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समाज

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बिचित्र अहसास डॉ शोभा भारद्वाज जीवन में कई बार बेहद रोमांचक घटित होता है . ईरान के खुर्दिस्तान प्रांत की राजधानी सन्नंदाज के आखिरी छोर के अस्पताल में मेरे पति डाक्टर एवं इंचार्ज थे बेहद ख़ूबसूरत घाटी थी .उन दिनों वहाँ ईरान इराक में युद्ध चलता रहता था ,कभी रुक जाता फि

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*सनातन धर्म एवं उसकी मान्यताएं इतनी दिव्य रही हैं कि वर्ष का प्रत्येक दिन , महीना एवं वर्षारंभ सब कुछ प्रकृति के अनुसार मनाए जाने की परंपरा सनातन धर्म में देखी जा सकती है | जब प्रकृति अपना श्रृंगार कर रही होती है तब सनातन धर्म का नव वर्ष मनाया जाता है | बारह महीनों में चैत्र माह को मधुमास कहा गया है

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चाहतीहूँ ,उकेरना ,औरत के समग्र रूपको, इस असीमित आकाश में !जिसके विशालहृदय में जज़्बातों का अथाह सागर,जैसे संपूर्ण सृष्टि कीभावनाओं का प्रतिबिंब !उसकेव्यक्तित्व कीगहराई में कुछ रंग बिखर गए हैं । कहींव्यथा है ,कहीं मानसिक यंत्रणा तो कहींआत्म हीनता की टीस लिए!सदियोंसे आज

यह कौन -सा विकास हो रहा है ...? जहाँ ,गलत को सही ,और ,सही को दबा देने का प्रयास हो रहा है !वे कहते हैं ,साक्षरता बढ़ रही है । समाज की कुंठित सोच तो आज भी पनप रही है ।औरत आज भी है ,मात्र हाड़ -माँस की कहानी , शरीर की भूख मिटा , जिसे रौंद कर मिटा देने में है आसानी!हाँ ,यह लोकतंत्र है ...!अंधा क़ानून सबूत

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*मानव जीवन देवता , दानव , यक्ष , गंधर्व आदि सबसे ही श्रेष्ठ कहा गया है | इस मानव जीवन को सभी योनियों में श्रेष्ठ इसलिए कहा गया है क्योंकि मनुष्य के समान कोई दूसरी योनि है ही नहीं | यह दुर्लभ मानव शरीर हमें माता-पिता के सहयोग से प्राप्त होता है यदि माता-पिता का सहयोग ना होता तो शायद यह दुर्लभ मानव

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इन्सानियत को हमने रुलाया है आज डर ने मुकाम दिल में बनाया है मंदिर से अधिक मधुशालाएं हैं ऐसा बदलाव अपने देश में आया है ये वस्त्रहीन सभ्यता अपने देश की नहीं पर्दा ही आज ,लाज पर से उठाया है बेकारी ,भूंख प्यास ने सबको रुलाया है भारत में यह कैसा अच्छा दिन आया है साहित्य से क्यों दूर हैं आज की पीढ़ियां इस

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*हमारा देश भारत विविधताओं का देश रहा है यहाँ समय समय पर समाज के सम्मानित पदों पर पदासीन महान आत्माओं को सम्मान देने के निमित्त एक विशेष दिवस मनाने की परम्परा रही है | इसी क्रम में आज अर्थात ५ सितम्बर को पूर्व राष्ट्रपति डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती "शिक्षक दिवस" के रूप में सम्पूर्ण भारत में मना

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*इस संसार को गतिशील करने के लिए ब्रह्मा जी ने नर नारी का जोड़ा उत्पन्न करके मैथुनी सृष्टि की जिससे कि मानव की वंशबेल इस धराधाम पर विस्तारित हुई ! आदिकाल से ही एक धारणा मनुष्य के हृदय में बैठ गयी कि पुत्र होना आवश्यक है ! इतिहास / पुराण में अनेकों कथानक प्राप्त होते हैं जहाँ लोगों ने पुत्र प्राप्ति क

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*ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की संकल्पना की थी इसलिए इसे पुरुष प्रधान समाज कहा जाने लगा परंतु ब्रह्मा जी जैसे आदि पुरुष भी बिना नारी का सृजन किये इस सृष्टि को गतिमान नहीं कर पाये | नारी त्याग , तपस्या एवं समर्पण की प्रतिमूर्ति बनकर इस धरा धाम पर अवतरित हुई | सनातन धर्म में प्रतिदिन कोई न कोई पर्व एवं त्

ममता का कर्ज उसने चुका दिया ?डॉ शोभा भारद्वाज मैं इस संसमरण का निष्कर्ष नहीं निकाल सकी कुछ वर्ष पुरानी बात है मुस्लिम समाज के रोजे चल रहे थे ईद को अभी एक हफ्ता शेष था इन दिनों बाजारों की रौनक निराली होती हैं महिलाओं बच्चों के नये डिजाइन के रेडीमेड कपड़े आर्टिफिशियल ज्वेलरी चूड़ियां झूमर और न जाने क्

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*सनातन धर्म में व्रत , पूजन आदि करते रहने के विधान बताए गए हैं | उन सब का फल प्राप्त करने के लिए लोग तरह - तरह के अनुष्ठान करते हैं | इन अनुष्ठानों का एक ही उद्देश्य होता है -- परमात्मा की उपासना या परमात्मा को प्राप्त करने का उपाय कहा जा सकता है | यह सारे व्रत , सारे अनुष्ठान करने पर भी उसका फल मा

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दस्तकफिर वही शोर .....बाहर भी और अंदर भी ....!अंतः करण में गूँजते शब्द दस्तक देने लगे ।विद्यालय में नए सत्र के कार्यों के लिए सबके नाम घोषित किए जा रहे थे ।अध्यापकों की भीड़ में बैठी …..कान अपने नाम को सुनने को आतुर थे ,मगर..... नाम, कहीं नहीं.....!क्यों...? बहुत से सवाल मन में आ रहे थे । आस -पास बह

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छोड़ दो आधुनिकता के दौर में नित नई-नई खोज हो रही है। कभी मंगल तो कभी चाँद पर बसने की टोह हो रही है। ये सब देखते हुए भी तुम - नही सीख रहे हो, अभी भी जीवन जी रहे हो पुराने ढर्रे से। क्यो

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उजाले की ओर हमारे पूर्वज हमारा अभिमान है, हमारे पूर्वज इस देश की मूल संतान हैं, हमारे पूर्वज कभी शासक हुआ करते थे इस देश के। हमारे पूर्वजों को गुलाम बनाकर कराये गये घृणित कार्य अब समय आ गया

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मनुष्य की पहचान उसके संस्कार से होती हैं ! मनुष्य को जैसे संस्कार मिले होते हैं उसकी वैसी ही मानसिकता भी हो जाती है | जहाँ सकारात्म मानसिकता मनुष्य को सच्चरित्रवान बनाती है वह

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *इस संसार में वैसे तो एक से बढ़कर एक बलधारी हैं परंतु सबसे बलवान यदि कोई है तो वह है समय ! समय इतना बलवान है कि जब वह अपने पर आता है तो अच्छे - अच्छे बलधारी धूल चाटने लगते हैं

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *विद्वता मनुष्य को विनयशील बनाती है , क्योंकि जिस डाली पर जितने फल होते हैं वह डाली उतनी ही ज्यादा झुकी रहती है | परंतु आज विद्वता का अर्थ ही बदलकर रह गया है आज विद्वानों में अ

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*इस धराधाम पर जन्म लेने के बाद मनुष्य जीवन भर अनेक प्रकार के क्रियाकलाप सम्पादित करता रहता है ! समय - समय पर नाना प्रकार की कामनायें हृदय में प्रकट होती रहती हैं इन कामनाओं की पूर्ति के लिए मनुष्य अनेक प्रकार के उपाय किया करता है | कुछ लोग कर्मवीर होते हैं जो अपनी प्रत्येक कामना अपनी कर्म कुशलता से

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*इस संसार में मनुष्य को गलतियों का पुतला कहा जाता है , मानव जीवन में स्थान - स्थान पर मनुष्य जाने - अनजाने कोई न कोई भूल करता रहता है जिसके कारण उसके जीवन की दिशा एवं दशा भी परिवर्तित हो जाती है | यदि मनुष्य को गलतियों का पुतला कहा गया है तो उसे अपनी गलतियों का सुधार करने का अवसर प्रदान किया गया है

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*मनुष्य अपने जीवनकाल में अनेक प्रकार के मार्गदर्शक एवं गुरुओं की शरण में जाता है परंतु इन सबसे पहले जब मनुष्य इस संसार में आता है तो जिस प्रथम गुरु से उसका सामना होता है उसे इस सृष्टि में माँ कहा जाता है | बालक का प्रथम क्रीड़ास्थल माता की गोद की होती है , शास्त्रों में माता को बालक का प्रथम गुरु कह

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