अनुच्छेद 13 मेंरी यादों के झरोखों से ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~कालिज में इस वर्ष जिला स्तरीय खेलों की प्रतियोगिताओं का आयोजन कल से होने बाले थे,इस लिए कार्यक्रम की तैयारी हेतू प्रतिभागी छात्र अपने अपने ट्रेनर के साथ तैयारी मे जुटे हुए थे ।
वे सभी प्रतिभागी जी तोड परिश्रम कर रहे थे।
कालिज के क्रीड़ा-विभाग के प्रभारी श्री भारद्वाज जी नए छात्रों में और पुराने छात्रो में से जो खेल में विशेष रुचि रखते थे या जिन्हें खेल की विशेष नॉलिज थी,भारद्वाज जी एसे लड़के लड़कियों के ग्रुप बना रहे थे,।
क्यों कि वह गत वर्ष जैसी गलती इस बार नहीं दोहराना चाहते थे ,अतः वह स्वयं आगे बढ़ अपने आप छात्रों का चयन यह सोचकर करने लगे कि जीतने पर इस वर्ष परिणाम स्वरूप कालिज का नाम चमकेगा।
क्रकेट,बैडमिंटन,फुट बाल, वालीबॉल और कबड्डी की टीम पहिले ही बन चुकी थी, और टीम में चयनित अभ्यर्थियों की कई दिनों से आपस मे अपने साथियों के संग प्रैक्टिस चल रही थी।
किशोर ने कबड्डी ,फुटबाल, और रेस, में भाग लिया था।
आज कलिज के मैदान में प्रतियोगिताओं का आयोजन था ।
अतः निर्णायक मण्ड़ल के अनुसार सब से पहले लड़कों की रेस होनी थी ,उसके ठीक बाद में बालिकाओं की।
बिद्यालय के सभी प्रतियोगी छात्र अपनी रनिग् पोजीशन में फील्ड पर तैयार खड़े थे ,उसी के साथ उन बच्चों के सहपाठी,हितु मित्र उनका हौशला बढ़ाने हेतू अपने हाथ हिला हिला कर उन्हें दूर से उत्साहित कर रहे थे।
रेफरी ने व्हिसल बजाई सभी छात्र सतर्क ,और फिर रेस आरम्भ हुई,इस रेस में किशोर भी दौड़ का हिस्सा था।
सभी आयोजकों और दर्शकों की नजर आगे दौड़ने बालों पर थी, किशोर के साथी उसका नाम लेकर जोर जोर से पुकार रहे थे , वह पहिले मध्यम गति से दौड रह था और जैसे ही मध्य दूरी तय हुई वह अपनी पूर्ण शक्ति से दौड़ा परिणामतः वह सब से आगे बाले धावकों को पीछे छोड़ता हुआ आगे आगे अब दौड़ रहा था और चन्द मिनटों में वह विजय लक्ष हासिल कर चुका था।
और अब आयोजको के कथनानुसार वह रेस्ट करने लगा और फिर रेस्ट के कुछ घण्टे बाद फाइनल रेस शुरू हो गई , इसबार भी वह प्रथम स्थान पर था,उसके बाद विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं की बारी बारी से शुरुआत की गई।
कुल मिला कर किशोर की कालिज जो कि खेलों की स्वयं मेजवान थी, उसके छात्रों का पलड़ा भारी रहा, स्वयं किशोर ने जिन प्रतियोगिताओं में भाग लिया वह उस में अधिकांशतय: प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका था अतः उसके कालिज के साथियों ने उसका और अन्य खिलाड़ियों का तालियों की गड़गड़ाहट की ध्वनि से एक साथ जोर दार स्वागत किया , द्वितीय पोजीसन पर किसी अन्य कालिज का छात्र था एवं तीसरे स्थान पर भी मेजवान विद्यालय रहा, अब अगली दौड़ केबल बालिकाओं की होनी थी।
किशोर के सहपाठी उसे चारों ओर से घेरे कर खड़े थे और जो पीछे खड़े वह आगे आने की फिराक में थे।इन सब से दूर वह आनाम सुंदरी जो किशोर को मन ही मन बेहद प्यार करती थी वह अपनी सहेलियों से थोड़ी दूर इस उम्मीद से खडी इन्तजार कर रही थी कि जरा सी भीड कम हो और तब वह किशोर से मिल कर उसे अकेले में ना सही ,कम से कम सभी के सामनें उसे जीतने की वधाई तो जरूर ही देगी ।
खेल संचालक महोदय ने पुनः सीटी बजाई अब अन्य विद्यालयों की छात्राये रनिंग प्वाइंट पर आ चुकी थी अत: भीड अब रेस ग्राउंड की ओर जा चुकी थी,सभी का ध्यान दौड़ ने बाली धावक छात्राओं की ओर ही था।
चलो वहिंन हम अपने क्लास मेट लड़के से मिल कर उन्हें बधाई दे दें।
उस स्वप्न्सुन्दरी के साथ बाली लढ़की रमा ने उस से कहा।
ठीक है ,चलो........।
और फिर दोनों तेजी से किशोर की ओर आगे बडीं ।
हाय ,हैंडसम कैसे हो।
रमा ने उसके निकट जाकर हाथ आगे बढ़ाया। किशोर ने अपने दोनों हाथ जोड़े.......।
धन्यवाद, वह धीमी आबाज में बोला।
इन से मिलो, यह मेरी फास्ट फ्रेंड है।
रमा ने अपनी सहेली की ओर इशारा किया।
किशोर के होठों पर एक फीकी मुश्कान दम तोड़ती दिखाई दी,क्षण भर को उसके मन के भावों में तेजी से परिवर्तन हुआ परन्तु अगले पल वह अपने को एक्साइटेड होने से पहिले सम्भाल चुका था।
.थेँक्यू.................. ।
बस वह उस स्वप्नसुंदरी को शांत नजरों से ही उसे बस देखता रहा ,पर बोला कुछ नही।
रमा.......,लगता है इनको, हमसे मिलकर खुशी नही हुई।
उस सुन्दर लढ़की ने एक विशेष अंदाज में कहा।
किशोर ने उसकी बात को अनसुना कर दिया,
साथ ही उसकी बात को बीच मे काट कर बोला।
चलो केंटीन में चलते है, इस बहाने मैं थोड़ा रिलेक्स भी हो जाऊंगा।
किशोर उठकर कैंटीन की ओर बड गया,कॉलिज की केंटीन चंद कदम दूर थी,।
अतः वह तीनों एक साथ केंटीन में पहुँच कर कोने की सीट पर आमने सामने बैठ गए।
उस सर्वांग सुन्दरी लढ़की ने केन्टीन बाले भैया को कॉफी और समोसों का आर्डर दिया।
मिस,........बिना नाम बाली,आपको पता है कि कॉफी के साथ समोसे नही खाते।
किशोर का स्वर व्यंग्यात्मक और थोड़ा कटु था।
अरे रमा इनको बता, मुझे काफी पीनी है बस ,और आपऔर रमा तुम दोनों समोसे खाएंगे।
उस स्वप्नसुंदरी के होठों पर बरबस एक चंचल मुश्कान नृत्य कर उठी थी।
रमा जी आपकी फ्रेंड सुंदर तो है पर है थोडी सी ......।
किशोर ने हाथ के इशारे से कुछ संकेत किया और बात अधूरी छोड़ दी।
किशोर की इस हरकत से उस स्वप्न सुन्दरी का पारा कुछ अधिक ही ऊपर चढ़ गया।
वह कुछ गुस्से में कहने ही बाली थी , कि रमा ने उसके कन्धे पर हाथ रख कर उसे शाँत कराया।
रिलैक्स यार ! अरे ,फ्रेंड्स. आपस में..तकरार छोड़ो.भी ..न यार।
रमा ने अपने होंठों पर उंगली रखकर दोनों की ओर इशारा किया।
क्यों कि कैंटीन का बेटर उन का आर्डर सर्व कर चुका था।
वह थोड़ा मुश्कराई उसने किशोर की ओर तिरछी नजरों से देखा, वह स्वप्नसुंदरी जानती थी उसका किशोर उस से कुछ नाराज था, जिसका कारण वह अच्छी तरह जानती थी, कि कल किशोर उस से उसका नाम पूछना चहता था और वह थी उसकी हरबात को डिनायल मूड में ले रही थी,वस इसी कारण दोनों अपने आप में खिचे खिचे थे किन्तु रमा ने दोनों की स्तिथि भांपते हुए किशोर से कहा ।
लो किशोर ,आपकी रेस जीतने की खुशी में ,मेरी सहेली की ओर से समौसे की पार्टी।
रमा फुसफुसाई।
दोस्तो ,थोड़ी बात हमारी भी सुनो ?......अब तो हम आपके फैन हो गए,.....यारों अब तो नाराज हम से न हों।
उस सुंदरी ने किशोर की ओर कनखियों से देख कर संज़ीदगी से बोला।
किशोर उसकी बात से थोड़ा गुस्सा हुआ,अभी वह उसे कुछ कटु उत्तर देता पर रमा ने दोनों की तल्खी शांत करने हेतु बीच मे बोला।
अच्छा दोस्तो अब छोड़ो , आपस मे उलझना भी ,चलो कॉफी की चुश्किया लो ।
यही तो मैं कहती हूँ।
वह सुंदरी खिलखिलाकर हँसी, मानों जलतरंग को किसी ने एकाएक छेड़ा हो।
तदोपरान्त अब वातावरण थोड़ा हल्का हो चुका था।अतः किशोर ने उस स्वप्नसुंदरी की ओर समौसे बढ़ाये।
लो शुरू करो।
जी नहीं पहले आप शुरू करो।
उसने प्लेट में रखे समोसे को उठाकर अपने हाथ से किशोर की ओर बड़ाया।
किशोर ने उसकी ओर देखा ,वह पुनः मुश्कराई।
इस तरह दोनों के मध्य जो दूरी और खिंचाव की स्थिति दिखरही थी वह अब कम हो गई थी।
अच्छा जल्दी से खाना खत्म करो हमें , अब कालिज के फील्ड में चलना है।
ओ.के. मैं आपकी बात से सहमत हूँ।
तो चलो खेल में क्या होता है चल कर देखते है।
रमा बोली।
वह अनामसुंदरी ने बिल पेड किया, और फिर तीनो तेजी से क्रीड़ा मैदान की ओर निकले .......।,शेष अंश आगे।
Written by H.K.Joshi P. T. O.