*राजा अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुम लोग सारा दिन भगवान की भक्ति करते हो, सिमरन करते हो ,उसका नाम लेते हो।*
*आखिर भगवान तुम्हें देता क्या है ?*
*बीरबल ने कहा कि महाराज मुझे कुछ दिन का समय दीजिए ।*
*बीरबल एक बूढी भिखारन के पास जाकर कहा कि मैं तुम्हें पैसे भी दूँगा और रोज खाना भी खिलाऊंगा, पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा ।*
*बुढ़िया ने कहा ठीक है - जनाब बीरबल ने कहा कि आज के बाद*
*-अगर कोई तुमसे पूछे कि क्या चाहिए तो कहना अकबर, -अगर कोई पूछे किसने दिया तो कहना अकबर शहंशाह ने ।*
*वह भिखारिन अकबर को बिल्कुल नहीं जानती थी, पर वह रोज-रोज हर बात में अकबर का नाम लेने लगी ।*
*कोई पूछता -क्या चाहिए तो वह कहती अकबर, -कोई पूछता किसने दिया, तो कहती अकबर मेरे मालिक ने दिया है ।*
*धीरे धीरे यह सारी बातें अकबर के कानों तक भी पहुँच गई ।*
*वह खुद भी उस भिखारन के पास गया और पूछा यह सब तुझे किसने दिया है ?*
*तो उसने जवाब दिया, मेरे शहंशाह अकबर ने मुझे सब कुछ दिया है ।*
*फिर पूछा और क्या चाहिए ?*
*तो बड़े अदब से भिखारन ने कहा* - *अकबर का दीदार, मैं उसकी हर रहमत का शुक्राना अदा करना चाहती हूँ, बस और मुझे कुछ नहीं चाहिए ।*
*अकबर उसका प्रेम और श्रद्धा देख कर निहाल हो गया और उसे अपने महल में ले आया ।*
*भिखारन तो हक्की बक्की रह गई और अकबर के पैरों में लेट गई, धन्य है मेरा शहंशाह*
*अकबर ने उसे बहुत सारा सोना दिया, रहने को घर, सेवा करने वाले नौकर भी दे कर उसे विदा किया ।*
*तब बीरबल ने कहा महाराज यह आपके उस सवाल का जवाब है ।*
*जब इस भिखारिन ने सिर्फ केवल कुछ दिन सारा दिन आपका ही नाम लिया तो आपने उसे निहाल कर दिया - इसी तरह जब हम सारा दिन सिर्फ मालिक को ही याद करेंगे तो वह हमें अपनी दया मेहर से निहाल और मालामाल कर देगा जी।*
*जीवन में निरंतर प्रभु स्मरण की आदत बनानी चाहिए । यह सबसे आवश्यक और जरूरी साधन है । जीवन भर प्रभु का स्मरण हर पल, हर लम्हें रहना चाहिए । इससे हमारा अन्त* *सुधर जायेगा, हमारी गति सुधर जायेगी ।*
*परमात्मा ना गिनकर देता है*
*ना तौलकर देता है*
*परमात्मा जिसे भी देता है*
*दिल खोलकर देता है*
*टेक ले माथा परमात्मा के चरणों में*
*नसीब का बंद ताला भी खुल जायेगा*
*जो नहीं भी मांगा होगा*
*"ईश्वर" के दर से*
*बिन मांगे मिल जायेगा*