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मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 20

8 अप्रैल 2022

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अनुच्छेद    20             मेरी यादों के झरोखों  से
_________________________________________इंडिका  हवा में तैरती हुई अपने गनतब्य कि ओर लगातर अग्रसर थी,रमा और उसकी सहेली की भावी पिछली सीट पर बैठी थी।
और वह स्वप्न सुंदरी मधु अपनी आंखों को बंद किये, अपने प्रियतम के नजदीक सपनो में खोई हुई इस दुनिया से वहुत दूर हसरतों की दुनियां में अपने चिरप्रेमी के संग अपने सपनो में विहार कर रही थी।
भावी जी हमारा कालिज चार दिन बन्द रहेगा,अब अतः जी भर कर घूमेंगे।
रमा चहकते हुए बोली।
रमा,तेरी सहेली ने आज जो किया बो कभी ,पहिले नही किया,।
भाबी की आवाज में दर्द  छलक उठा।
रमा भाबी की ओर प्रश्न भरी नजरों से देखने लगी।
रमा एक बात सच बताना ,तुम दोनों एक दूसरे से अपनी हर बात शेयर करती हो।
मधु की भाबी इन्द्रा  रमा से बोली।
जी.....भावी, पर.....बात ......बो...वो.।
रमा ने  अपनी बात अधूरी छोड़ दी।
जबसे हमारी सासु माँ  खत्म हुई थी ,तब से अब तक मैने मधु को कभी मैंने उदास न होने.....,दिया, किन्तु आज मेरा दिल मधु की हालत देख कर बहुत दुखी है।
भावी अपनी रौ में बोलती हुई चली गयी।
रमा जानती थी,उसकी प्रिय सहेली को उसकी भाबी उस से अपनी संतान जैसा प्यार करती थी ।
किन्तु वह क्या कह रही है यह समझना कठिन था।वह उन्हें देखती रही।
रमा आज मेने पहिली वार मधु की आँखो में आंसू देखे और ,अब भी वही दर्द मै अब भी महसूस कर रही हूं।
उसकी भाबी के बातों को सुन कर रमा विचारों में डूब गई बोली कुछ नही।
बोलो रमा,क्या तुम बता सकती हो की मेरी मधु की हालत आज किस कारण  हुई है।
भावी माँ मेने आपको सब कुछ इशारों में समझा दिया है ,अब मैं इस से ज्यादा कुछ भी नहीं बतासकूँगी।
तो थोड़ा और बताओ वह कौन है ,कहाँ रहता है।
भाबी ने रमा के कंधे को  जोर से हिलाते हुये कहा।
आ,आ......भाबी.  ।
रमा अब तक सजग हो चुकी थी।
रमा फिर मुझे बताओ, इसको कैसे समझाऊँ। 
मधु की इन्द्रा भाबी रमा से बोली। 
रमा ने एक नजर अपनी सहेली पर डाली,और एक ठण्डी श्वाँश ली उसने देखा मधु उसकी सहेली सामने की सीट पर आंखें वन्द किय थी,उसके  चेहरे पर गौर किया कल से आज तक मे उसके चेहरे पर पीला पन और बड़ गया था,उसके कोमल हमेशा मुश्कराने बाले होंठ  अब सूख कर मुरझा चुके  थे।
भाबी जी आप इसको डॉक्टर को दिखा ना जहां हम चल  रहे है वहां अच्छे डॉक्टर भी है।
इण्डिका की स्पीड अब धीमी थी सड़क जगह जगह उखड़ी होने के कारण गाड़ी हिचकोले खाती चल रही थी। मधु की भाबी अपनी सीट से हठ कर अपनीआपनी प्यारी ननद के पास बैठ कर उस के बालों को सहलाने लगी।रमा भी  अब उसे हिलाने लगी।
ड्राइबर ने एक हबेली नुमा बिल्डिंग के सामने गाडी रोक कर हार्न दिया ।
हॉर्न की आवज से गेट मेन ने गेट खोला ।
चलो बन्नो उठो ।
रमा ने उसे जगाने की कोशिश की, किन्तु वह स्वंय उठ कर गाड़ी का  गेट खोल कर उतर कर भाबी के साथ चल पड़ी।
हबेली के अंदर रमा और मधु की हम उम्र की भाबी की एक वहिंन थी जिसका नाम चंद्रा था, जो उन्हें देख आगे बढ़ कर अपनी दीदी से लिपट गयी।
दीदी चलो हमारे कमरे मे। 
भाबी की वहिंन जिसका नाम चन्द्रा था दोनों से बोली।
 चन्द्रा को दीदी के आने की खबर लगी तभी से इंतजार कर रही थी।
चलो अच्छा है कोई इंतजार करें...और हमे क्या।
वह धीमे से बोली।
लेकिन मेरी बहन ,तुम्हारा चेहरा क्यों बुझा बुझा सा है। चन्द्रा उसकी ओर निहारती बोली।
उस सर्वांगसुन्दरी के मुख पर एक मुरझाई मुश्कान पल भर को उभरी और गायव भी हो गई।
मधु के होठो से एक लंबी स्वांस निकली।
जो खुद एक इंतजार है,किसी का,।
रमा मधु की ओर देख कर मुश्कराई।
रमा तू मुझे दुखी करती है।
उसने उलहाना दिया।
अभी रमा कुछ कहना ही चाहती थी कि कमरे के अंदर भावीमाँ ने प्रवेश किया।
चलो सब जलपान करलो फिर कहीं घूमने जाना।
भावी हाथ मे पकड़ी ट्रे को नीचे रखती  हुई बोली।
 एक नजर अपनी प्यारी ननद मधु को देखा।वह कुछ उदास दिखी।
चन्द्रा जलपान करने के बाद तुम इन दोनो को अपने गांव में घूमाने ले जाना।
ठीक दीदी।
चन्द्रा संक्षिप्त  में बोली। 
तीनो हम उम्र लड़कियों ने जलपान एक साथ किया और गांव में आम के वाग की ओर  घूमने चल पड़ी। 
शेषआगे के पृष्ठ में क्रमशा.......।
 P.T.O.                                      H.K.Joshiarticle-image
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रचनाएँ
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