प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार सरोवर बांध पर बनी भारत के 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे तो भारत एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लेगा। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बन जाएगी। बनावट की खूबियों के कारण यह स्टेच्यू इंजीनियरिंग की एक मिसाल बन गई है।
गुजरात के अहमदाबाद में सरदार सरोवर डेम के पास दुनिया की सबसे ऊंची 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का अनावरण 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने वाले हैं। 182 फुट ऊंची पटेल की इस मूर्ति को 'स्टैच्यूऑफ यूनिटी' नाम दिया गया है। मूर्ति को लेकर 22 गांव के लोगों ने प्रधानमंत्री को खुला खत लिखा है। इसमें गांववालों ने लिखा है कि सरदार पटेल अगर जीवित होते तो वे तोड़फोड़ देखकर रो पड़ते।
मोदी सरकार 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' का जोर-शोर से प्रचार कर रही हो। इसका जिक्र प्रधानमंत्री ने जापान दौरे पर भी किया था, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें मूर्ति निर्माण को लेकर नाराजगी है। अहमदाबाद के कुल 22 गांव के लोगों ने ' स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुला खत लिखा है।
पटेल की मूर्ति के लिए सरदार सरोवर डैम पर बहुत तोड़फोड़ की गई है। इसे लेकर गांववालों में नाराजगी है। गांववालों का कहना है कि अगर सरदार पटेल आज जिंदा होते, तो मूर्ति के लिए हुए भारी तोड़फोड़ को देखकर रो पड़ते।
गौरतलब है कि सरदार पटेल की मूर्ति के लिए 2989 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। करीब 2500 मजदूरों और 200 इंजीनियरों ने इस मूर्ति को बनाया है। इसमें ज्यादातर चीनी मजदूर और विशेषज्ञ शामिल हैं। 22 गांववालों के अलावा स्थानीय जनजाति नेताओं ने भी सरदार पटेल की मूर्ति के अनावरण समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है। लोगों ने आरोप लगाया कि जिस तरह से एक मूर्ति के प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी की गई, तोड़फोड़ हुई, इसे सहन नहीं किया जा सकता है।
गांववालों ने चिट्ठी में 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत नहीं करने की बात कही है। गांववासियों ने आरोप लगाया कि आम आदमी कितनी मेहनत से पैसे कमाता है और टैक्स चुकाता है, लेकिन सरकार मूर्ति जैसे प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसा बहा देती है जबकि अहमदाबाद के कई गांवों में अभी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं पहुंची हैं। ऐसे में क्या सरकार को मूर्ति की बजाय गांव की बुनियादी सुविधाओं जैसे पीने के पानी, अस्पताल, स्कूल बनाने पर पैसे नहीं खर्च करने चाहिए थे?