बिलेनियर अजय पीरामल के बेटे आनंद पीरामल सुर्खियों में हैं। असल में आनंद पीरामल दिसंबर में देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी के दामाद बनने जा रहे हैं। वैसे आनंद पीरामल सिर्फ अपनी शादी की खबरों से चर्चा में नहीं हैं। वह 10 अरब डॉलर के पीरामल ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं। इसके अलावा, वह पीरामल इंटरप्राइजेज के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्ट और पीरामल रीयल्टी के फाउंडर भी हैं।
आनंद पीरामल की खास बात है कि उनका इंटरेस्ट सिर्फ बिजनेस में ही नहीं, वह गरीबों की चिंता करते हैं। इसी की मिसाल है पीरामल ई-स्वास्थ्य, जिसके जरिए देश के आम आदमी का इलाज महज 30 से 50 रुपए में भी हो जाता है।
क्या है पीरामल ई-स्वास्थ्य : असल में आनंद पीरामल ने अपने पिता का बिजनेस ज्वॉइन करने के पहले पीरामल ई-स्वास्थ्य नाम से स्टार्टअप्स शुरू किया था। ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार स्टार्टअप्स का उद्देश्य था कि जिन इलाकों में डॉक्टर्स की सुविधा नहीं है, उन इलाके में रहने वालों के इलाज में अड़चन न आए। यह एक तरह से टेलिमेडिसन की देश में शुरूआत थी।
यह एक ऐसा सेंटर है, जहां आकर आम आदमी टेलिफोन के जरिए डॉक्टर से अपनी बीमारी बताकर उसका समाधान कर सकता है। इसके बदले डॉक्टर उसे दवाएं बताता है, जो उस सेंटर पर कम से कम कीमत पर उपलब्ध हो जाती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन सब के लिए महज 30 से 50 रुपए ही खर्च आता है।
राजस्थान के चुरू जिले से हुई शुरुआत : पीरामल ई-स्वास्थ्य की शुरुआत 2008 में राजस्थान के चुरू जिले के एक गांव से हुई थी, जहां जरूरत पड़ने पर आम आदमी का इलाज नहीं हो पाता था। इलाज के लिए उसे लंबी दूरी तय कर शहर या दूसरे कस्बे में जाना पड़ता था। यह एक तरह से ग्रामीण स्टार्टअप्स था।
एक तरह से कॉल सेंटर : पीरामल ई-स्वास्थ्य केंद्र पर हेल्थ केयर वर्कर्स होते हैं। वह मरीजों की सारी समस्या सुनने के बाद टेलिफोन के जरिए डॉक्टर से सारी समस्या के बारे में बात करते हैं। अगर कोई रिपोर्ट है तो उसकी भी जानकारी दी जाती है। इसके बदले डॉक्टर उचित सलाह देते हैं। अगर दवा से बीमारी ठीक हो सकती है तो दवा बताई जाती है, जो उस केंद्र पर ही कम कीमत में मिल जाती है। वहीं, अगर बीमारी गंभीर है तो उसे किसी अस्पताल में जाकर इलाज के लिए कहा जाता है।
40 हजार से ज्यादा रोगियों का इलाज : पीरामल ई-स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए आज 40 हजार मरीजों का इलाज हो रहा है। इसके केंद्र 200 से ज्यादा गांवों में हें, जहां ग्रामीण लेवल की फॉर्मेसी भी है।