उस साल बहुत बड़ा अकाल पड़ा था. राजा ने ऋषियों से पूछा, क्या किया जाए. उनकी बात मानकर खेत में हल चलाने निकले. खेत में जमीन के अंदर एक बच्ची मिली. राजा उसे घर ले आए. वो बच्ची कहलाई सीता. राजा जनक की बेटी. राम की सीता. कहते हैं कि जहां सीता जमीन से निकली थीं, वहां आज भी एक कुंड है. इस कुंड का पता है सीतामढ़ी. बिहार का एक जिला. नेपाल की तराई के पास की एक जगह. मिथिलांचल के इसी हिस्से में का है वो परिवार. जिसमें पैदा हुई एक औरत हमारी इस खबर का सब्जेक्ट है. उसके बारे में एक लाइन में बताना हो, तो कहेंगे- वो केरल में ISIS की HR थी. अब जेल में है. 7 साल का सश्रम कारावास काट रही है. सश्रम मतलब जेल में खूब काम करना पड़ेगा.
बिहार से दुबई, दुबई से केरल
नाम, यास्मीन मुहम्मद जाहिद. उम्र, 30 बरस. यास्मीन का परिवार सीतामढ़ी से ताल्लुक रखता है. उसके अब्बा को सऊदी अरब में काम मिल गया. अब्बा के साथ अम्मी भी वहीं चली गईं. सऊदी में ही पैदा हुई यास्मीन. 2013 में यास्मीन की शादी हुई सईद अहमद से. फिर यास्मीन को केरल के मल्लपुरम में ‘पीस इंटरनैशनल’ में नौकरी मिल गई. जिसके कई स्कूल चलते हैं. इसी स्कूल में उसकी मुलाकात हुई अब्दुल रशीद अब्दुल्ला से. वो भी यहीं टीचर था. दोनों का काम बाकी टीचर्स को ट्रेनिंग देने का था. राशिद ने यास्मीन और सईद के साथ दोस्ती बढ़ाई. शुरू में कुछ दिन सब ठीक रहा. लेकिन फिर सईद और यास्मीन के बीच चीजें बिगड़ने लगीं. उनकी शादी चल नहीं पाई. दोनों अलग हो गए. सईद वापस सऊदी लौट गया, यास्मीन केरल में ही रह गई. वो और अब्दुल करीब आ गए. नजदीकियां बढ़ीं दोनों में. यास्मीन की अंग्रेजी अच्छी थी. एकदम फर्राटेदार अंग्रेजी. उसका धर्म में भी झुकाव था. शायद इसीलिए वो अब्दुल की तरफ खिंची. अब्दुल बेहद धार्मिक था. कट्टरपंथी था. उसका झुकाव आतंकवाद की तरफ था.
कुरान पढ़ाने के बहाने आतंकवादी बनाते थे
अब्दुल कुरान पढ़ाने के नाम पर जिहादी क्लासेज लेता था. वहां आने वाले लोगों को वो ब्रेनवॉश करता. अब्दुल केरल का था. यहां कासरगोड जिला है. वहीं का था अब्दुल. शादीशुदा था. उसकी बीवी का नाम था आयशा. आयशा का असली नाम है सोनिया सेबस्टियन. ईसाई परिवार में पैदा हुई. फिर अब्दुल से प्यार हुआ. उससे शादी कर ली. इस्लाम भी कबूल कर लिया और नाम रख लिया आयशा. जुलाई 2015 की बात होगी. अब्दुल और आयशा ने ISIS के लिए भर्तियां करने का काम शुरू किया. फंड भी जमा करते थे ये लोग. ये कुरान की क्लास बस बाहरी खोल था. असल में वो लोगों को फंसाते थे. उन्हें जिहाद के नाम पर आतंकवादी बनाते थे. वो लोगों से कहते – इस्लाम का एक नया खलीफा हुआ है. अबू बकर अल-बगदादी. दुनियाभर के मुसलमानों को उसके साथ हो जाना चाहिए. इसी में सुन्नत है.
मास्टरमाइंड था अब्दुल
अब्दुल कहता कि हिजरत और जिहाद मुसलमानों का फर्ज है. ये गुप्त क्लासेज थीं. यास्मीन भी इन क्लासेज में आती. अब तक वो और अब्दुल टीम बन गए थे. मास्टरमाइंड था अब्दुल रशीद अब्दुल्ला. इन्होंने मिलकर करीब 40 लोगों को अपने साथ मिलाया. इन 40 में से 21 तो बाहर चले गए. ISIS जॉइन करने. बाकी 19 भारत में रह गए. ज्यादातर एकदम जवान. 23, 24, 25 साल के युवा. 21 में से 17 तो अकेले कासरगोड के थे. बाकी चार पलक्कड़ से थे. जिन लोगों को रिक्रूट किया गया, उनमें डॉक्टर, इंजिनियर और मैनेजमेंट विशेषज्ञ भी थे. ये लोग इस्लामिक स्टेट (ISIS) के लिए भर्ती करती थी.
अब्दुल अफगानिस्तान गया, यास्मीन यहीं रह गई
ऐसे ही कामों के दम पर अब्दुल इस नेटवर्क में काफी ऊपर पहुंच गया. और फिर वो केरल से अफगानिस्तान पहुंच गया. आयशा भी उसके साथ गई. उनकी ढाई साल की बेटी सारा भी साथ थी. वहां जाकर अब्दुल और आयशा ने ISIS जॉइन कर लिया. यास्मीन केरल में ही रह गई. लेकिन रिक्रूट करने का काम न अब्दुल ने बंद किया और न ही यास्मीन ने. यास्मीन मेसेज वगैरह के सहारे अब्दुल के संपर्क में रही. अब्दुल अफगानिस्तान से पैसे भेजता. यास्मीन उन पैसों से यहां रिक्रूटिंग ऑपरेशन चलाती. अब्दुल सोशल मीडिया के सहारे ऑडियो भेजता. इसी से रिक्रूट करता. लोगों को बताता कि किस-किस तरह से जिहाद किया जा सकता है. कहता:
जहां हो, वहीं रहकर जिहाद करो. जहर का इस्तेमाल करो. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाकर ट्रक से लोगों को कुचल दो. तुम चाकू, रायफल या पिस्तौल के सहारे, जैसे चाहो वैसे, काफिरों का कत्ल कर सकते हो.
‘यहां आओगे, तो शादी हो जाएगी’
अब्दुल और यास्मीन लोगों का ब्रेनवॉश करते. उन्हें अफगानिस्तान जाकर ISIS में शामिल होने के लिए राजी करते. अब्दुल कहता कि अफगानिस्तान बहुत अच्छी जगह है. ISIS यहां शरीया के मुताबिक राज करता है. जो चीजें इस्लामिक हैं, वो होती हैं. जो इस्लामिक नहीं हैं, वो नहीं होती हैं. ये दोनों लोगों को कई तरह के झांसे भी देते थे. कहते कि खूबसूरत घर हैं. उनमें बिजली-पानी, सब आता है. बाजारों में हर चीज मिलती है. चॉकलेट, बिस्किट, मीट, सब्जियां. सब. आदमियों को औरतों का भी लालच दिया जाता. कहता कि वहां आए, तो शादी हो जाएगी.
काबुल जाते हुए पकड़ी गई थी
आपने केरल में चल रहे ISIS रिक्रूटमेंट केस के बारे में पढ़ा होगा. यास्मीन इसी केस से जुड़ी थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2016 में इस केस का भंडाफोड़ किया था. 30 जुलाई, 2016 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे पकड़ा था. दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर. वो देश छोड़कर भाग रही थी. काबुल जा रही थी. साथ में था उसका चार साल का छोटा सा बच्चा. जाने का मकसद था ‘हिजरत’ करना. हिजरत क्या होता है? पैगंबर मुहम्मद जब मदीना छोड़कर मक्का आए, तो उसको हिजरत का नाम दिया गया. हिजरत माने प्रवास. इस्लाम में इसको बड़ा पवित्र माना जाता है. यास्मीन के इस हिजरत का मकसद क्या था? अफगानिस्तान में सक्रिय ISIS से जाकर मिलना. यास्मीन पहले ही जाने वाली थी. 21 लोगों को लेकर. इन सबको ISIS में शामिल होना था. लेकिन हुआ ये कि बच्चे के पासपोर्ट में कुछ दिक्कत आ गई. और इसी वजह से यास्मीन को रुकना पड़ा.
जिस स्कूल में यास्मीन टीचर थी, उसे बंद कर दिया गया
कोझिकोड में एक संगठन है. पीस फाउंडेशन. ये संगठन स्कूल चलाता है. पीस इंटरनैशनल स्कूल के नाम से. करीब 10 स्कूल हैं. एरनाकुलम वाले स्कूल को बंद करने का ऐलान खुद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने किया. एरनाकुलम के जिलाधिकारी (DM) और शिक्षा विभाग ने भी इसके खिलाफ अपनी रिपोर्ट दी थी. पिछले कुछ समय से इस स्कूल की जांच चल रही थी. उसका सिलेबस और बाकी माहौल भी स्कैन किया जा रहा था. मालूम चला कि स्कूल के नाम पर ये कट्टरता कैंप था. घोर सांप्रदायिक. छोटे-छोटे बच्चों के दिमाग में नफरत बोते थे. स्कूलवाले न NCERT की किताबें पढ़ाते थे, न CBSE की किताबें पढ़ाते थे और न ही स्टेट बोर्ड की ही किताबें पढ़ाते थे. यहां बुरुज रियलाजेशन की किताबें पढ़ाई जाती थीं. ये महाराष्ट्र का एक इस्लामिक संगठन है. इसने ही इस स्कूल की किताबें तैयार कीं. महाराष्ट्र पुलिस ने इन किताबों को तैयार करने में शामिल रहे तीन लोगों को अरेस्ट भी किया था. एक और बात बताएं. बस यास्मीन नहीं थी, जो यहां टीचर थी. एक टाइम पर अब्दुल भी यहां पढ़ाया करता था. पीस इंटरनैशनल स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर का नाम है एम एम अकबर. वो दुबई रहता है. उसे भारत लाने की कोशिश चल रही है.
15 आरोपियों में से बस दो हाथ आए
इस ISIS रिक्रूटमेंट केस में NIA ने 15 लोगों को आरोपी बनाया था. इनमें से बस दो के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई. वजह ये कि बाकी 13 लोग अफगानिस्तान-सीरिया जा चुके हैं. उन 13 में से भी तीन अफगानिस्तान में मारे जा चुके हैं. NIA कैसे पहुंचा यास्मीन तक? उन टेक्स्ट मेसेज के रास्ते, जो यास्मीन और अब्दुल एक-दूसरे को भेजते थे. अरेस्ट किए जाने से करीब दो हफ्ते पहले यास्मीन के बैंक खाते में 2 लाख रुपये आए थे. सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर थी यास्मीन. पूछताछ के दौरान पता लगा कि अब्दुल ने यास्मीन से भी शादी कर ली थी. अफगानिस्तान में बैठे-बैठे. दोनों ने फोन पर एक-दूसरे के साथ शादी करना कबूल किया.
सजीर मंगलाचारी अब्दुल्ला
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, करीब 60 भारतीयों के ISIS जॉइन करने की पक्की खबर है. तादाद इससे ज्यादा भी बढ़ सकती है. इनमें से 22 तो सिर्फ केरल के हैं. अब्दुल के अलावा एक और रिक्रूटिंग मास्टरमाइंड का नाम सामने आया था. सजीर मंगलाचारी अब्दुल्ला. सजीर कोझिकोड का रहने वाला था. उसके पिता ट्रक चलाते थे. अप्रैल 2016 में उसने दुबई की फ्लाइट ली. दुबई से फिर वो अफगानिस्तान चला गया. उसने ISIS जॉइन कर लिया. अफगानिस्तान में एक नानगरहर प्रांत है. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि ये जगह एक ब्लैक होल जैसी है. आप यहां चले गए, तो गायब हो जाएंगे. फिर कोई आपको नहीं खोज सकता. सजीर और अब्दुल एक-दूसरे से जुड़े हुए थे. जिन लोगों को अब्दुल ने अफगानिस्तान भेजा था, उनके सफर का इंतजाम सजीर ने ही किया था.
अनपढ़ गुमराह नहीं थे, अपनी मर्जी से बने आतंकवादी
अब्दुल हो, सजीर हो, या फिर आयशा और यास्मीन. इनके बारे में सबसे परेशान करने वाली बात है उनका बैकग्राउंड. सब पढ़े-लिखे. वैसे बेचारे नहीं, जो बेवकूफ बनाकर आतंकवादी बना दिए जाते हैं. ये ऐसे सैंपल्स हैं, जो अपनी मर्जी और अपने झुकाव से इस रास्ते पर चलते हैं. अब्दुल की कई सारी ऑडियो रिकॉर्डिंग्स NIA के हाथ लगीं. वो इन्हें मेसेज की शक्ल में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजा करता था. अफगानिस्तान से. ऐसे ही एक मेसेज में उसने कहा था:
एक मुजाहिद की जिंदगी बहुत छोटी होती है. कुछ महीने भर की. इस कुर्बानी का इनाम जन्नत जाने पर मिलता है.
आपको इस लाइन के साथ छोड़े जाते हैं. ये लाइन कभी समझ नहीं आई. समझ नहीं आया कि कोई कैसे इतना मूर्ख हो सकता है? कि अभी जो सामने है, उस जिंदगी पर भरोसा न करे. उसे बेहतर बनाने की कोशिश न करे. बल्कि उस जन्नत (और उसमें मिलने वाले काल्पनिक सुखों) के पीछे भागे, जिसे कभी किसी ने नहीं देखा. कोई कैसे इतना मूर्ख हो सकता है कि ऐसे वादों के दम पर औरों को मार डाले! खुद मर जाए!
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