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रंगमंच

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उपरवाला उन्हीं लोगों को मुश्किलों से आजमाता है,

मै लेखिका एंजल shilbe तिवारी आज से शब्द इन की इस साइड में अपनी पहली कहानी cafe अजनबी इश्क़ पोस्


कौन कहता यारों

जीना आसान है ।

हर दिन मैं रोता हूँ,

असीम द

हर पल हर लम्हा हम जीते रहे किसी की खुशी के लिए ।
पर उसी ने एक लम्हे ही हमें मार दिया

प्रथम अंक 

डेविड जेल में अपने बैरक में बैठा है। जो जेलर के ऑफिस से

पल पल रंग बदलती जिंदगी ।
कभी खुशी के तो कभी गम के संग चलती जिंदगी ।

आँखे उनकी भी कुछ कहती होंगी ... वादे तोड़ कर,साँसे भी लेती होंगी ... अच्छा या बुरा किये,सोचती तो ज

भाग-3 (वो दुलहन )

"हक से माँगों.....बाबू चन्दन" कॉपी के

बच्चें अपने कमरें में बैठकर बातें कर रहे है।नज़र दरबाजे पर टिकी है।
भानवी:-दीदी दीदी !

इच्छाएं स्वयं  हम निर्धारित करते  है अच्छी  और बुरी  ....असीमित  और प्

यह पंक्तियां माखनलाल चतुर्वेदी जी की पुष्प की अभिलाषा से अभिप्रेरित है बिलासपुर की पुण्य धरा पर

जमाने से है दिल बेखबर  पर 
मन किताब में सबके खत रखता हूँ।

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