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कसाईबाड़ा 12

25 नवम्बर 2022

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ऑपरेशन के दूसरे दिन।
एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।
मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभी के पास ही पहुंचा थ
 वह होश में मेथी।
गोपाल भी मुस्कुरा रहा था ।होशो हवास में था। उसके होठों पर मुस्कान मुझे अच्छी लगी। और कुछ खा भी रहा था ।जो अस्पताल में दिया जाता है ।उसके अलावा भी फ्रूट और कुछ खाना खा सकता था।
मगर प्रॉब्लम प्रॉब्लम था।
उसके मुंह के अंदर छाले आए हुए थे ।हर चीज खाया नहीं जा सकता था ।फिर भी खा रहा था। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक मुंह से चबा चबा कर खाना जरूरी था। खाएगा नहीं तो ठीक नहीं होगा।
डॉक्टर ने दिन में दो बार शुगर टेस्ट  कराना जरूरी कर रखा था । इंसुलिन दिन में दो बार चढ़ाना जरूरी था।
सुबह शुगर मेंटेन रहता। शाम को फिर बिल्कुल ऊपर चढ़ जाता।
सुबह खाली पेट 150 और शाम को 455 मुझे समझ नहीं आ रहा था। यह मामला क्या था? समझ नहीं पा रहा था मैं।
एंटीबायोटिक का ओवरडोज!
हर 2 घंटे में एंटीबायोटिक ।हर घंटे में खाना। कभी अंडा, कभी पनीर ,कभी प्रोटीन पाउडर कभी दूध, कभी खिचड़ी ,कभी क्या !कभी क्या !ओह राम?
क्यों न्यूट्रिशन हर आधे घंटे में खाना खाने के लिए बोल रहा था?
 उसके न्यूट्रिशन से मुझे एलर्जी था! मगर मेरा कहना क्यों मानता ;क्यों सुनता !
ख़ैर!!
मुझे अजीब सा फील हो रहा था। उसके खाने से मुझे एलर्जी नहीं था। इसलिए नहीं कि खाना ज्यादा खाना मुझे अजीब सा लगता।
 मगर, मैं यह सोच ही रहा था ।कि मुंह के अंदर छाले बढ़ गए थे। खाना खाना मुश्किल सा हो गया था।मरीज का।
डॉक्टर कई चीज मुंह पर डलवाता। मुंह के छाले ठीक करने के लिए।
मरीज सबको खुश हो कर दिखाता ।हूं !मुझे पता था ।उसके अंदर ही अंदर कोई जहर उसे खाए जा रही है ।जो मुस्कान बनकर उसके होठों पर लरज रहे हैं।
क्या वह सच में खुश था?
उसके होठों की मुस्कान वास्तविक थी? या वो नाटक कर रहा था ,ठीक होने का।
गोपाल से खाना खाया नहीं जा रहा था। हर घंटे खिलाना चाहते थे। मगर उससे खाया नहीं जा रहा था ।मुंह के अंदर के छाले ही ।
 डॉक्टर ने बताया -बस छाले ठीक हो जाए! खाना ठीक से खाने लग जाए !तो सब कुछ ठीक हो जाएगा! टेंशन फ्री रहो?
डॉक्टर सुधीर ने बताया था- कि ऑपरेशन के 20 दिन के बाद  रिलीज कर सकते हैं। यह चलने फिरने लग जाएंगे ।यह अपने पैरों पर चलकर घर जाएंगे ।डॉक्टर आता उसे मीठी मीठी बातें सुनाता। और मरीज को 2 मिनट के लिए बिल्कुल खुश कर देता।
इधर दुसरी ओर भाभी रिकवरी जल्दी कर रही थी ।क्योंकि उनका  सिस्टम ठीक था।
डॉक्टर सुधीर ने पहले यह बताया था कि डोनर को  10 दिन के अंदर रिलीज की जाएगी। मगर उनको भी रिलीज करने में 16 दिन लग गए थे।
इधर अस्पताल का बिल बढ़ता जा रहा था। बेवजह दवा और एंटीबायोटिक दी जा रही थी भाभी को भी।
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद -मतली आना; चक्कर आना; और डायरिया कामन है ।यह कुछ ही दिनों में रिकवर हो जाएगा।
पहले भाभी के चक्कर आते रहे थोड़ा मुंबई फिर एंटीबायोटिक और दवा से ठीक हो जाएगा ।
बेफिक्र  रहे । भाभी थोड़ा बहुत ठीक होने लगी थी ।भाभी तो डोनर थी ।उसे तो किसी प्रकार की तकलीफ थी नहीं ।
मगर ऑपरेशन के बाद उनकी हालत पहले जैसी रह नहीं आती थी।सीधी खड़ी नहीं हो सकती थी ।सीधी खड़ी होती तो पेट में किया गया सिलाई खींचने लगता ।और दर्द बढ़ जाता।
 मगर दवाओं का जोर रहा।
 फिर मैंने उनसे पूछा कि दवाई इतनी सारी क्यों दे रहे हैं?
भाभी बीमार तो थी नहीं। एंटीबायोटिक ,पेन किलर ,फिर इम्यून सिस्टम को बूस्टप्प करने के लिए दवाएं दी जा रही थी ।भाभी तो रिकोवर होती जा रही थी।
 मगर गोपाल की हालात सुधार की ओर नहीं था ।
खाने पर खाना आता ।यह खाना अभी खत्म हुआ था ,कि दूसरा जाता ।
मुंह के अंदर के छाले ठीक होने के नाम नहीं ले रहे थे ।
वह बहुत बड़ी प्रॉब्लम बन के सामने खड़ी हो गई थी ।शरीर का वजन फिर से 42 किलोग्राम से 40 आ चुका था ।
फिर से पानी जमा होने लगा था ।दूसरे हफ्ते फिर 2 लीटर पानी निकाला गया था ।मुंह के छालों की वजह से ओरल ईटिंग कम हो रहा था।
मुंह के छाले तो थे।
 मगर प्रत्येक मिनट में थूक , प्रत्येक मिनट मिनट में कफ़। फिर यही सिलसिला चलता रहा। डॉक्टर ने  फिजिकल एक्सरसाइज करने के लिए कहा था ।थोड़ा हिलना डुलना ।थोड़ा सांसों को लंबा-लंबा लेना ।हाथ पैर को हिलाना। एक फुकनी सा दे रखा था ।वह कर अपने फेफड़े की शक्ति को बढ़ाने के लिए।

भाभी को छुट्टी दे चुके थे। भाभी को ओल्ड राजेंद्र नगर में ही एक फ्लैट में ठहराया गया था। 2 रूम सेट 33,000 का महीना और बिजली का अलग सारा इधर उधर से 40000 का पड़ रहा था ।ओल्ड राजेंद्र नगर के इस लोकेशन को बुरा भी नहीं कहा जा सकता था। अस्पताल से ज्यादा दूरी भी नहीं थी।
 मगर  फ्लैट का किराया डबल से भी ज्यादा वसूल रहे थे। फिर पैसे की टेंशन फिलहाल नहीं थी।
सानू सरकारी मुलाजिम थी। और गोपाल ऑयल इंडिया से ताजा ताजा अवकाश प्राप्त।
सानू (दीपांजलि )खर्चे के ऊपर चिंतित नहीं होती थी ।
अभी वह शादीशुदा हुई भी नहीं थी।
 गोपाल का और दोनों बच्चों का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था ।सानू ने भी कहा था कि पापा के लिए मैं डोनेट कर दूंगी ।विवेक भी यही बोल रहा था।
 फिर गोपाल ने  दोनों बच्चो में से किसी का लीवर लेने से मना कर दिया था।
अभी दोनों बच्चे जवान है ।शादी भी हुई नहीं है। लीवर डोनेशन के बाद बच्चे कमजोर हो जाएंगे। इसलिए उसने बच्चों का लीवर  लेना मना कर दिया था।
गोपाल अजीब सख्शियत था।  जब हम छोटे थे गर्मी के मौसम में जहां बिना पंखे के रहा नहीं जाता था ।वह कंबल या फिर रजाई ओढ़ कर सोया करता।
 मैंने कई बार पूछा -वह यह बताता है कि जब रजाई ओढता हूं तो अंदर पसीना आता है। शरीर भिजता है ।और रजाई में थोड़ा सा जीरी बनाए रखता हूं ।जब यहां से हवा अंदर आती है तो ऐसा लगता है ।जैसे ऐसी चला कर सो रहा हूं।

सानू विवेक और भाभी।
तीनों गोपाल के ठीक होने के सिलसिले में रोज डॉक्टर से सलाह मशविरा करते ।सानू मंदिर और दरगाह का चक्कर लगाती ।दुआ मांगती। कि पापा ठीक-ठाक हों और हंसी खुशी घर लौट जाएं।
अब यही काम चल रहा था दिन में 2:00 बजे के बाद सानू 10:00 बजे तक रहती ।
 और रात10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक विवेक गोपाल के पास रुकता ।दोनों बच्चे पापा की खूब सेवा करते ।कभी उनके मुंह से उफ तक ना निकला ।रात रात भर जागना दिन को कुछ घंटे दिन में जाकर कमरे में लेटना। नहाना धोना फिर रात 10:00 बजे पापा के पास अस्पताल में रहना।

दोनों बच्चों का यह सेवा भाव देखकर मेरी आंखें नम हो जाती। मैं खुद को गमगीन होने से रोक नहीं पाता।
मैं यू भी बचपन से ही सेंटीमेंटल  था। संवेदनशील ,किसी के भी दर्द को देखकर मेरी आंखों पर आंसू आ जाते थे।
गोपाल को खाने पीने का बहुत शौक था। उसकी आदत चटोरे पन अभी तक छुटा न था। गोपाल मुझसे कहता -छुट्टी हो जाएगी तो देसी मुर्गा लाना! देसी मुर्गे का मीट बनाकर तुम्हें खिलाऊंगा!?
हर दूसरे मिनट में उसके मुंह से थूक निकलता। और वह मुंह में दबाए नहीं रह सकता था। ना ही निगलता था। उसके लिए हर 2 मिनट में टिशू पेपर की जरूरत हो रही थी।
 मगर दोनों बच्चे !? सच में भाभी ने बच्चों पर क्या संस्कार भरे थे ।बेटी सानू भी पापा की सेवा करती पाव दबाती। जबरदस्ती खाना खिलाती। डांट भी लगा देती ।खाना नहीं खाओगे तो ठीक कैसे होगे। डॉक्टर हमें बोलेगा तुम लोग यहां किसलिए हो ?खाना भी नहीं खिला सकते तो!?
मैं जब गोपाल के पास पहुंचता मुलाकात के लिए -मुझसे गोपाल शिकायत करता।कहता- मुझे डांट लगाती है ।जबरदस्ती खाना खिलाती है । जब मैं खाना खा ही नहीं पा रहा ।मुंह में सारे छाले हैं ।हल्का सा गर्म हल्का सा नमकीन भी जलता है ।इन बच्चों के दिल रखने के लिए खाता हूं ।उसकी आंखें भी नम हो जाती ।कहता --क्या करूं मैं ...क्या करूं..?
मैं उससे कहाता-तुमने सच में बच्चों के रूप में फरिश्ते जाने !कभी उफ! करते नहीं देखा। सानू दोपहर से रात 10:11 बजे तक एक पाव में खड़ी रहती है ।कि पापा का सेवा कर सके।
 
मुझे पता था -क्या होना है ?
मगर मैं चुप था ।
मेरी छठी इंद्रिया पहले ही मंजर दिखा चुकी थी। इसलिए मैं भी डिस्टर्ब हो गया था ।क्योंकि भले ही मैं सालों से मिला ना था। मगर वह बचपन का सबसे अच्छा दोस्त था ।हम अलग रात के सोते वक्त सिर्फ और स्कूल जाते वक्त अलग होते या पढ़ते वक्त। वरना दिन भर साथ रहना खेलना गप्पे लड़ाना।
जबसे उससे मैंने बिस्तर में पड़े देखा था ।तब से मेरा भी मन डिस्टर्ब हो चला था।
 मेरा भी नींद हराम हो चुका था। मैं सुबह 4:30 बजे उठना और फिर ध्यान त्राटक योग प्रणाम करने वाला ।शख्स सब कुछ भूल चुका था। मुझे पता था ।और ज्यादा से ज्यादा वक्त उसके साथ बिताना चाहता था। क्योंकि उसके बाद अंजाम मुझे पता था।
फिर भी एक आस बंधी रहती है।
 जब तक इंसान जिंदा है ।
आशा छुटती नहीं ।
सोचता ठीक हो जाए ।फिर डिगबोई आसाम के पृष्ठभूमि पर एक डॉक्यूमेंट्री क्रिएट करूंगा।

 दोनों मिलकर डॉक्यूमेंट्री बनाएंगे ।सोचा था डिगबोई जाऊंगा ।
फिर डिगबोई में डॉक्यूमेंट्री बनाना है। मगर सपना अधूरा रह गया था। वह बीमार होता गया। बाया पैर हिलता ना था ।उठा नहीं पाता। डॉक्टर कहते लीवर ऑपरेशन की वजह से है ठीक हो जाएगा।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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कसाईबाड़ा 2

16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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कसाईबाड़ा 40

15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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