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लघु कथा

hindi articles, stories and books related to Laghu katha


( साधू और भिखारी  )  लघू कथायारपुर की पुरानी बस्ती की एक गली में एक दिन एक साधू और भिखारी आमने सामने हो गये। साधू ने एक नज़र भिखारी की कमज़ोर काया को देखा, फिर पता नहीं उसके मन में क्या भाव पै

- मुक्ति दाता -  ( लघु कथा )रायपुर से 10 किमी दूर राखी गांव में एक गरीब किसान की 2 एकड़ ज़मीन 2 लाख रुपिए प्रति  एकड़ के भाव से  खरीदकर विजय बहुत ख़ुश था । वह जानता था कि कुछ सालों में इस ज़

सुबह 9-10 बजे का समय होगा। ज्यादातर लोगों को ऑफिस या कॉलेज जाने की जल्दी थी। सड़क के किनारे एक लाश पड़ी थी। सब उसे देखकर आगे बढ़ जाते थे। स्कूटर वाले अपनी गाड़ी लाश को बचाकर वहाँ से गुजर रहे थे। किसी को इ

“मेरी शैतान बेटी” ( लघु कथा )मेरी लड़की भाग्यवति बहुत ही शैतान है । उसे अक्सर ही मुझसे डांट पड़ते रहती है, कभी मैं उसे गुस्से में थप्पड भी लगा देता हुं। पर उसकी शैतानी ज़रा भी कम नही होती। मै आज मुझे नयी

( तीन टांगों का घोड़ा ) लघु कथा पिछले तीन दिनों से मेरी बेटी जिद कर रही थी कि मुझे भी घोड़ा वाला खिलौना चाहिए जैसे की पड़ोसी गुप्ता जी की बेटी रितु के पास है । पड़ोसी राजू गुप्ता जी बैंक अधिकारी थे औ

आज के पाठ का नाम था ईमानदारी।  बेटा पढने लगा। शर्मा जी ध्यान से सुनते रहे। जब पाठ खत्म हुआ तो वे समझाने लगे-जीवन में  ईमानदारी बड़ी चीज है। ईमानदार का सब जगह सम्मान होता है । कुछ समय के लिए भले ही उसे

उसका मकान झुग्गी बस्ती के पास ही था। शाम के वक्त छत पर आ जाता। दूर तक फैली बस्ती को देर तक निहारता रहता है। बहुत अच्छा लगता है उसे इस तरह निहारते हुए। गरीबों की सेवा करने में उसे आनंद की अनुभूति होती

 मैं हार गया इस जीवन से. रोज नयी समस्याएं. मैं तो उलझ कर रह गया.जीने का कोई आनंद नहीं."कहकर वह धम्म से सोफे पर बैठ गया.     दादा जी ने एक  पहेली पूछी. सुनकर पहले तो वह घबरा गया. उसे लगा इसका हल खोजना

आज शहर से बुआ आ रही थी। बच्चे बहुत खुश थे। बुआ का ससुराल शहर के किसी बड़े घर में था। जब भी गांव आती बच्चों के लिए कुछ न कुछ नया लेकर आतीं।     इस बार भी वह बच्चों के लिए बहुत सारी चीज़ें लेकर आई। ।बुआ

आज उसका  जन्म दिन था.बच्चे,पत्नी व कुछ रिश्तेदार आये हुए थे. टेबल सजाई जा रही थी. रंग बिरंगे गुब्बारे देख बच्चे चहक रहे थे. रिश्तेदारों के पास उपहारों के रंग बिरंगे पैकेट्स थे. सभी तैयारियों में लगे थ

सोच रहा हूं थोड़ा शहर हो आऊं. बेटा-बहू गांव न आ पाएं तो क्या मैं तो जा सकता हूँ उनसे  मिलने. अभी तो आराम से घूम फिर सकता हूँ. पोते-पोतियों के साथ आराम से बातें भी  हो जाएगी. काफी महीने हो गये. बहुत याद

टमाटर क्या भाव दिए ?" - लग्जरी कार का शीशा नीचा करते हुए पूछा.      " तीस रूपये किलो साहब." उसने जवाब दिया.      " इतने महंगे बेच रहा है. इतने तो भाव भी नहीं है. चल दो किलो तौल. चालीस रूपये दूंगा."- ज

आज अचानक शर्माजी मिल गये. वेटर से  दो कप चाय मंगवाई. इतने सालों बाद मुलाकात हुई. कॉलेज में साथ थे.   "20 साल हो गये. बहुत कुछ बदल गया. आप भी शायद रिटायर हो गए होंगे. बच्चे बड़े हो गए होंगे. अच्छा बिजन

वह मंदिर की तरफ जा रहा था. अभी मंदिर दूर था. मंदिर की घंटी साफ़ सुनाई दे रही थी. शायद आरती शुरू होने वाली है. उसने अपने कदमों की चाल तेज कर दी. कितने दिन हो गये उसे मंदिर गये हुए. आज आरती में शामिल होन

रमेश जी के घर नयी बहू आई। उसके पति रमेश सुबह जल्दी काम पर चले गए। वह चिंता में पड़ गई। पता नहीं सासू मां और बाबूजी का स्वभाव कैसा होगा। उनके लिए चाय नाश्ता कब बनाना पड़ेगा। स्नान का पानी भी तो गर्म रख

खिड़की से चाय की खुशबू आ रही थी। इसमें डाली गई इलायची ने तो वातावरण को और भी सुगंधित कर दिया। खुशबू सलमा के घर से आ रही थी। सलमा और रानी के घर एक दूसरे से सटे हुए थे। जाहिर है हवा के रुख के हिसाब से घ

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हर बच्चा पैदा होने के बाद जब बोलना सीखता है तो उसके मुँह से जो पहला शब्द निकलता है, वह 'माँ' होता है और जीवन में जब भी उसके सिर पर कोई भी मुसीबत आन पड़ती है तो उसे 'माँ' जरूर याद आती हैै। क्योँकि ए

तुम वही लड़के हो जो आतंकियों की गिरफ्त में था "पुलिस अधिकारी ने पूछा । "जी ,मैं वही हूँ ।बाकी की बात बाद में बताऊंगा अभी तो यह खुफिया जानकारियाँ सुनिये,ये सबूत जो मैंने गुपचुप तरीके से और कुछ उनका विश

उधर पुलिस छानबीन में जुटी हुयी थी ।आतंकी,जो बहादुर शहर के राहतगंज में धमाका करने के प्रयास में धर दबोचे गये थे उन पर मुकदमा चलना प्रारंभ हो गया था । उनके सब रिकार्ड खँगाले जा रहे थे । और उधर उसका बेटा

कितना !कितना रोयी थी वो ।बाथरूम में जाकर शाॅर के नीचे बैठी हुयी अपने ही अंग हाथों से रगड़ती जा रही थी ।घिन आ रही थी उसे अपने आप से ।एक आतंकी के द्वारा ,लोगों का खून बहाकर लाये हुये रुपयों से उसका घर च

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