रिमझिम बारिश की फुहार है ये बारिश की बूंदे बादल
सालो बाद कुछ ऐसा नजारा हो होगा
चलो आज हमारा पिटारा खोल देते हैं।
महंगाई का फंडा..! मित्रों ये उस वक्त का संस्मरण है जब मैं स्नातक होनें की प्रक
आज के जमाने में तो घुंघट भाग्य ही कोई निकालता हो मगर पुराने समय में श
बातें जब ज्ञान या ध्यान की हों, अध्यात्म या दर्शन की हों, धर्म या पौराणिकता की हों, जीवन-मृत्यु य
पराए वक्त की थाती में सांस ढोता शरीर नींद ले रहा था, तभी मस्तिष्क पर कुछ दस्तक हुई और हड़बड़ा कर
याद आते है आपको ? वो बचपन के दिन जब हमारा व्यक्तित्व हमारे मां बाप और
दौड़....मैं अपनी जिंदगी में दो बार दौड़ा हूँ। जिन्हें भूलना थोड़ा मुश्किल है। एक बार 1998 में जब हमें द
बात मार्च 1998 की है, हरिद्वार में आज कुंभ का शाही स्नान था। इसलिए पूरे मेला क्षेत्र में किसी भी वाह
आजकल क्रेक्स के साथ फ्री गिफ्ट मिलते हैं। पहले साल में एक या दो चीजें ही बाजार में आती थी जिनके साथ
बचपन में हमारे पास खेलने के मुख्यतः तीन विकल्प थे चाभी वाले खिलौने, जन्माष्टमी के खिलौने और चूरन की
1990 में दूरदर्शन पर दोपहर में क्राफ्ट बनाने का कार्यक्रम आता था। इसकी लोकप्रियता का पता इसी से चलता
हरिद्वार में हमने एक छोटा ताला खरीदा था। लगभग डेढ़ साल बाद उसकी चाभी हरिद्वार में कहीं खो गई। फिर वो