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कसाईबाड़ा 6

18 नवम्बर 2022

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जिंदगी को मौत के हवाले।
गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।
कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।
क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी ?
सवालात का पिटारा था उसके पास ।
जवाब में गंगाराम का कसाईबाड़ा सामने खड़ा था ।कसाईबाड़ा में इंसानी जिंदगी से मौत को रूबरू कराने के पैसे वसूले जाते।
खैर! कहानी को लिखते वक्त मैं कभी-कभी ज्यादा सेंटीमेंटल हो जाता हूं।
क्योंकि जो अस्पताल में भर्ती था ।जो बीमार था। वह मेरा भी जिगर का मेरा भी अजीज़ था। मेरा भी वह हम प्याला ,हम निवाला था। उसके केस में मैं रूबरू दर्शक बनकर खड़ा था। चश्मदीद गवाह था।
जब उसकी गुवाहाटी से दिल्ली को रवानगी हुई तो उसने मुझे फोन करके पूछा था -भाई तुम दिल्ली में ही हो?
मैं -जी हां !मैं दिल्ली में ही हूं ।
मैं खुश था ।मेरा बचपन का यार ,बचपन का दोस्त ,मेरा लंगोटिया यार दिल्ली आ रहा है। मेरा रक्षा थी  कि किसी तरह से जाकर उससे मिलूं।
 उससे फिर एक बार हम प्याला बनूं, हम निवाला बनूं। मुझ में खुशी का ठिकाना न था। मैं पूछा --कौन-कौन आ रहा है?
 फोन पर गोपाल ने बताया हम मियां बीवी और दो बच्चे ।
 -दीपांजलि (सानू) और विवेक।
मैं खुश ।जिसे मैं डिगबोई में जा कर मुलाकात करना चाहता था ।वह मेरे पास खुद पहुंच रहा था।
गोपाल- हम यहां राजेंद्र नगर होटल में ठहरे हुए है । मैंअस्पताल में एडमिट हूं।
हुआ क्या है? यह  पूछा ही नहीं मैं ने। बस यह जानकर मेरे दिल को खुशी महसूस हो रही थी- कि मैं उसे दिल्ली में मुलाकात कर पा रहा था!
मेरे दिल में जेहन में यह बात कौंधी ही नहीं। डिगबोई से आकर दिल्ली अस्पताल में एडमिट हो रहा है। तो कोई गंभीर समस्या है।
 मैं जान कर खुश था ।कि फिर से मुलाकात होगी।
 फिर से वही बात होगी ।
फिर से 2 प्यारों में टकरा हट होगी। 
दो-दो घूंट भरेंगे।
 फिर वही बचपन के दुख सी लेंगे ।
हम फिर से वही बचपन जी लेंगे ।
यादों के झरोखे में खड़े होकर,
 विगत की परछाई को नाप लेंगे ।
फिर से बचपन वह जी लेंगे।
 फिर से वह लड़कपन की बातें होंगी ।
फिर से कई वही जंगल पेड़ पौधे होंगे ।
फिर से वह कूदना- फादना होगा।
 फिर से यादों में ही सही डिगबोई नाप लेंगे।  हम बचपन यादों में ही फिर से जी लेंगे।
मगर...!
मुझे लिखना पड़ा आंसुओ से, आसुओं के सिआई पर भिगोकर लिखना पड़ा।-
तो तुम मिले तो यूं मिले ।बिस्तर से ही न हिले। दिल में सैलाब लिए आंखों में हसरत लिए मैं करीब 24 साल बाद ,मैं उससे मिलने गंगाराम के डी ब्लॉक बिस्तर नंबर 14 में मिला पहली बार।
उसका पेट फुला हुआ था ।
आंखें भरी हुई आंसुओंसे ।
देख उसने मुझे ऊपर से नीचे तक, पुकारा-स..सेना!
 मेरी आंखों में भी आंसुओं का एक सैलाब आया।  मैंने अपनी आंखों को पोछते उसकी और देखा।
  मेरा बचपन का यही नाम था ।मुझे घरवाले ने यही प्यारे नाम से नवाजा था मुझे।और आस पड़ोस वाले भी इसी नाम से पुकारते।
 हम खुश। हमारा बहुत बड़ा परिवार था ।पूरा का‌ पूरा मोहल्ला ही हमारा रिश्तेदार था। माशिमा ,मामूनी ,दीदी से लेकर भानुमति सब अपने थे ।
कोई तेलुगू नहीं था ।कोई बंगाली नहीं था। कोई आसामी नहीं था। हम एक परिवार थे।

 लक्ष्मी पूजा मासी मां के घर में मनाते ।मामूनी दीदी के पास भोगाली बिहू तो भानुमति के पास च्यापलू( मछली )खाते ।एक साथ खेलते। एक साथ लड़ते ।एक साथ शिकायत करते। फिर दूसरे दिन एक हो जाते । दीदी के साथ दारी बंदर खेलते। छुपन- छुपाई तो -लड़के हाई जंप तो फुटबॉल खेलते!
इस तरह पूरा मोहल्ला ही अपना प्यार का घर था।
 लड़ते- झगड़ते मगर एक हो जाते।
 मुझे कुछ होता तो बंगाली कमल के भैया उठ
आते। कमल को कोई बोलता तो मैं लड़ पड़ता।
 गोपाल -हम खूब खेलते!
 मम्मी मुझे कहीं नहीं ढूंढती । सीधे डंडे लेकर गोपाल के घर आ जाती ।
पूछती- सानू कहां है ?और मैं चाची के पीछे छिप जाता ।
चाची मेरा बचाव करती, कहती- यहीं था। यहीं खेल रहा था।
घर में एक क्षण भी नहीं रहता। बाबा का आने का समय हो गया है। नहीं देखेंगे तो फिर मार पड़ेगी। मैं आगे आगे भाग कर घर पहुंचता। मम्मी फिर किसी चाची से गप्पे लड़ाने रुक जाती।
अब मैं मम्मी को बार-बार बुलाने आता। मम्मी का आंचल खींचता ।कहता भूख लगी है ।मम्मी डंडा दिखाती ।कहती ईतने देर तक तो भूख नहीं लग रही थी- तुम्हें ।अब भूख लग रही है। चल नाटक बाज!
मैं आगे आगे भागता। मम्मी डंडा लेकर पीछे-पीछे धीरे-धीरे आ जाती।
गोपाल का घर ही खेलने का मेला मैदान था।   बारिश का मौसम में अक्सर हम घरों में बंद रहते । मगर वहां हम खूब खेलते ।
भीगे हुए आंखों से उसने मुझे फिर से पुकारा-- सेना!
आं...हां..! जैसे मेरी तंद्रा भंग हुई थी। बचपन के उन भूल भुलैया वाली गली में खोया हुआ मेरा दिल, अचानक से फिर उसके पास लौटा आता।
उसने मुझे पास बुलाया ।पास आओ - मास लगाओ -मांस लगा के -सिर में टोपी डाल लो- चोंगा पहन लो ।और जूते में भी कबर कर लो।
 मैं दरवाजे के बाहर गया ।वैसा ही सामान कर के अंदर घुसा ।
वह हल्का सा मुस्काया ।बोला बोला कुछ नहीं। बस वर लीवर ट्रांसप्लांट के बाद सारा ठीक होगा!
 उसका देखना ,उसकी आंखों की खालीपन, उसके चेहरे की मुस्कान से मुलाकात नहीं कर पा रही थी ।
दूर-दूर थे चेहरे की मुस्कान और आंखों का खाली-खाली पन।
मेरे आंखों में भी आंसू तैर गए।
 पूछा मैंने -और सब ठीक है?
 खाना क्या दे रहा है ?
आज पानी निकाला कितना?
 चार लीटर ।आज पेट का पानी निकाला लिटर।
 अभी मेरा केस डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन के पास है ।दवा चल रही है ।आज डॉक्टर आया था ,बड़ा डॉक्टर ,हिंदुस्तान का बड़ा डॉक्टर! आफ
 मेडिसिन! अस्पताल बड़ा है बीमार भी बड़ा है। कहता है -लिवर ऐफेक्डेट है ।
फिर  ट्रांसप्लांट करना होगा।
 तुम्हारी भाभी आई है। लीवर ..लिवर डोनेशन करने।
लिवर ट्रांसप्लांट- एक अच्छे इंसान का लीवर का कुछ हिस्सा काट कर दूसरे इंसान के लिवर के साथ एडजस्ट करना!  डॉक्टर ने कहा डोनर की हमें ज्यादा फिकर होगी रहेगी !
क्योंकि, वह बीमार नहीं है ।वह डोनर है। उसने हमें ट्रांसप्लांट का मौका आफजाई की है। वह ग्रेट है। वह बीमार नहीं है।
 शरीर का अंग लीवर ही ऐसा आर्गन है जो निकालने के बाद फिर से अपनी पोजीशन में आ जाएगा। अर्थात नाखून कैसे बढ़ता है- उसी तरह बढ़ेगा !
फिर उसी तरह ठीक होगा। मगर जिस को प्रत्यारोपित किया गया है --उसका?

साल भर पहले ही हमें पता चला था- कि तुम्हारी भाभी का लीवर भी चल जाएगा! उसका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है ।और डॉक्टर का कहना है कि "ओ "पॉजिटिव का ब्लड ग्रुप जैसे किसी को भी दिया जा सकता है- उसी तरह ऑर्गन ट्रांसप्लांट में भी ऐसा होता है ।फिर हमने डिसाइड किया कि तेरी भाभी ही लिवर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर बनेगी।
हां मेरा ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव पहले हमने सोचा "बी "पॉजिटिव छोटे भाई - राजू का भी है! उससे बात की ,तो उसने साफ इंकार कर दिया।
 बोला -खेतों में काम करना पड़ता है! कभी बाहर भी मजदूरी करनी पड़ती है। और बच्चे अभी छोटे छोटे हैं। फिर कमाई  मैं ही करता हूं। कैसे चल पाएगा।
फिर भी विवेक ने हैदराबाद अस्पताल में बात की ₹10000 एडवांस भी भिजवाया था। मगर अभी तक डोनर नहीं मिल  पाया था।
 दोनों बच्चों का ब्लड ग्रुप "बी" पॉजिटिव है! लड़की और लड़का! दोनों कह रहे थे हम  डोनेट कर देंगे! मैंने मना करा, अभी लड़की की शादी नहीं हुई है। शादी भी करवानी है ।अभी लिवर डोनेट करेगी तो उसका हेल्थ बिगड़ने लगेगा। फिर सही नहीं होगा ।
लड़का भी अभी जवान है। फिर अभी लिवर डोनेट सन के बाद वह भी कमजोर हो जाएगा। सारी उम्र पड़ी है ।उसके पास मैंने ही मना कर करा फिर लड़के ने हैदराबाद में बात चलाया।


तुरंत के तुरंत तो कुछ मिलने से रहा ।फिर वेटिंग में चल रहा था। तबीयत ज्यादा खराब हुआ तो डॉक्टर के पास डिब्रूगढ़ अस्पताल ले गए ।पेट में पानी भर रहा था ।वहां चार लीटर पानी निकाला था ।
फिर कोशिश करने के बाद डॉक्टर ने कहा इनका लिवर काम करना बंद कर चुका है।  ट्रांसप्लांट करवाने के बाद वह ठीक हो जाएंगे। तब लिवर डोनेशन की बात सामने आई। लिवर डोनेट करेगा कौन?
डॉक्टर ने घर के सभी लोगों के ब्लड ग्रुप के बारे में पूछा। जब तेरी भाभी ने बताया कि उनका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है। तो उसने बताया- कि अगर आपकी मिसेज चाहे तो आपको लिवर डोनेट कर सकती है। क्योंकि- उनका ग्रुप डोनर ग्रुप है !और ऑर्गन ट्रांसप्लांट में भी यही चल जाएगा।
 फिर क्या था- तेरी भाभी बोलने लगी ;मैं  डोनेट करती हूं लीवर आप के लिए।
 तभी हम सोच रहे थे कि- लिवर ट्रांसप्लांट के लिए कहां जाया जाए?

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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