हम उनकी यादों के चिंलमन में बैठे हैं
इंतजार के दिए आज भी जलाये बैठे हैं
प्यार की मंजिल हासिल नहीं हुई
नाम वो थे बेवफा ,ना हम थे बेवफा
मगर अपनी राहें थीं जुदा
वक्त ने किया था कुछ ऐसा सितम कि
हो गयीं थी दोनों की राहें जुदा- जुदा
उनके प्यार की चिंगारी भड़क न उठे,
हम उनको अपने दिल के तहखाने में
छुपा बैठे
उसने कभी मुड़कर न देखा
हमने भी कभी सदा देने की जुर्रत न की
हमने जिंदगी दर्द में गुजार दी
उनसे नाराज होकर खुद को ही
नाराज़गी की सजा दे डाली ।
धन्यवाद🙏