क्या मैं एक शानदार पति और जानदार दोस्त नहीं रहा हूं? क्या मैंने अपने समाज, अपनी कौम से धोखा किया है? कौन सा रिवाज मैंने नहीं पूरा किया है? कौन है वो आदमी जो आमिर अली के नाम पर बट्टा लगा रहा है? जिसने भी मेरे सम्मान पर उंगली उठाई है, वो बचेगा नहीं. जो नाम मैंने कमाया है, उसे हासिल करने के लिए लोग तरसते हैं.
ये बुलंद आवाज निकली थी आमिर अली की जबान से. ब्रिटिश राज के कोर्ट में. आमिर पर मुकदमा चल रहा था 700 लोगों की हत्या का. आमिर ने कहा था कि अगर जेल नहीं आया होता, तो हज़ार लोगों को तो मार ही दिया होता.
पर अपने डिफेन्स में कही आमिर की सारी बातें सही हैं. वो एक बेहद चालाक और मजबूत आदमी. अपनी बात का पक्का. इरादों में चट्टान. जन्मजात नेता. और एक वहशी हत्यारा. पर हत्या को वो हत्या नहीं मानता था. ये उसके लिए मां काली का आशीर्वाद था. ये वही चीज थी, जिसे आज के ज़माने में लोग ‘खुद को खोजने’ के नाम से जानते हैं. दस साल की उम्र में ही आमिर ने खुद को खोज लिया था.
आमिर अली एक ठग था. ब्रिटिश राज का सबसे मशहूर ठग. शायद ठगी के 600 सालों का सबसे मशहूर.
600 साल के इतिहास में ठगों ने हर साल 50 हज़ार से 2 लाख तक लोगों को मारा था
बारहवीं शताब्दी से भारत में मुस्लिम शासक जम चुके थे. अब वो यहीं के हो के रह गए थे. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच व्यापार भी काफी बढ़ने लगा था. लोग इधर-उधर आने-जाने लगे थे. उसी दौरान मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक के इलाकों में ठग पैदा हुए. बाद में ये देश के हर भाग तक फ़ैल गए. ये ठग धर्म से हिन्दू और मुसलमान दोनों होते थे. पर ये धर्म सिर्फ उनके घर पर था. उनके प्रोफेशनल जीवन में ठगी ही धर्म होता था.
ठग मां काली को मानते थे. उनका मानना था कि मां काली ने ठगों को हत्या के लिए ही पैदा किया है. कहानी के मुताबिक धरती पर अनैतिकता बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. काली ने ठगों को धरती पर भेजा ऐसे लोगों को मारने के लिए. हाथ में रुमाल देकर. इसी रुमाल से लोगों का गला घोंट दिया जाता था. ठगों ने सबको मार दिया. फिर काली ने इनको कहा कि तुम्हें धरती पर ही रहना है. ऐसे लोग आते रहेंगे. और आपको मारते रहना है. ये लोग ठगी पर जाने से पहले मां काली का इशारा खोजते थे. कहीं मंदिर के पास गधा दिख गया या बिल्ली दिख गई तो इसे शकुन माना जाता था. अगर शकुन ना हुआ तो ये लोग आगे नहीं बढ़ते थे. अंग्रेजों के एक अनुमान के मुताबिक ठग हर साल 50 हज़ार से लेकर 2 लाख तक लोगों को मार देते थे. हालांकि ये अनुमान अंग्रेजों ने बहुत बढ़ा-चढ़ाकर भी लगाया होगा ताकि जनता में अंग्रेजी राज के प्रति सहानुभूति बनी रहे. क्योंकि ठग तो वो लोग भी थे!
पूरा माफिया जैसा प्लान कर के काम होता था
इनके काम करने का तरीका बहुत ही खतरनाक था. ये झुंड में चलते. धनी यात्रियों की तरह. उस वक़्त ठगों के डर से कोई भी अकेले यात्रा नहीं करता था. हमेशा ग्रुप में चलते. ठग अपने लोगों से धनी लोगों के बारे में पता करते. फिर उनके ग्रुप में शामिल हो जाते. बड़े प्यार से बातें करते. सबके दिल का हाल लेते. भरोसा बनाते. लोग इन पर भरोसा कर अपने बच्चों को इनके पास छोड़ देते. अपने सुख-दुःख शेयर कर लेते. फिर जब सारे लोग अलसाये से हो जाते, ठग एक-एक इंसान के पीछे लग जाते. जब वो इंसान दुनिया से बेखबर, अपने साथियों की तरफ से निःशंक, अपनी यात्रा और अपने प्लान से खुश रहता, उसी वक़्त ये ठग उनके कंठ पर रुमाल लपेट के गला घोंट देते. गला घोंटने से पहले एक सिग्नल दिया जाता. चलो पान खाते हैं. बुलावा आ गया. मौसम का मिजाज कैसा है. बहुत सारे यात्री ठगों के इस सिग्नल की कहानियां सुन चुके रहते थे. वो थर्रा जाते. पर बच नहीं पाते. मारने के बाद सारे लोगों को दफना दिया जाता था. पर एक दिक्कत आती थी कि दबी लाश फूल जाती और सियार खोद-खोद के खाने लगते. इसके लिए दफ़नाने से पहले लाश का पेट फाड़ दिया जाता था.
ठगी के कुछ उसूल भी थे:
1. इसमें औरत हो या बच्चा, किसी को भी नहीं छोड़ा जाता था. किसी के नाम पर फरमान निकल गया, तो फिर उसे मरना ही है. चाहे उसके पास पैसा हो या नहीं.
2. पर किसी भी औरत से छेड़खानी या रेप नहीं होता था. क्योंकि ये ठगी के उसूलों से बाहर था.
3. अगर किसी ठग की पहचान पब्लिक में हो गई, तो साथी ही उसे मार देते थे. क्योंकि पहचान छुपा के रखना बहुत जरूरी था.
ठगों में अलग-अलग पोस्ट भी होते थे
ठगों में सबके काम बंटे हुए थे. हर कोई गला घोंटने का काम नहीं कर सकता था. इसके लिए खुद को साबित करना पड़ता था. क्योंकि शिकार हमेशा कमजोर नहीं होता था. और रुमाल से गला घोंटने के लिए ताकत के साथ चालाकी भी चाहिए होती थी. तो ये पोस्ट थे ठगों के:
1. सोथा किसी यात्री ग्रुप से बात करने जाते थे. ये बड़े चालाक होते थे. हर जगह की भाषा-संस्कृति, खान-पान से परिचित होते थे. आज भी ऐसे लोग मिल जाते हैं जो बात-बात में अपनी रिश्तेदारी निकाल लेते हैं.
2. भुट्टोटे होते थे गला घोंटने वाले. सीनियर मोस्ट ठग. सिग्नल मिलते ही पीछे से जाकर गला घोंट देते. दो असिस्टेंट आ जाते शिकार के हाथ-पैर पकड़ने के लिए.
3. बेल्हा कब्र खोदते थे. जब ठगी का प्लान हो जाता, तो जगह से कुछ दूरी पर जाकर फटाफट कब्र खोद देते थे.
4. अंत में लुघाई आते थे. ये लाशों को दफ़न करने के एक्सपर्ट थे. पूरे काम के दौरान बाकी यात्रियों के साथ आराम फरमा रहे होते. क़त्ल होते ही हरकत में आ जाते.
पहले सुनने में आया था कि आमिर खान और अमिताभ बच्चन की फिल्म Thugs of Hindostan आमिर अली की कहानी पर बनी है. पर अफ़सोस कि ऐसा न हुआ और यही सबसे बड़ी गड़बड़ है इस फिल्म में. ये कहानी फिलिप मिडोज टेलर की लिखी किताब The Confessions of a Thug पर आधारित है.