महान वैज्ञानिक मैडम मैरी
क्युरी पार्ट-2
डॉ शोभा भारद्वाज
विवाह के दो वर्ष बाद बेटी ने जन्म लिया अब मैरी का
काम बहुत बढ़ गया था लेकिन अदम्य साहस की प्रतिमा अपनी प्रयोगशाला में बच्ची को साथ
ही ले जाती थी . घर में मैरी माँ और पत्नी थी परन्तु प्रयोगशाला में अपने काम को
समर्पित वैज्ञानिक थीं .कुछ वर्ष पहले एक वैज्ञानिक ने कहा था एक धातु युरेनियम है
जिससे रेडियेशन निकलती हैं ,जिसे मैरी
ने रेडियोएक्टिविटी कहा परन्तु वह कैसा है ज्ञात नहीं था .छुपे रहस्य को
जानने के लिए बार –बार प्रयोग किये कभी ऐसा लगता सफलता करीब
है कभी बहुत दूर अब मैरी ने यही प्रयोग 20 बार अलग-अलग तरीके से किया वह इस नतीजे
पर पहुंची जिस धातु की वह खोज कर रहीं है उसमें रेडियेशन है लेकिन इन्सान की समझ
से दूर है .चार वर्ष पूर्व मैरी जानती थी वैज्ञानिक का जीवन आसान नहीं है
भरोसे से बिना थके निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए सफलता अवश्य मिलेगी .अब पियरे भी
अपनी लेब का काम छोड़ कर जबकि वह सफल वैज्ञानिक उनके साथ अनजान रेडियेशन पर काम
करने लगे दोनों मिल कर काम करते कभी अकेले
भी वह हर क्षण का उपयोग करते थे .
अब उन्हें एक प्रयोगशाला की आवश्यकता थी जिस स्कूल
में पियरे काम करते थे उसके पीछे जगह मिल गयी यह बिल्डिग जर्जर थी गर्मी में
तपती थी सर्दी में ठंडी थी बरसात के दिनों में पानी टपकता था फिर भी वह यहाँ काम
करने के लिए मजबूर थे .वहीं वह बीकर में रखे पदार्थ को उबालते रहते और देखते रहते.
एक शाम वह अपनी प्रयोगशाला से दो घंटे पहले ही लौटे थे रात के 9 बजे थे मैरी
ने पति से दुबारा लैब में चलने का आग्रह किया ताला खोला परन्तु लाईट नही जलाई
गुमसुम खड़े पति पत्नी ने देखा टेस्ट ट्यूब में हल्की नीली रौशनी निकल रही है .वर्षों
से जिसे वह खोज रहे थे यह रहस्य रेडियम उन्होंने खोज लिया था .रातो रात उनकी
प्रसिद्धी फैल गयी परन्तु दोनों खुश नहीं थे उन्हें एक अच्छी प्रयोगशाला की जरूरत
थी शन्ति से चुपचाप काम कर सके . उनके सम्मान में रोज पार्टियों और मीटिंग में
बुलाया जाता वैज्ञानिक चाहते थे वह अखबारों में लेख लिखे सेमिनारों में पेपर पढ़ें . अखबार वाले उनके जीवन के हर बिंदु पर प्रकाश
डालना चाहते थे .मैरी को रास्ते में लोग मिलते पूछते क्या आप मैरी है वह ठंडी आबाज
में जबाब देती नहीं आपको गलतफहमी हुयी है . अब रेडियम पर काम करना चाहते थे लेकिन मैरी
प्रसिद्धी से बचना चाहती थीं .
एक वर्ष तक लगातार काम करते रहे एक दिन उन्हें लन्दन
से वैज्ञानिकों की सेमिनार में भाग लेने के लिए बुलावा आया क्युरी दम्पत्ति वास्तव
में ऐसे बुलावे में जाने के उत्सुक थे . यहाँ पियरे को रेडियम पर पेपर पढ़ना
था मशहूर वैज्ञानिक और उनकी पत्नियाँ उपस्थित थे उनकी पत्नियाँ तरह – तरह
के हीरे और जवाहरात पहन कर आयीं थी मैरी पत्नियों के हीरे और जवाहरात के कीमती
आभूषण प्रशंसक नजरों से देख रही थी उसने देखा पियरे स्वभाव से कभी भी जेवरों
की तरफ नजर नहीं डालते थे उनकी नजर भी उन्हीं पर थी . मैरी ने हैरानी से पियरे से पूछा
आप अपने स्वभाव से विपरीत जेवरात देख रहे थे उन्होंने उत्तर दिया हाँ मैं इनका
मूल्य आंक रहा था , इनकी कीमत से कितनी प्रयोगशालायें बन सकती हैं बाद में हिसाब
करते - करते करते थक गया .
दोनों को नोबल
प्राईज के लिए चुना गया यह सम्मान दम्पति के लिए कुछ नहीं था उनके लिए समय महत्व
पूर्ण था आगे रेडियम पर रिसर्च करनी थी यह मानवता के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है . अस्वस्थता का बहाना
बना कर वह स्वीडन नहीं गये पढ़ाने और रिसर्च में व्यस्त रहे . नोबल पुरूस्कार
उन्हें पहुंचा दिया गया जो पैसा उन्हें नोबल पुरूस्कार में मिला उनके लिए बहुत
महत्व पूर्ण था अत: पैसा उन्होंने लैब और रिसर्च के काम में लगा दिया . एक
वैज्ञानिक ने रिसर्च द्वारा बताया रेडियम का उपभोग कैंसर जैसे असाध्य रोग के
लिए किया जा सकता है .
उनके पास अनुरोध आये
हमारी रेडियम पैदा करने में मदद करें हम मनचाहा पैसा देंगे उन्होंने रेडियम
का आविष्कार किसी को समृद्ध बनाने के लिए नहीं किया था यह सभी के लिए था .हमें
सोचना है हम अपनी रिसर्च को अपने पास रखें उए समय पर अपने सुख के लिए बेंचें या
विश्व के कल्याण में लगा दें .वैज्ञानिक अपनी रिसर्च समाज को सोंपते हैं दोनों एक
साथ बोले हमे सख्त जीवन जीने की आदत हैं इसे हम मानवता की भलाई
के लिए वैज्ञानिक जगत को सौंप देंगे .दोनों अपने साईकिल लेकर पैरिस में दूर जंगल
में निकल गये जब लोटे उनकी साईकिल की टोकरियाँ रंगबिरंगे फूलों और पत्तियों से भरी
हुई थी . एक पार्टी में मैरी की मित्र ने कहा पार्टी में ग्रीस के राजा भी आये हुए
हैं मिलोगी मेरी का जबाब था मेरी उनसे मिलने की कोई इच्छा नहीं है
उनको लगा उनकी मित्र आहत हुई है मैरी ने कहा यदि तुम चाहती हो मैं मिल सकती
हूँ . वह दोनों बस विज्ञान जगत में खोये रहते थे . उनकी दूसरी बेटी ईवा पैदा हुई
मैरी की जिम्मेदारियां बढ़ गयीं परन्तु वह अदम्य साहस से जिम्मेदारियों को सम्भालती
रही . पियरे को फ्रेंच यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की नौकरी का आफर आया लेकिन वहाँ
साइंस की लैब नहीं थी उन्होंने आफर को मना कर दिया उनके लिए न केवल प्रयोगशाला
बनाई गयी तीन असिस्टेंट भी दिए गये जिनकी मैरी बॉस थी दोनों ने एक साथ संघर्ष किया
था यहाँ भी साथ काम कर रहे थे .
‘ दुखद ‘- 19 अप्रैल 1906 पियरे पेरिस
के भीड़ भरे इलाके से गुजर रहे थे वह फिसल गये उठने से पहले ही भारी ट्रक का पहिया
उन पर चढ़ गया वहीं महान वैज्ञानिक का अंत हो गया . मैरी के लिए असहनीय था उसका साथी उससे बिछड़ गया .पियरे की अंतिम यात्रा
में काले कपड़ो में अपनी दोनों बेटियों के साथ मैरी पियरे के जनाजे के साथ
कब्रिस्तान की और जाती हुई ऐसे लग रही थी जैसे ज़िंदा लाश हो कोई सोच भी नहीं सकता
था मैरी संभल भी सकेंगी .पियरे की खाली जगह पर उनकीं नियुक्ति की गयी .
मैरी को पहला लेक्चर
देना था सब सोच रहे थे वह क्या बोलेंगी शायद अपने पति को याद कर उनके कामों की
प्रशंसा करेगी , सरकार को धन्यवाद देंगी जिन्होंने उनके पति के स्थान पर उनकी
नियुक्ति की लेकिन मैरी ने शांति से खचाखच भरे हाल में प्रवेश किया अपनी बात वहीं
से शुरू की जहाँ से पियरे ने खत्म की थी मैरी ने अपना ठहरे शब्दों में दस वर्ष के
कार्य काल में फिजिक्स के बारे में बताते हुए भाषण खत्म किया .खचाखच भरे हाल का हर
उपस्थित व्यक्ति रो रहा था .अपनी बात खत्म कर मैरी चली गयी अब उन्हें अकेले अपने
और अपने पति के काम पूरे करने थे बच्चियां भी पालनी थीं .
1911 में उन्हें दुबारा दूसरा नोबल पुरूस्कार मिला यह रसायन
विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम के शुद्धीकरण के लिए रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला . विज्ञान की दो शाखाओं
में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं . उनके लिए वैज्ञानिक रिसर्च संस्थान की
बिल्डिंग तैयार थी वह आगे का काम पूरा कर सकतीं थी लेकिन 1914 में जर्मनी के
तानाशाह विलियम कौसर ने विश्व को युद्ध की आग में झोंक दिया . प्रांस पर भी हमला
किया फ्रांस की स्थिति बहुत खराब थी रेडियम दुश्मन के हाथों न चला जाए यह मेडिकल
जगत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी था उन्होंने प्रयोगशाला का एक ग्राम रेडियम , अनुसन्धान
के लिए था सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया वह जानती थी जख्मी लोगों के इलाज के लिए
उनके घावों के उपचार करने वाले डाक्टरों के लिए उनकी बनाई एक्सरे मशीन बहुत उपयोगी
है . अस्पतालों को अनेक मशीने उपलब्ध करायी गयी वह स्वयं गाड़ी में जरूरत की जगह पर
एक्सरे मशीन लेकर पहुंचती थीं हजारों सैनिकों का एक्सरे कर सही इलाज हुआ .
मैरी को अमेरिका से बुलावा आया उन्हें कहा गया वह
रेडियम के लिए मुँह मांगी रकम देने को तैयार हैं उनके पास केवल 50 ग्राम रेडियम है
मैरी ने उत्तर दिया मेरे पास एक ग्राम भी
नहीं है . वह अपनी बेटियों के साथ अमेरिका गयी थीं अनेक संस्था उनका सम्मान करना
चाहती थी परन्तु केवल 54 वर्ष की अवस्था वह इतनी दुर्बल हो गयी थी जा नहीं सकती थी
. उनकी बेटियां जाती थी माँ की प्रशंसा में दिए जाने वाले भाषण सुनती थी .मैरी के
लिए एक ग्राम रेडियम का प्रबंध किया गया अमेरिकन राष्ट्रपति ने अमेरिकन जनता की
तरफ से उन्हें उपहार में दिया गया . मैरी ने इसे अपने नाम पर नहीं अपनी प्रयोगशाला
के नाम पर स्वीकार किया ,नहीं तो रेडियम उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटियों के
अधिकार में चला जाता अब उस पर संस्था का अधिकार था .
मैरी को क्या हुआ है
?जिसका राज समय के प्रसिद्ध डाक्टर समझ नहीं पा रहे थे
उन्हें कौन सी बिमारी है जिससे वह कमजोर होती जा रही है
रेडियम की खोज करते समय उनके शरीर पर रेडियो एक्टिविटी का प्रभाव पड़ा था . महान
स्त्री जीवन के अंत तक काम करती रही. वैज्ञानिक मां
की बड़ी बेटी आइरीन को 1935 में रसायन
विज्ञान में उनकी बेटी को भी उनके काम के लिए नोबल पुरूस्कार मिला और उनका दामाद विनोद
प्रिय था वह उनका छात्र भी था वह पहले उसे पसंद नहीं करती थी उन्हें भी साइंस का
नोबेल पुरूस्कार मिला .उनकी छोटी बेटी म्यूजीशियन थी, नाटक
लिखती थी उसने अपनीं माँ की जीवनी लिखी थी उसे भी कला जगत के नोबेल से पुरुस्कृत
किया गया 4 जुलाई 1934 मैरी को मृत्यु हो
गयी विज्ञान जगत का एक सितारा अस्त ही गया उन्हें उनके पति के पास उन्हें कब्र में
सुला दिया गया .