बिहार के छपरा में एक यूनिवर्सिटी है जयप्रकाश विश्वविद्यालय. वही छपरा जहां के रहने वाले थे हमारे पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद. कहा जाता है कि पढ़ाई में इतने तेज थे कि जब शिक्षक उनकी कॉपी चेक कर रहे थे तो कॉपी देखने के बाद शिक्षक ने लिखा था कि कॉपी लिखने वाला कॉपी जांचने वाले से ज्यादा जानकार है. ये एक हकीकत है, जो किंवदंती बनकर बिहार के हर एक छात्र की जुबान पर मौजूद है.
उसी छपरा में 23 मई 2018 को कुछ और परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे थे. जयप्रकाश विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त राजेंद्र कॉलेज में बीए थर्ड ईयर की परीक्षा थी. परीक्षा सामान्य ज्ञान की थी, जिसे देने के लिए परीक्षार्थी कॉलेज पहुंचे थे. लेकिन जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसे देखकर ये परीक्षा का नजारा कम और सामूहिक भोज का नजारा ज्यादा लग रहा है. इन तस्वीरों ने उस पुरानी तस्वीर को भी पीछे छोड़ दिया है, जिसमें नकल के लिए लोग दीवारों के सहारे छज्जों पर चढ़कर पर्चियां फेंक रहे थे.
हुआ ये कि कॉलेज में ज़रूरत से ज्यादा छात्र परीक्षा देने पहुंच गए. जिसको जहां जगह मिली, बैठ गया. सीढ़ियां, बारामदा, क्लासरूम, फर्श हर जगह छात्र बैठकर कॉपी लिख रहे थे. जिसे बैठने की जगह नहीं मिली, वो खड़े-खड़े कॉपी लिख रहा था. इतना ही नहीं, छात्रों ने अपनी सुविधा के हिसाब से कपड़े पहन रखे थे और कुछ छात्र तो गर्मी की वजह से अर्धनग्न होकर परीक्षा दे रहे थे. अब सभी छात्र एक साथ बैठे थे, तो जाहिर था कि ये सभी एक-दूसरे की मदद कर रहे थे. एक दूसरे से पूछकर कॉपियों पर सवालों के जवाब लिख रहे थे और परीक्षा लेने के लिए तैनात केंद्र निरीक्षक आपस में बातें कर रहे थे.
23 मई की शाम होते-होते जब परीक्षा खत्म हुई, राजेंद्र कॉलेज की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. इस बारे में जब जयप्रकाश यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर हरिकेश सिंह से बात की गई, तो उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी से ही इन्कार कर दिया. हालांकि उन्होंने ये ज़रूर कहा कि उन्होंने परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले सभी कॉलेज के प्रिंसिपल को कहा था कि परीक्षाएं सीसीटीवी की निगरानी में होंगी. इसके अलावा अगर किसी सेंटर पर परीक्षार्थियों की संख्या ज्यादा हो जाती है, तो किसी पास के स्कूल या कॉलेज में सेंटर की व्यवस्था की जाए और वहां पर परीक्षा ली जाए. परीक्षा नियंत्रक अनिल कुमार सिंह ने इसके लिए सभी कॉलेज को 21 मई को लेटर भी जारी कर दिया था.
लेकिन जब 23 मई को परीक्षा हुई, तो राजेंद्र कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर वीरेंद्र प्रसाद यादव ने कोई व्यवस्था नहीं की. जब फोटो वायरल हो गई और उनसे सवाल-जवाब शुरू हुए तो उन्होंने अपने अलग ही तर्क दिए. उन्होंने कहा कि ये कॉलेज और उनको बदनाम करने की साजिश है. कॉलेज के सीसीटीवी में भी ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है. यूनिवर्सिटी के वीसी और कॉलेज के प्रिंसिपल भले ही अपने तर्कों से खुद का बचाव करते रहें, लेकिन उन्हें कम से कम उन दो नामों का ध्यान तो रखना ही चाहिए था, जिन्हें दुनिया उनकी शुचिता के लिए जानती है. जयप्रकाश नारायण जैसे नेता ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, इंदिरा गांधी की सत्ता को जड़ से हिला दिया और राजनीति में शुचिता स्थापित की. राजेंद्र प्रसाद ने भी राजनीति में सादगी की एक मिसाल कायम की थी. लेकिन इन दोनों लोगों के नाम पर बने विश्वविद्यालय और कॉलेज ने इन दोनों नामों पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. ये तस्वीरें इस बात की गवाह हैं.
Chhapra : Look at these pictures of examination, you will forget older pictures of cheating of Bihar