दूसरों से अपेक्षा रखना अपनी क्षमताओं पर आघात करने जैसा है।
3 जनवरी 2022
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दूसरों से अपेक्षा रखना अपनी क्षमताओं पर आघात करने जैसा है। आप जब-जब किसी काम को स्वयं न कर दूसरों से अपेक्षा रखते हैं तब-तब आपकी क्षमता प्रभावित होती है। और आप वो बनने से चूक जाते हैं जो आप बन सकते थे।
अपेक्षा अगर दूसरों से की जाती है तो वह कष्टदायी होती है और अपेक्षा अगर स्वयं से की जाती है तो वह प्रतिभा बन जाती है। दूसरों से अपेक्षा रखना बेईमानी है। जो स्वयं से अपेक्षा रखे, बस वही स्वाभिमानी है।
जगत में किसी का प्रेम कभी कम नहीं होता अपितु हमारी अपेक्षाएं अधिक हो जाती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि,
“ आशा ही परमं दुखं, नैराश्यं परमं सुखं"
दूसरों से अपेक्षा रखना अगर परम दु:ख है तो फिर अपेक्षा किसलिए ? तुम अपनी क्षमताओं पर यकीन तो करो वाकई तुम बहुत कुछ हो।