*तीन चीजें हैं जो भगवान को बेहद प्रसन्न करती हैं: एक जीभ जो कभी झूठ में शामिल नहीं होती है, एक शरीर जो दूसरों को नुकसान पहुंचाकर कलंकित नहीं होता है, और एक मन जो आसक्ति और घृणा से मुक्त होता है। ये तीनों त्रिगुण पवित्रता का निर्माण करते हैं। असत्य बोलने, दूसरों को कष्ट पहुँचाने और दूसरों के प्रति दुर्भावना का मनोरंजन करने से बचना चाहिए। जीभ को सत्य से भटकने से रोकने के साधन के रूप में मौन का अभ्यास करें। इस उद्देश्य के लिए प्राचीन ऋषियों ने मौन का अभ्यास और उपदेश दिया।*