*क्या है सबसे बड़ा धर्म,? और सबसे बड़ा पाप,?*
*मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धर्म और अधर्म मानी जाने वाली बात के बारे में बताया है कि,? मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है, "सत्य बोलना," या "सत्य" का साथ देना, और सबसे बड़ा अधर्म है, "असत्य" बोलना, या उसका साथ देना,*
*इसलिए हर किसी को अपने मन, अपनी बातें, और अपने कामों से हमेशा उन्हीं को शामिल करना चाहिए, जिनमें "सच्चाई" हो, क्योंकि इससे बड़ा कोई "धर्म" है ही नहीं, असत्य कहना, या किसी भी तरह से "झूठ" का साथ देना, मनुष्य की "बर्बादी" का कारण बन सकता है....*
*मनुष्य को अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह खुद ही बनना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा काम करे, या बुरा,? उसे कभी भी ये नहीं सोचना चाहिए कि, उसके कर्मों को कोई नहीं देख रहा है, कई लोगों के मन में गलत काम करते समय यही भाव मन में होता है कि, उन्हें कोई नहीं देख रहा, और इसी वजह से वे बिना किसी भी डर के पाप कर्म करते जाते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है, मनुष्य अपने सभी कर्मों का साक्षी खुद ही होता है, अगर मनुष्य हमेशा यह एक भाव मन में रखेगा तो वह कोई भी पाप कर्म करने से खुद ही खुद को रोक लेगा,*
*किसी भी मनुष्य को मन, वाणी और कर्मों से पाप करने की इच्छा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मनुष्य जैसा काम करता है, उसे वैसा फल भोगना ही पड़ता है.....*