जैसा देश तैसा
भेष - कहावत
माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए -
शुक्रनीति
मनुष्य जिस
समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है -
टैगोर
शास्त्र पढ़कर
भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः विद्वान
है - अज्ञात
रोगियों के
लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी
नहीं कर सकती - हितोपदेश