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संस्मरण

hindi articles, stories and books related to Sansmaran


मैं हूँ खुला आसमान। दिल मे हैं कई राज। 
मैं बताऊँ तुम सुनो। बनो मेरे हमराज। 


घर में सबसे बड़ी भी थी , सर्वगुण सम्पन्न, हर कला में निपुण, ऐसा

दर्द था दिल में बताया नहीं
आंसू था आंखों में जताया नहीं
जिंदगी ने कभी संग ह

बातें बन गई दास्ताँ मेरी
जिंदगी जी रही हूं तेरी यादों के सहारे
अपनी यादों स

🌷🌹"परछाईं न साथ है देती"🌹🌷

🌷🌹"राब्ता-ए-फ़क़्र: सज़दा"🌹🌷

अक्सर ही इस संसार म

तुम्हे वक्त नहीं है मिलने का मीरे चौखट जहाँ
मैं छलकते पैमाने पर त

जब हम छोटे बच्चे थे।
रोज स्कूल जाते थे।
बहुत शरारत करते थे।

सीखा बहुत कुछ  है 
अपनों से और जमाने से ,

जज्बातो से परे जज्बातो को लेकर

🌷🌹"लेखनी की गरिमा"🌹🌷

कोई भी कवि या लेखक कभी, ब

🌷🌹"सच्ची इबादत"🌹🌷

जो मैं रूठूं तू मना लेना

अपने साथ से जिंदगी मेरी
हसीन बना देना

जून की तपती दोपहरी में श्यामा अपने घर लंच लेने आया करती थी। वैसे तो श्यामा दफ्तर में ही लंच करती थी।

शहरों में कहां मिलता है वो सुकून जो गांव में था,

जब कोई अपना चला जाता है ।

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बस नाम की हँसी बहुत हँस लिए
क्यूँ न अब हम दिल स


✍️उम्मीद - हमारी

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