लोग बेवजह कोसते है बुरे वक्त को..विचार कीजिए हम अच्छे वक्त में ज्यादा सीखते है
या बुरे वक्त में!
जिनके ह्रदय में माँ बाप के लिए प्यार और सम्मान नहीं, अपने से श्रेष्ठ जनों के प्रति मन में श्रद्धा व सेवा भावना नहीं, सच मानना वही लोग सचमुच असुर हैं।
असुर वो नहीं जिनके पास बुद्धि ना हो अपितु वो जिनके पास शुद्धि ना हो। जिनके मन में सदैव दूसरों का अहित करने का चिन्तन चलता रहे वही दैत्य हैं और जो सदैव दूसरों को देने के दैवीय भाव में जीयें वही देव हैं।
असुर वो भी नहीं जिनका चित्र अच्छा न हो अपितु असुर वो हैं जिनका चरित्र अच्छा ना हो। जीवन मे हमे जो कुछ मीला है वो जरुरतमंदो के लिए हैं जो किसीकी सहायता नकरे वो असुर हैं।
!!!...गिरने से पराजय नहीं होती, गिर कर उठने से इनकार पराजय है...!!!
किसी की मीठी बातों का ये मतलब नहीं होता कि आप उसके लिये खास हैं...क्योंकि कभी-कभी कबूतर को खिलाने के लिये नहीं..बल्कि पकड़ने के लिये भी दाना डाला जाता है।