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कसाईबाड़ा 32

12 दिसम्बर 2022

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अगला दिन था।
सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां  एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस वक्त हम तीन अटेंडेड थे।
भाभी मैं और विवेक।
 गोपाल का हिलना डुलना भी बन्द था। बिस्तर में ही पैखाना हो रहा था ।सुबह से दूसरी बार।
श्री स्वीपर आकर बाथरूम साफ कर गया था। जब हम पहुंचे तो करीब 12:00 बज रहा था। 12:00 बजे तक दो बार पैर खाना हो चुका था।
गोपाल इस वक्त सिर्फ हाथ और गर्दन हिला सकता था। पैरों में जान बचाना था।
स्थिति बिल्कुल क्रिटिकल थी।
नाक से ही ट्यूब लगाकर न्यूट्रिशन खाना खिलाया जा रहा था। नाक से ही ऑक्सीजन की नली भी लगी हुई थी। सीने के पानी निकालने के लिए बगल में छेद किया गया था। सीने का पानी बाहर दो बोतलों में बढ़ता जा रहा था ।
कलाई और हाथ की नसे गायब सी थी। इसलिए गले से ग्लूकोज और ब्लड इन्हेल करने के लिए इंजेक्शन की सुई सी फिक्स कर रखा हुआ था।
गोपाल की आंखों में अजीब सा नीला पन छाने लगा था। जैसे कोई जहर सा अंदर से निकल रहा हो।
गोपाल की आंखों में सिर्फ प्रश्न चिन्ह थे।  प्रश्न ही प्रश्न। प्रश्न ही प्रश्न।
 मुझे कहता- सेना !पैर दबा दो जरा। ताकत से दबाना ।सानू दबाती है। मगर धीरे-धीरे पता ही नहीं चलता।
मैं उसके पैर दबाने लगता। न जाने उसकी आंखों में क्या था ।कभी छत को निहारने लगता। कभी आसपास खड़े लोगों को। जैसे दिल से अलविदा कह रहा हो।

जब शरीर बिल्कुल साथ ना दे -तो इंसानी आत्मविश्वास  टूटने लगता है ।और गोपाल की आंखों में खौफ साफ नजर आ रहा था। कातर निगाहों से आते जाते डॉक्टर नर्स और सभी को देखता। और मन ही मन कहता, भगवान! जल्दी उठा ले मुझे !और दर्द सहा नहीं जाता। बस बहुत हो गई अब जिंदगी! बहुत हो गया अब दर्द।
मैं उसके आत्मविश्वास के बुझते दिए में तेल डालता ।
कहता -याद है।डॉक्यूमेंट्री बनानी है ।तुम और मैं मिलकर ।मुझे उसका अंजाम- डुबता हुआ स्वासो  का दोर।
 और पता होते भी कहता -मेरा दिल कहता कुछ नहीं होगा। मगर दूसरा दिमाग कहता नहीं अब जा तब जा वाली बात लगती है ।
मैं उस वक्त पॉकेट नोबेल के लिए लिख रहा था। मगर उसकी हालत देखकर मुझे मुड न करता।
 मैं लिखता- मगर मेरा दिमाग न जाने कहां घूमता रहता ।मैं डिस्टर्ब हो गया था ।मैं अपने ठिकाने मैं रहता। फिर भी अनहोनी की आशंका में घिरा रहता।
रात की नींद उड़ी रहती ।नींद आती भी नींद में सपनों का आना जाना होता। और सपनों में गोपाल का ही आना जाना होता ।
मैं सशंकित रहता ।इस बात से कि कब सानू का फोन आता- और कहती -काका जल्दी आ जाओ।
और...!?
खेल खत्म।
नहीं ..नहीं ..?मैं अपने ही सोच से घबरा जाता। क्यों ,नकारात्मक हुई जा रही थी मेरी सोच।
गोपाल की जिंदगी को लेकर दूसरे दिन जब मैं विवेक और भाभी कमरे में ठहरे हुए थे। गोपाल के कमरे में वरिष्ठ डॉक्टरों की टोली आई हुई थी।
 मैं खड़ा था ।एक  डॉक्टर जो उनमें सबसे बुजुर्ग सा था। ने मुझे बाहर बुला लिया था।

वरिष्ठ ने पूछा आप कौन है ?-पराशर के!?
 मैं -भाई हूं !
डॉक्टर- मरीज की प्रेजेंट स्थिति बहुत खराब है! मरीज के चेस्ट में कैंसर है!
 मैं -क्या !?
डॉक्टर-- हां घबराइए नहीं !हम दवाइयों से इलाज करेंगे! 60% मरीज ठीक हो जाता है। और 40% भगवान भरोसे होता है।
मैं- कैंसर ..?मगर!?
लास्ट स्टेज ऑफ़ कैंसर!
ओ माय गॉड.. मेरा सर चकराने सा लगा था! मैं दीवार के सहारे पीठ टिकाकर  बाहर ही बैठ गया था।
डॉक्टर फिर बोला- हम कीमोथेरेपी नहीं करेंगे! दवा से ही ठीक करने की कोशिश करेंगे ।
मैंने पूछा -कितने दिन ?
डॉक्टर -लंबा.. लंबा चलेगा ।लंबा चलेगा इलाज।
मुझे सन्न छोड़कर ,वरिष्ठ डॉक्टर जूते बजाता कैरी डोर से आगे निकल गया था ।
मुझे बाहर डॉक्टर से बात करता देख -विवेक आया था। जब तक डॉक्टर ने अपनी कथनी समाप्त करके आगे बढ़ चुका था।
मैंने -दीवार के सारे पिठ टिकाकर कर आंखें मुद ली थी ।और लंबी- लंबी सांसे भरने लगा था।
विवेक- क्या हुआ काका?
मैं -कुछ नहीं बाबू!
विवेक- डॉक्टर क्या कह रहा था?
आखिरकार उसे बताना था।
 मैंने डॉक्टर की बात उसे दौहरा दी थी। विवेक को पहले से ही आशंका थी। वह भी दीवार से पीठ टिकाकर  लंबी -लंबी सांसे भरने लगा।  आजकल कैंसर का इलाज है ।ठीक हो जाता है ।डॉक्टर कहराहा था ।दवाओं से इलाज करेंगे कीमोथेरेपी से नहीं।
मगर विवेक दीवार पर पीठ टिकाए आंखें बंद किए खड़ा रहा। लंबी लंबी सांसे उसकी चल रही थी ।न जाने विवेक के दिलो-दिमाग में क्या तूफान मच गया था। सांसो से वह कंट्रोल कर रहा था।
विवेक को ऐसा लग रहा था -जैसे किसी ने उसे फांसी पर लटका दिया हो ।मौत के फंदे में झूल रहा हो।
 बाबा ने मौत को करीब से देखा है ।कई तकलीफों का पहाड़ उन पे टूट पड़ा है।
विवेक की स्थिति को देखकर मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा ।जैसे किसी ने उसे फांसी पर लटका दिया हूं। मैंने विवेक के कंधे में हाथ रखा।बोला- रिलैक्स !डोंट फील डिफीट! डोंट फील !
जिंदगी और इंसान का ठीक होना ना होना उसके हाथ में है। हम कुछ नहीं कर सकते। अगर ठीक होना लिखा होगा तो डॉक्टर की दवा से ठीक हो जाएगा ।कुदरत की सत्ता को स्वीकार करो।

कुदरत ने हर चीज को सलीके से संवारा है।
 हर चीज का एक एक्सपायरी डेट डाल रखा है। इंसान है कि एक एक्सपायरी को भी चलाने की कोशिश में लगा रहता है ।जब उसके फैक्ट्री का एक्सपायरी खत्म हो। समझो खत्म। अगर चलाना होगा तो- पापा तुम्हारे ठीक हो जाएंगे ।ऊपर वाले पर भरोसा रखो ऊपर वाला सब कुछ ठीक कर देगा। 
सारे मजबूर! सब दुखी! सब खामोश!
 ऊपर वाले क्या खेल खेल रहा है तू? गोपाल की आंखें तो पहले से ही खामोश थी। सिर्फ जुबान चल रही थी ।
उसे शक तो हो गया था ।डॉक्टर कुछ खतरा बता गया है ।मगर क्या है कोई बताने को तैयार नहीं था।
मरीज को बताना जरूरी नहीं था। ओ भी टूटा हुआ मरीज ।और खौफ़ से ही हार्ट अटैक से मर जाता।
मगर मेरे दिमाग में कुछ बातें संका सी बनकर अटक गई थी।
डॉक्टर ने पहले जब लीवर निकालकर दिखाया था। तो कहा था। कि यह पोर्शन जो है है कैंसर है। अगर हम लिवर ट्रांसप्लांट नहीं करते- यह फैलाव पराशर की जान ले लेती। यही एक चीज था जिसे हमने सफलतापूर्वक निकाल दिया है ।अब 99 परसेंट मरीज के रिकवरी के चांसेस है।
 और अच्छी बात यह है -कि मरीज का शरीर अच्छा रिस्पांस कर रहा है ।और ऑपरेशन अप टू डेट हन्ड्रेड 1% सक्सेस है।  सक्सेस है। डोंट बी.. डोंट बी इन फीयर।
अब डॉक्टरों का मानना था कि यह कहना था कि कैंसर फेफड़े तक फल चुका था अभी ने कैंसर का इलाज के दौर से भी गुजरना होगा मुझे कुछ
 शक सा जरूर लगा था। मगर मुझे क्यों ऐसा लगने लगा था! कि डॉक्टर अपनी असफल ऑपरेशन और इलाज का ,जिम्मेदार कैंसर को बता रहे थे। अब डॉक्टर मरीज का न ठीक हो पाने की, बात का धरातल तैयार कर रहे थे।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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