शुद्ध हवाएँ बहक गयी, और सिमट गयी मेरी धरती, नदियां, निर्जल, सूखी सी और प्यासी है मेर
एक-दूसरे कभी गांव में जब रामलीला होती और उसमें राम वनवास प्रसंग के दौरान केवट और उसके साथी रात में नदी के किनारे ठंड से ठिठुरते हुए आपस में हुक्का गुड़गुड़ाकर बारी-बारी से एक-एक करके- “ तम्बाकू नही
🌷🌹"विकार, दिव्यता एवं भक्ति"🌹🌷 अमृत नाम महा रस
जीवन में मानव सोच ज्यादा और काम कम करता है यदि वह सोच कम और काम ज्यादा करे तो जिंदगी बहुत ही बेहत
बड़हल या बड़हर का पेड़ ,पीले गोल फूल वाला ये पेड़ उत्तर भारत ,पूर्वी भारत और मध्य भारत में बहुधा पाया
Part:-2
बात 1978 मैंने पैथोलॉजी के डिप्लोमा ट्रेनिंग के लिए लिए हॉस्पिटल
वह स्वाभिमानी बुजुर्ग महिला मुंबई लोकल ट्रेन तो वैसे बहुत भीड़ भरी होती है । पर दोपहर
🌷🌹"सिमरन रब्बी मनोवृत्ति है"🌹🌷 श्रीरामचरितमान
एक टीस है मन में उस टीस से इतनी ऊर्जा निकलती है की देखने भर से पर्वत हिला दे<