*"नफरतों" में क्या रखा हैं, "मोहब्बत" से जीना सीखो, क्योकि ये दुनियाँ न तो हमारा घर हैं, और न ही आप का ठिकाना ..,*
*याद रहे ! दूसरा मौका सिर्फ कहानियाँ देती हैं , जिन्दगी नहीं, "परिवार" का हाथ पकड़ कर चलिये; लोगों के "पैर" पकड़ने की नौबत नहीं आएगी....*
*परिवार के प्रति जब तक मन में "खोंट" और दिल में "पाप" है, तब तक सारे "मंत्र" और "जाप" बेकार है,*
*"जीवन" एक यात्रा है, रो कर जीने से बहुत लम्बी लगेगी, और हंस कर जीने पर कब पूरी हो जाएगी,? पता भी नहीं चलेगा...*
*"ईश्वर" से शिकायत क्यों है, ? ईश्वर ने पेट भरने की जिम्मेदारी ली है, पेटियां भरने की नहीं,*
*ह्रदय कैसे चल रहा है, यह डाक्टर बता देंगे, परन्तु ह्रदय में क्या चल रहा है,? यह तो स्वयं को ही देखना है;...!!*
*भाग्य और झूठ के साथ*
*जितनी ज्यादा उम्मीद करोगे, वो उतना ही ज्यादा निराश करेगा, और..*
*"कर्म" और "सच" पर जितना जोर दोगे, वो उम्मीद से सदैव ही ज्यादा देगा.!! जो प्राप्त है....*
*वही पर्याप्त है....*