भारत के आयरन मैन कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में गुजरात में 'स्टैचू ऑफ यूनिटी' का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नर्मदा जिले में आज इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इस मूर्ति की कई ऐसी खासियत है, जिसे दुनिया में पहले कभी नहीं देखा गया। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है। देखने में प्रतिमा जितनी भव्य लगती है, इंजिनियरिंग का भी यह अद्वितीय उदाहरण है। आइए जानते हैं ऐसी बातें जो समूचे देशवासियों को गौरवान्वित करेंगी।
182 मीटर ऊंचाई का मतलब कितना होता है? यह जानने के लिए ऐसा समझिए कि अगर किसी व्यक्ति की ऊंचाई 6 फुट है तो यह विशाल प्रतिमा उससे 100 गुनी ऊंची है। दरअसल, प्रतिमा अपने आप में 157 मीटर ऊंची है और मूर्तितल के साथ ऊंचाई बढ़कर 182 मीटर हो जाती है।
आमतौर पर 6 की तीव्रता का भूंकप खतरनाक होता है। इसमें जानमाल का भी नुकसान हो सकता है। पिछले साल इंडोनेशिया और मेक्सिको में 6.5 की तीव्रता के भूकंप आए थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। हालांकि इस प्रतिमा की खासियत यह है कि 10 किमी की गहराई में 6.5 की तीव्रता के भूकंप को यह आसानी से झेल सकती है। 12 किमी की दूरी में कहीं भी भूकंप आया, इस पर कोई असर नहीं होगा।
इसे इंजिनियरिंग का कमाल ही कहा जाएगा कि वॉकिंग पोज और चप्पल पहले पैर इस स्टैचू को बेस की तरफ काफी पतला बनाते हैं, जो दूसरी ऊंची मूर्तियों में अपनाए जाने वाले नियमों के खिलाफ है। पोज के कारण ही दोनों पैरों के पंजों के बीच 6.4 मीटर का गैप भी है, जिसे तेज हवाओं का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
इतनी खासियत लिए इस अद्भुत प्रतिमा का डिजाइन जानेमाने मूर्तिकार राम सुतार ने किया है। उनकी वर्कशॉप नोएडा में है। सुतार और उनके बेटे ने वर्कशॉप में सरदार पटेल के तीन छोटे क्ले मॉडल - 3 फीट, 18 फीट और 30 फीट ऊंचे बनाए। इन तीन मॉडलों में सबसे ऊंचे को चुना गया और 3D इमेजिंग के जरिए बड़ा किया गया और फिर इसे कांसे में तैयार किया गया। सुतार (93) महात्मा गांधी की मूर्तियां बनाने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। भारत ही नहीं उनकी बनाई प्रतिमाएं रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और इटली में भी लगाई गई हैं।
स्टैचू की पकड़ को मजबूत करने के लिए हर पैर में 250 टन के मास डैंपर्स का इस्तेमाल किया गया है।
मूर्ति में 5 जोन
मूर्ति को पांच जोन में बांटकर इसे समझा जा सकता है-
जोन 1- इसमें एक मेमोरियल गार्डन और विशाल म्यूजियम होगा।
जोन 2- दूसरा हिस्सा प्रतिमा की थाई तक का है।
जोन 3- इस हिस्से में गैलरी होगी, जहां 200 लोग एक बार में खड़े होकर नजारा देख सकते हैं। यहां से सरदार सरोवर बांध का भव्य नजारा दिखाई देगा। इस गैलरी तक लिफ्ट के जरिए पहुंचा जा सकता है।
जोन 4- मेंटेनेस एरिया में मूर्ति के कंधे के नीचे का हिस्सा आता है।
जोन 5- इस जोन में सिर और कंधे का हिस्सा शामिल है, जहां तक विजिटर्स नहीं पहुंच सकते हैं।