shabd-logo

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग10

6 अप्रैल 2022

26 बार देखा गया 26
अनुच्छेद 10            मेरीं यादों के झरोखों से                    ________________________________________प्रातः काल की शीतल वायु मंद सुगन्ध मन  को प्रसन्न करने बाली चल रही थी,जो प्रायः सभी के मन को बहुत भाती है, पर यह प्रातः की सुगन्धित समीर किशोर की उलझनों को और भी बड़ा रही थी,वह मलयज सुरभि  उसे भली नहीं लग रही थी,वह लगातार उस उलझन को सुझाने  की कोशिश कर ता पर उसकी यह नहीं समझ  आरहा था कि इस समस्या का हल क्या है ?
इसलिए वह यहाँ आकर एकदम  चुपचाप  बैठा शान्त झील को घूर रहा था, एक दम शांत और उदास ,किन्तु मन कभी शांत नहीं रहता, उसके मन में तो अनेक ढेंरों प्रश्न  घुमड़ रहे थे ।किन्तु वाहर से वह बिल्कुल सामान्य दिख रहा था धीर,गम्भीर सागर की भाँति।
 उसके चेहरे पर छाई उदासी की परतें  कह रहीं थी कि किशोर आज अनमना सा है।
वह बैठा हुआ बिना पलक झपकाय निरंतर झील के शांत नीले नीले पानी को गहरी नज़र से निहार रहा था ।
                        यह झील उस के गावँ के पूर्व दिशा में स्थित थी ,जो प्रकृति द्वार इस गाँव को दी गई एक विशेष उपहार थी ।
यह झील स्वचछ जल से हमेशा परिपूर्ण रहती थी, झील में प्रायः  स्वेत और गुलाबी रंग के प्यारे प्यारे मनमोहक अक्सर कमल खिले..... अधखिले दिखाई .....देते  रहते थे, साथ ही कमल के फूलों पर काले काले गुनगुन करते  वह मधुकर भी अक्सर उन दर्शकों का मन अपनीं ओर आकर्षित कर लिया करतें थे।
 किन्तु किशोर का मन  आज अजीव सी कश्मकश में फंसा हुआ था वह अपनी  धुन में बैठा हुआ था , जिसे आज वह खिलतें कमल पुष्प और चपल मधुकर भी उसका मन अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहे थे। 
 झील के तीन ओर बडी बड़ी नीले रंग के प्रस्तर की चट्टान  कुछ बिछी थी, कुछ  खड़ी थी हालांकि यह क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र नहीं था, फिर भी पता नहीं यह चट्टानें कहाँ से  यहाँ आई थी ।
शायद झील  के पानी को मंदिर की ओर जानें से रोकने का  यह एक प्रयास भर रहा होगा।
झील से लगभग पांच सौ मीटर   दूर एक  वहुत ही प्राचीन एब्ं प्रसिद्ध शक्ति पीठ माँ चामनुन्डा का मंदिर था ।
इस मंदिर में प्राचीन समय से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित थी ,किशोर ने जब से होश सभाला था तब से उसने इस मंदिर में माँ सिंह के निकट खड़ी हुई चतुर्भुजी प्रतिमा के रुप में विराज मान देखा था,जो बहुत  ही आकर्षक ममता मई भाव भंगिमा में माँ की  अति सुंदर प्रतिमा थी ।
 इस मन्दिर में प्रति दिन गावँ की स्त्री ,पुरुष सभी बृद्ध बालक यहाँ प्रति दिन श्रद्धा पूर्वक नियमित मां के मन्दिर में आया करते थे।
वर्ष के  चारों नवरात्रों में मातारानी का बहुत बड़ा मेला लगता था। जिसमें वहुत दूर दराज से लोग इस मेले मे आकर यहाँ रात्रि विश्राम कर धार्मिक क्रिया कलापों  में भाग लेते हुए पुण्य लाभ प्राप्त कर अपने अपनें घर अन्तिम तिथि नवमी को वापिस घर जाते थे।
कुल मिला कर पूरे नवरात्र यहीं विताने के वाद अपने अपने घरों को लोग इस विश्वाश के साथ लौट जाते थे, कि माँ नें उनकी प्रार्थना स्वीकार करली है।क्यों कि यह एक जाग्रत और चमत्कारी शक्ति पीठ था,यहाँ आकर लोगों की सभी मनोकामनाएं अबश्य मातारानी पूरा करतीं थी।
किशोर का मन जब भी उदास होता बह अक्सर यहीं आकर माँ के दर्शन करने के बाद स्थिति झील के किनारे स्थित चट्टानों पर बैठता था उसे सब से ज्यादा शकून  उसे माता के मन्दिर और उसके निकट वनी झील को निहारने से  ही मिलता था ।
वह जव भी उदास होता था तो अक्सर इस मंदिर के आसपास या झील के किनारे चट्टानों पर वैठ कर खिलते हुए कमलों को घंटों देखता रहता था।
              और आज भी रविबार होने के कारण  वह अकेला ही सुवह नित्य क्रिया से निवर्त हो कर सीधा माँ के मंदिर आ गया था। माँ के दर्शन करनें के पश्चात ही वह अब झील के निकट चट्टानों पर बैठकर उन ताज़े विकसित अम्बुजों को देख रहा था। 
               मंदिर में अब आने बालें श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ चूकी थी, और सूरज उदय होकर थोड़ा आसमान पर आ चुका था,जिसके परिणाम स्वरूप कमलों का सौंदर्य दोगुना प्रतीत हो रहा था।
झील के नीले शांत पानी मे रश्मिरथी की सुंदर रश्मियों के स्पर्श मात्र से ही झील का पानी और भी मन मोहक होता हुआ स्वर्णिम छवि दे रहा था।
              किशोर के मन मे  अचानक खयाल आया ,काश इस खूबसूरत अवसर पर उसके स्वप्नों की बह खूबसूरत लढ़की जो कालिज में अचानक उसे मिली थी ,और  पाहिली ही नज़र में उसका सब कुछ बिना मांगे ले गई थी, कैसी विचित्र  पहेली थी  यह....आजके समय की ,क्यों कि अबका  मानव प्यार करता है तो सोच समझकर करता है, पर वह तो ...एक...अलग मदहोशी थी..। वह सोचता चला गया।
" काश आज यहाँ वह स्वप्नसुंदरी होती तो कितना अच्छा होता " ?।
बह उस  आनाम सुंदरी वाला  के ख्वाबों में पुनः खो सा गया। अभी वह उसी के बारे में आँखे बंद कर सोच ही रहा था कि ,
अचानक तभी उसके कानों में एक खिल खिलाती वही चिरपरिचित मधुर आबाज सुनाई पड़ी।
 "  देखो मैंने आपको आख़िर  ढूंढ ही लिया "
किशोर के कानों में बही चिर परिचित स्वर गूँजा,।
बह अगलें पल विद्युत गति से चिहुँक कर पीछे घूमा ,और उस के दिल की धड़कनें  अचानक अपने आँखों से देखे उस दिवा स्वपन को अपने सामने साकर होते देख कर ह्रदय की धडकनें स्वता ही तेज हो कर बड़ चुकी थीं ।
                    उसका मुहँ आश्चर्य से खुला और मष्तिष्क जो सामने  देख रहा था उस को मान नहीं रहा था।
क्योंकि उस के सामने  उसके ख्वाबों की साकार प्रतिमूर्ति  स्वयं खड़ी हो कर  मंद मंद मुश्करा रही थी।
किशोर ने अपनी आंखों की पलकों को अनेक बार झपकाया ,उसे वेइन्तहँ  आश्चरिये होने लगा,  अगलें क्षण उसनें  अपने हाथ को  दूसरे हाथ से थपथपाया और आँखों को मलकर पुनः देखा, वह अनिंद्य सुंदरी मंद मंद  अधरों पर मधु मुश्कान लिए शनै-शनै मुश्कराती हुई दिख रही थी ।
आssss..... मैंssss.....कहीssss .....सपना तो नही देख ....रहाssssss।
किसोर अविश्वास की नजरों से  उस मुहँमांगी मुराद को बिना पलक झपकाये देखता  हुआ और स्वयं से बोल रहा था। 
हाय..!...,रे....ऐसे क्यों देख रहे हो हमे ?.....हमे इस तरह  देखने पर, हमको अब लाज आ रही है।
                       वह अनाम रूपसी उसके कानों में धीमें से  अपना मुहँ रख फुस फुसाती हुई बोली। क्या मै  ......सचमुच .....कोई अद्भुत सुखप्रद सपना  तो नहीं देख रहा हूँ  ? ।
हाय रे हम लाज से मर ना जाएं, अब  हमें लज्जा आती है ,और आप  हमें कोई सपना समझ रहे हैं।
वह अपने सिर को लाज से झुकाती हुई बोली।
हाँ .....तुम एक ....मेरें लिए एक सपना जो अविश्वाशनिय है.... वही तो.....सपना ही ....तो हो।
किशोर  फिर बुद्बुदाया।
 हम आपको भला कैसे  सपना हैं?
वह धीरे से मुश्कराती हुई बोली।
अचानक किशोर ने अपनी ऊँगली अपने दाँतों से दबाकर काटी ।
और अगले पल उसे पीड़ा की अनुभूति हु ई और वह सुखद आश्चर्य से उछल पड़ा।
 क्रमशा........आगे पृष्ठ पर ।
                                         p.t.o.article-image
27
रचनाएँ
★ मेरीं यादों के झरोंखों से ★
0.0
यह उपन्यास ग्रामीण आँचल से एक प्रेंम की विशुद्ध गाथा है, जिसका प्रारम्भ नाइक और नायिका के अचानक प्रथम बार आमना सामना होनें से होता है, दोनों एक दूसरे को देखकर सोचतें हैं कि वह दोनों तो पहिलें कभी मिलें हैं पर नायक किशोर अपनीं नायिका को देख कर अपनीं सुध बुध खो बैठता है, उसे लगता है , वह उसे वहुत पहिलें से जानता है पर उसे याद नहीं। यहीं से दोनों एक दूसरें को देखनें हेतु लालायित रहते हैं, पर कॉलिज की भी अपनीं एक मर्यादा है, अतः दोनों मन लगाकर पढ़ते हुए भी दोनों हैं
1

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 01

5 अप्रैल 2022
1
0
1

भाग 01 ★मेरी यादों के झरोखों से★ घट

2

★मेरीं यादों के झरोंखों से ★ भाग 02

5 अप्रैल 2022
0
0
0

‌अंक 02 मेरी यादों के झरोंखों से ___________________________________ अक्सर ग्रामींन आचंल में पलने बाले युवक युवतियों के

3

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग03

5 अप्रैल 2022
1
0
0

अनुच्छेद 03 मेरी यादों के झरोखों से ------------------------------------------------------------------------------कालिज की पहली घण्टी वज रही थी, मधु अपनी सहेली रमा के इंतजार

4

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 04

5 अप्रैल 2022
2
1
0

अनुच्छेद 04 मेरी यादों के झरोखों से__________________________________________किशोर एक गम्भीर प्रकृति का छात्र था, वह अपने गांव से पै

5

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 05

5 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 05 मेरी यादों के झरोखों से _______________________________________ ....एक टक़ दृष्टि उस आवा

6

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 06

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 06 मेरी यादों के झरोखों से________________________________________आज कालिज में पन्द्रह अगस्त का समारोह मनाया ज

7

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 07

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 07 मेरी यादों के झरोखों से_______________________________________किशोर अकेला कॉलिज के मुख्य गेट से लगभग 200 कदम

8

मेरीं यादों के झरोंखों से। भाग08

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 08 मेरी यादों के झरोखों..से &nbsp

9

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 09

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 09 मेरीं यादों के झरोखों से --------------------------------------------------------------

10

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग10

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 10 मेरीं यादों के झरोखों से ________________________________________प्रातः काल की

11

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 12

7 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 12 मेंरी यादों के झरोखों से -----------------------------------------------------------------------वह अनाम सुन

12

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 13

7 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 13 मेंरी यादों के झरोखों से ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~कालिज में इस वर्ष जिला स्तरीय खेलों की प्

13

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 14

7 अप्रैल 2022
2
0
0

अनुच्छेद 14 ● मेरी यादों के झरोखों से ● ------------------------------------'------------------------------अरे मैं कब से बक बक किये ज

14

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 17

8 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 17 ● मेंरी यादों के झरोखों से● _____________________________________________एक लंबे अंतराल तक दोनों एक दूसरे से लगभग दो मीटर क

15

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 19

8 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 19 मेरी यादों के झरोखों से ________________________________________आज रवि वार होने के साथ ही कालिज चार दिनों के लिये अबकाश पर था।अतः वह स्वप्निल

16

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 20

8 अप्रैल 2022
1
0
0

अनुच्छेद 20 मेरी यादों के झरोखों से_________________________________________इंडिका हवा में तैरती हुई अपने गनतब्य कि ओर लगातर अग्

17

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 45

17 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 45 मेरी यादों के झरोखों से -------------------------------------------------------------------------------मधु से मिलकर किशोर पार्क से

18

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 56

18 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 56 मेरी यादों के झरोखों से*__________________________________________________________________________________मधु को

19

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 58

18 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 58 मेरी यादों के झरोखों से ______________________________________________________________________________ पिछले अंक मे

20

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 69

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 69 मेरी यादों के झरोखों से----------------------------------------------------- ----------------------------------------------------------------------

21

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 70

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 70 मेरी यादों के झरोखों से ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ "मानव जीवन भी बड़ा

22

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 72

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 72 मेरी यादों के झरोखों से------------------------------------------ - ------------------------------------------------------------------

23

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 74

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 74 मेरी यादों के झरोखों से-------------------------------------------------------------------------------------------सेठ रविशंकर जी का उनके परिजन

24

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 75

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 75 मेरी यादों के झरोखों से ----------------------------------------------------------------------------------------- मधु की जिद के आगे परिवार के

25

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 77

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 77 मेरी यादों के झरोखों से ______________________________________________संसार मे आना जाना यह लगा हुआ है इसीलिये इसे सांसारिक नियम माना है, जिसकी मृत्यु हुई

26

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 78

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 78 मेरी यादों के झरोखों से -------------------------------------------------------------------------------------मधु क

27

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 79

19 अप्रैल 2022
1
0
0

अनुच्छेद 79 मेरी यादों के झरोखों से ------------------------------------------------------------------------------------------- सेठ जी की कोठी आज रंग बिरंगे बल्बों की

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए