सच कहता हूँ, मैं दिल का बुरा नहीं हूँ।
हम दिल को, समझाते रहे;
जिन्दगी, हमें स
मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष शंकर दत्त पांडे की पुण्यतिथि पर 12-
कुछ रिश्ते अनजाने में जुड़ जाते है ,
जाने कब कैसे वो दिल म
नौकरी की तलाश इंसान को दूरियां तय करने के लिए मजबूर कर देता है। दूरियां चाहे उस समय क
मुझे एक सच्ची घटना याद आती है,ये बहुत समय पहले की बात है मैं तब आठ-नौ
कोरोना का मतलब है कोई रोए ना, दर्द मिले ऐसा कि कोई सोए ना। बेतहाशा सा बैठ के बस निह
विदिशा भरतरि धाम माथे टेकने पहुंच गई। इससे पहले ना जाने कितने मंदिरों में वह मिन्नतें