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कसाईबाड़ा 28

9 दिसम्बर 2022

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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं।
 गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!
भाभी- हम आप को बचाना चाहते हैं! इसलिए लिवर डोनेट किया, मैंने अपना।
गोपाल भडक उठा बोला -तुम लोगों ने मुझे मारने के लिए ऐसा किया?
भाभी तड़प उठी रो पड़ी। मैंने पेट फाड़कर लीवर आपको दिया। आपको मौत के मुंह से बचाने के लिए। डॉक्टर बता रहा था। बस अब लीवर का ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो, यह 2 या 3 महीने के मेहमान है।
गोपाल होठों ही होठों में मुस्कुराता बोला- और अब?
मैं- अरे कुछ नहीं होगा तुम्हें, दोनों भाई चलेंगे। योगा करेंगे। मॉर्निंग वॉक करेंगे। बॉडीबिल्डिंग करेंगे। फिर मैं डिगबोई को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाना चाहता हूं। और  फाइनेंसर तुम होगे। स्क्रिप्ट मैं तैयार कर रहा हूं।
गोपाल ने मुझे मुस्कुरा कर देखा। जैसे मेरी बातों का उसने मजाक सा बनाया हो। उसकी
 बाएं और की गाल  एक तरफ ऊपर उठा। ऐसे ही मुस्कान। बिल्कुल ऐसे ही उसके पापा भी मुस्कुराते थे।
उसने कुछ बोला नहीं ।सुन्य में ताकत  रहा जैसे ऊपर वाले से कुछ मोहलत मांग रहा हो या रब मेरे दोस्त की कहा सच कर देना। उसे फिल्म राइटिंग का स्क्रिप्ट राइटिंग का शौक है।

 मगर आज तक स्क्रिप्ट राइटिंग में उसने सफलता नहीं पाई है। उसने हाथ जोड़ें।

कुछ देर पहले ही सानू ने मंदिर से फूल और लाल सिंदूर का टीका ले आई थी। सानू ने उसके ललाट में सिंदूर लगाया था ।और सिर में दो पत्ते रख दिए थे। मंदिर से ले आए हुए धागे को  गोपाल के गले में डाल दी थी। बड़े श्रद्धा से डालते वक्त सानू के दिल में आस्था का चिराग जलसा गया था। गोपाल की आंखों में नमी उभर आई थी।
समंदर आसमान से दो बूंद पानी मांगे,
 लहरें खुद हवा से        रवानगी मांगे।
आस्था से भरी हुई सानू अब भगवान पर यूं, क्यों पापा के लिए लंबी जिंदगी की दुआ कर रही थी। पापा की दुश्वारियां बढ़ती उससे देखी नहीं जा रही थी।
 मुझसे एक वक्त वह बोल पड़ी थी। पापा ने बहुत दुख झेल लिया ।पापा बहुत दुख झेल रहे हैं।
वह फिर बोली थी- मुझसे पापा का दुख सहा नहीं जाता। पापा को अब चले जाना चाहिए।
मैं शायद समझ नहीं पाता था।या समझ कर भी उसको  दुख को ताड़ने की कोशिश कर रहा था।
मैं- वह बहुत हिम्मती है ,परिस्थितियां दर्द उसे हिला नहीं सकती ।वह वास्तव में हिम्मत का पुतला है। जिंदगी के शुरुआती दौर में नौकरी के लिए संघर्ष करते ,लड़ते मुझे पता है उसे संघर्ष की सीमा लांग दिया था ।
हार !हार मानना उसके लिए फितरत में न था।

 पापा एक अच्छे शिकारी भी थे ।वह एक दौर था ,जब जंगलों में बंदूक लेकर रात के वक्त में शिकार के लिए निकलते थे। जिस जंगल को दिन को ही देखकर लोग घबरा जाते थे ।उस जंगल में बंदूक टांग कर रात को शिकार के लिए निकलते, ऐसे हिम्मत दार पिता का पुत्र था।
गोपाल भाइयों में तीसरा था।
 जब घर में बच्चों की भरमार होती थी। परिवार नियोजन का अर्थ ही मालूम होते हुए भी बच्चे पैदा करते थे।
 पांच भाइयों में नौकरी के लिए स्टेट गवर्नमेंट से ही लड़ा था ।फिर जीत हासिल हुई थी।
 यह एक मिसाल था। फिर नौकरी में बहाली हुई नौकरी करते-करते नवी महीने में उसे नौकरी से बिठा दिया गया था ।मगर उसने फिर से आयल इंडिया की नौकरी हासिल की। सभीने उसे सराहा ।ब्रैवो!
 हिम्मत -ए -मर्दा ,मदद- ए -खुदा।
उसने सानू की आस्था से भरे चेहरे को देखा। बोला -अभी तो फूल छिड़क रही है ! यहां रहती है तो झपकी भी लेने नहीं देती। पुकारती रहती है। बाबा ..बाबा ..करके।
मैं हंसा बोला-डॉक्टर ने दिन को सोने से मना किया है। इसलिए तुम्हारी बेटी चाहती है कि दिन को सो कर इम्यून सिस्टम को कमजोर ना करो ।ठीक होना भी है!
इन्हीं के बारे में सोच कर तो खाने की कोशिश करता हूं ।वरना खाता हूं तो मुंह से लेकर अंदर तक जलन होती है।
सानू -मगर फिर भी आप खाते कहां है? डॉक्टर कह रहा था ।नाक से एक नली अंदर गले तक डाली जाएगी ।खाना खाने के लिए। लिक्विड दिया जाएगा। जिससे आपकी ए म्यूनिटि सिस्टम बढ़ने लगेगी।
उसका क़फ बढ़ गया था ।
पेट और छाती का एक्सरे फिर से लिया गया था।
 और फेफड़े में छाती में भी पानी भरने का मसला सामने आया था ।
छाती से पानी निकालने के लिए एक छेद करके दो बोतल बिस्तर के नीचे रखा गया था। उसमें छाती का पानी भरता जाता- बिल्कुल गुलाबी पिंक कलर का पानी।
शरीर के सारे होमो ग्लोबिन बाहर।
डॉक्टर ने बताया था। उसके शरीर में प्लेटलेट्स की कमी आ गई, फिर दो या तीन यूनिट ब्लड चढ़ाना जरूरी हो गया था। शरीर के अंदर ब्लड फॉरमेशन नहीं हो रहा था।
मगर अजीब सी बात -बीपी नार्मल था!
 सांसे अब नॉर्मल था। डॉक्टर कहते लंबी लंबी सांसे लो ।लंबी-लंबी सांसे। 
 शुगर नॉर्मल नहीं हो रहा था ।दो बार शरीर में इंसुलिन इंजेक्ट करना पड़ रहा था । चेस्ट से पानी निकालने का क्रम बढ़ता जा रहा था।


शरीर में खाना पहुंचाने के लिए नाक से नली डालकर गले की नली तक पहुंचाया जा रहा था। क्योंकि नली से शरीर के मुंह के छाले को छुए ,बगैर पेट में लिक्विड चला जाता।

एक तो न्यूट्रियंस नाक के सहारे लगी नली से अंदर पहुंचा जा रहा था ।
ऊपर से मरीज को कहते- मरीज के देखरेख के लिए बैठे अटेंडेंट को कहते- ज्यादा से ज्यादा मुंह से खाने और खिलाने की कोशिश करो। नाक की नली की वजह से ठीक से मुंह से भी लिक्विड अंदर डालने में परेशानी होती थी।
गोपाल कहता  मुंह से खाते वक्त -अंदर नली में टकराता है !और दिक्कत पैदा हो रहा है! उसकी आंखें नम हो रही थी ।खाने की कोशिश करता हूं ।मगर खाया नहीं जा रहा।
 मैं चाहता हूं कि मैं अपने बच्चों के लिए ही सही -कुछ दिन के लिए ठीक हो जाऊं। मेरी वजह से सब परेशान है ।
बेटी परेशान है ,विवेक और पत्नी परेशान है। वह इसलिए भी परेशान है ।कि उसने मुझे लीवर दान दिया है ।मगर फिर भी कोई काम नहीं कर रहा है। मैं क्या करूं ?आत्मविश्वास की वजह से मैं जिंदा रहने की कोशिश में; मैं भी मौत से लड़ रहा हूं!
सच था। जब से अस्पताल में आया था ।तब से ऑपरेशन के बाद भी शरीर में दवा पहुंचाने के लिए शरीर में न्यूट्रिएंट्स डलवाने के लिए कई सुराग किए जा चुके थे। नाक से, हाथ से, चेस्ट से, पेट से, फिर अब गले से।
बिल्कुल ही ना बंद हो गया था।
चेस्ट से गुलाबी पानी ,3 -3 लीटर अपने आप बाहर निकल रहा था। डॉक्टर कह रहे थे- कि कुछ नहीं बस ठीक हो रहा है। देखो कल 3 लीटर निकला था ।आज 24 घंटे में 2 लीटर से थोड़ा ज्यादा निकला है ।धीरे-धीरे चेस्ट का पानी निकलना बंद हो जाएगा। तो फिर इस छेंद को बंद कर देंगे। यह पेट का पानी ही है जो चेस्ट आ गया है।
विवेक ने पूछा -डॉक्टर पेट का पानी का कलर तो पिंक नहीं होता!
डॉ -यह पानी छाती में चढ़ जो गया है ,तो कलर भी चेंज हो गया है।
डॉक्टर न जाने क्या-क्या बताकर मरीज के घरवालों को बरगलाए रहते हैं।
 ठीक हो जाने के क्रम में कितना ठीक हुआ कि शरीर के कई हिस्से से पानी निकाला जा रहा है।
 ग्लूकोस वाटर फिर सुख जूस जो हम दे रहे हैं सब कुछ लिक्विड में है। शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा जा रही है। वहीं पानी यह निकल रहा है।
 अंदर भेजा गया न्यूट्रिशंस ग्लूकोस वाटर पेशाब से  निकलेगा या फिर छाती से ।डॉक्टर को समझ है कि साधारण व्यक्ति को मानव शरीर और डायलिसिस के बारे में पता नहीं है। इसलिए यह डॉक्टर मरीज के घरवालों को बरगलाने में कामयाब हो जाते हैं।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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