मानव और उसकी सोच यात्रा के समान ही चलती है जिस तरह मानव धन कमाने हेतु विचरन करते रहता है ठीक उसी तरह यात्रा करने के साथ उसकी सोच भी विचरन को विवश रहता है जिस मनःसथिती से वह विचरन कर रहा होता है मानो हर पल वह बेचैन मन से चला करता है कया होगा कैसे होगा यह सब सोचते ही विचलित मन से यात्रा पर चलता रहना ह
गुरु की आवश्यकता क्यों अज्ञान्तिमिरान्धस्य ज्ञानांजनशलाकयाचक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमःमैं आजकल अपने ब्लॉग पर अपने योग गुरु हिमालयन योग परम्परा के स्वामीवेदभारती जी की पुस्तक “Meditation and it’s practices” का हिन्दी अनुवाद– जो स्वयं स्वामी जी ने मुझ पर कृप
कल मिलुँगा मैं तुझे,किस हाल में (?)कोई कहीं लिखा पढ़-कह नहीं सकता।नसीब के संग जुटा हूँ-ओ' मेरे अहबाब,अहल-ए-तदबीर में मगर,कोताही कर नहीं सकता।।के. के.
निज भाषा उन्नति अहे,सब उन्नति को मूल महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी भाषा को सब प्रकार की उन्नति का मूल कारक बताया था।अपनीभाषा अर्थात जिस जगह हम रहते हैं ,उस विस्तृत भूभागमें बोली जाने वाली भाषा।इस प्रकार हिंदी हमारी मातृ-भाषा है,क्योंकि वह विस्तृत भू-भाग में
यूं तो आपके इंतज़ार में हमने कुछ इस तरह आँसू बहाया है रातों की नींद तो छोड़िये हमने दिन का चैन भी गवाया है देखा जो हमने आपको आप हमें पहली नज़र में ही भा गए नज़रों में कुछ इस तरह उतरे की सीधे दिल में समा गए देखा है हमने ज़माने को इश्क़ में धोखा खाते
जय श्री कृष्ण मित्रो ... #हक़ीक़त ये भी है कि आज बच्चों के माता पिता बने रहने की बजाय उनके मित्र बनने की कोशिश करें ।अपनी मनमर्जी थोपने की बजाय उनकी खुशियों पर भी ध्यान दें तभी समाज को विकृति से बचाया जा सकता है ।बच्चों के साथ बैठना ,उन्हें सही संस्कार देना और घरों मे
धीमे-धीमे सुलगती,जिंदगी सिगरेट-सी।तनाव से जल रही,हो रही धुआं-धुआं।जिंदगी सिगरेट-सी,दुख की लगी तीली !भभक कर जल उठी,घुलने लगा जहर फिर!सांस-सांस घुट उठी,जिंदगी सिगरेट- सी ।रोग दोस्त बन गए,फिज़ा में जहर मिल गए।ग़म ने जब जकड़ लिया,खाट को पकड़ लिया।मति भ्रष्ट हो चली,जिंदगी सिगरेट- सी।धीमे-धीमे जल उठी,फूंक
व्रत और उपवास कल यानी तीन जून को उत्तर भारत केअधिकाँश क्षेत्रों में महिलाएँ वटसावित्री अमावस्या व्रत का पालन करेंगी | सर्वप्रथमव्रत रखने वाली सभी महिलाओं को वट सावित्री अमावस्या की हार्दिक शुभकामनाएँ…केवल भारत में और हिन्दू धर्म में हीनहीं, प्रायः प्रत्येक देश में और लगभग सभी धर्मसम्प्रदायों में कि
खिली बसंती धुप "खिल उठी बसंती धुप फिजा भरी अंगड़ाई चली हवा सुगन्धित ऐसी प्रिये जब -जब मुस्कायी | रूप बदल नित नवीन श्रृंगार ले रौनक लाई अधरों मुस्कान रहा प्रिये जब ली अंगड़ाई | | मन मलिन कभी हुआ सम्मुख तब तुम आई खिली बसंती धुप नई प्रिये मन मुख मुस्कायी | हृदय ागुंजित स्वर बेला मंगल- बुद्धि ठकुराई
वैदिक ज्योतिषमें राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है | यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में येदोनों ग्रह उत्तम स्थिति में हैं तो उसके लिए मान सम्मान में वृद्धि तथा आर्थिकस्थिति में दृढ़ता लाने वाले माने जाते हैं | किन्तु यदि ये दोनों ग्रह प्रतिकूलस्थिति में हैं तो अनेक प्रकार की शारीरिक समस्याओं के साथ
"छड़, मकान और छत"ठिठुर रहा है देश, ठिठुर रहें हैं खेत, ठंड की चपेट में पशु-पंछी, नदी, तालाब और अब महासागर भी जमने लगे हैं अपने खारे पानी को उछालते हुए, लहरों को समेटते हुए। शायद यही कुदरत की शक्ति है जिसे इंसान मानता तो है पर गाँठता नहीं। आज वह बौना बना हुआ है और काँप रहा है अपनी अकड़ लिए पर झुकने को
सविता अपने बचपन की सारी खुशीयों को अपने माँबाप के साथ नही बाँट पाई। गाँव को समझ नही पाई, चाँद तारों की छाव में उनकीठंडक को भाँप नही पाई, चन्द सवाल ही पूछ पाती कि चंदा मामा कितनीदूर है? गोरी कलाइयों में बंधे दूधिया तागे कमजोर पड़ गए थे| पैरो में पड़ी पाज़ेब की खनक छनक से अपने नानी नाना के दिल को मोहने ल
19 नवम्बर अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस ‘भारत में’ ? डॉ शोभा भारद्वाज 19 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने का चलन 1960 से चल रहा है | पुरूष दिवस की विशेष रूप से शुरुआत त्रिनिदाद एवं टोबागो में की गयी थी अब यह 70 देशों में मनाया जाता है भारत में भी 19 नवम्बर 2007 के दिन सेव इंडियन
सभी को अपने पुरे जीवन में अधिक से अधिक पेड लगाने चाहिए।जिससे आने वाला भविष्य सुरक्षित होगा
बढ़ ही रहा है ---------------------------- यह खूंखार मंजर ----------------------------------- साल गुज़रते रहे ======तरसते रहें हम "अच्छे दिनों " को और " सबका विकास " से !!!!!!!???????? RSS को हिन्दुओं की नहीं बल्कि हिंदुत्व की चिंता सता रही है. यह आडम्बर किस लिए ????!!!!!!