घर में सबसे बड़ी भी थी , सर्वगुण सम्पन्न, हर कला में निपुण, ऐसा
🌷🌹"राब्ता-ए-फ़क़्र: सज़दा"🌹🌷 अक्सर ही इस संसार म
जब हम छोटे बच्चे थे।
रोज स्कूल जाते थे।
बहुत शरारत करते थे।
जो मैं रूठूं तू मना लेना
जून की तपती दोपहरी में श्यामा अपने घर लंच लेने आया करती थी। वैसे तो श्यामा दफ्तर में ही लंच करती थी।
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