठा । साथ में किडनी संबंधी डॉक्टर और सारे स्पेशलिस्ट भी थे। उठे और दरवाजा खोलकर एक साथ बाहर निकले ।डॉक्टरों का टीम राउंडअप में निकल पड़ा। सबसे पहले गोपाल के पास ही पहुंचा।
 गोपाल के पास पहुंचकर बोला -गुड मॉर्निंग! कैसे हैं आप?
गोपाल करहाता सा बोला- प्रॉब्लम चल रहा है। मुंह के छाले ठीक हो नहीं रहें हैं।
वरिष्ठ- एंटीबायोटिक की वजह से शरीर में गर्मी बढ़ी हुई है !इसीलिए मुंह में छाले पड़े हुए हैं ।मैं आज से एंटीबायोटिक कम कर देता हूं। ठीक है और कोई प्रॉब्लम नहीं है।
गोपाल -और मेरा बायां पाव सूजन हो रही है। चल ही नहीं पा रहा हूं।
डॉक्टर वरिष्ठ- कुछ नहीं !लेटे रहने की वजह से है ।जैसे उठकर चलने लगोगे ,तो ब्लड सरकुलेशन होने लगेगा। फिर यह भी ठीक हो जाएगा। ठीक टॉयलेट सही हो रहा है?
गोपाल -अभी टॉयलेट में तो प्रॉब्लम नहीं है। अभी पेशाब में प्रॉब्लम है।
वरिष्ठ- कुछ नहीं ..कुछ नहीं !डॉक्टर मालिक हैं। वह आपका यूरिन से रिलेटेड सभी चीजों को ध्यान में रख रहे हैं ।टेंशन फ्री होकर रहें। सब ठीक होगा ..और चलते फिरते रहे ..खाते पीते रहें। फिजिकल थैरेपिस्ट को आपके पास भेज देता हूं। दिन में दो या तीन बार आपको एक्सरसाइज भी करा देगा ठिक है..! कता हुआ डॉक्टर का टीम बाहर निकल गया!
डॉक्टरों का टीम बाहर निकल जा चुका था।

 गोपाल के पेट में फिर से मारोड़े आने शुरू हो गए थे ।गोपाल सोच रहा था ।कि घर में चला जाऊंगा ।तो सब ठीक हो  जाएगा।
यहां हर वक्त डॉक्टरों का जमावड़ा उसके पास आता रहता।हर आधे घंटे के में दवा घुसेडता। हर घंटे में खाना आता । कैसे ठीक होगा ?घर जाऊंगा तो माहौल चेंज होगा- तो फिर ठीक हो जाएगा गोपाल का मानना था।
गोपाल सोचने लगा-  शाम के राउंडअप में अगर आते हैं! डॉक्टर तो मैं अपने आप को रिलीज करने के लिए कहूंगा!
विवेक बोला- यहां पर हर 30 मिनट में डॉक्टर और नर्सों की देखरेख में इतना ध्यान क्या घर में दे पाएंगे!?
कुछ नहीं। पैखाना तो उठ कर उठा कर ले जाने पर चला जा सकता हूं। पिसाब की नली खुद फीट लगा रखा है।
 विवेक -जो पानी पेट में भर रहा है? उसका क्या ?यहां रहेंगे तो डॉक्टर हर वक्त ध्यान देगा। मगर घर पर ।
गोपाल बोला-- गोपाल नहीं..! नहीं! मुझे कमरे में ही जाना है। मुझे यहां दिल नहीं लग रहा है। यहां डॉक्टर नर्स और अस्पताल स्टाफ के बार-बार आवागमन से मैं डिस्टर्ब होता हूं। ना नींद आती है ठीक से।
 आधे घंटे की जबकि भी ले ही नहीं पाता। मुझे ले चलो मुझे यहां नहीं रहना।
गोपाल बोला- नहीं… नहीं.. मुझे कमरे में ही जाना है ।मुझे यहां दिल नहीं लग रहा ।यहां डॉक्टर नर्स और सब स्टाप के बार- बार आने से मैं डिस्टर्ब होता रहता हूं। ना नींद आती है ठीक से। आधे घंटे की झपकि भी नहीं ले पाता हूं ।मुझे ले चलो यहां से नहीं रहना यहां।
सानू बोली- ठीक है; बाबा अगर यही चाहते  हैं तो हम ले चलते हैं। उनको फिर से घर।
मैं कभी विवेक को देखता । कभी सानू को ।इन दो हीरे को देखता । जिन्हे भाभी  ने कैसे संस्कार  दिए। इनको पाला पोषा। यह बच्चे 1 मिनट भी पापा को खाली अकेले रहने नहीं देते। हर वक्त वाच पर ही रहते।

 सानू जैसे हर पल भगवान को याद करती रहती ।सिर के पास ही दीवार में कामाख्या मां की छोटी सी मूर्ति रखी थी। जिस मूर्ति को आसाम से ही। कामाख्य मंदिर से सानू ने ला रखा था। उसी को देखती; दुआ मांगती; मेरे पापा को ठीक कर दो!
मगर गोपाल शानू को देखकर चिड़ता चाहता। यह मुझे सोने नहीं देती-- बाबा... बाबा ..बुलाती रहती है!
मैं कहता-- डॉक्टरों ने दिन को सोने से मना कर रखा है। इसीलिए दिन को नींद ना लो इसीलिए बार-बार आवाज लगाती है।
गोपाल --और खाना ?खाना तो यूं ठूसती है। जैसे मेरे अंदर पचाने का मशीन लगा रखा है। सोचती है दिनभर खाता रहूं।

सानू का मैं सपोर्ट करता । तंदुरुस्त बनना है। डिगबोई की उन गलियों में रनिंग करनी है। पार्क में योगासन करनी है। इसीलिए।
 गोपाल सानू को आंखें तरेरता ।
 भाभी कहती है कि--एक आंख नहीं सुहाती सानू पापा को।
 जब कि सानू बाबा ...बाबा.. कहते थकती नहीं। सेवा करते थकती नहीं। जब तक रहती कभी पांव दबाती, कभी बाल सवारती ।कभी खाना खिलाती। एक बच्चे की तरह सेवा करती। फिर भी!?
गोपाल इसे अपने सरकारी नौकरी पर घमंड है। 50,000 कमाती है ,महीने में ,यही घमंड है इसे।
बेटी अपने पैरों पर खड़ी है । स्वावलंबी है। जिसमें तुम्हें तो खुश होना चाहिए। ऊपर से डाटते रहते हो। तुम इसको उसकी नौकरी का ताना देते रहते हो।
गोपाल फिर गमगीन हो जाता। कहता मेरी बच्ची है -इसीलिए तो डरता हूं !किसी और के बच्चे को डांटने जाऊं ,तो क्या वह मुझे छोड़ेंग?
 अपनों में ही डांटना -फटकारना गुस्सा -प्यार सब कुछ होता है ।यह सारी लीलाएं भगवान करवाता है। खेल है ।भगवान खिलाता है। अपने बच्चों को।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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