हे ईश्वर मालिक हे दाता, हे जगत् नियंता दिन बन्धु!
हे परमेश्वर प्रभु हे भगवन्, हे प्रतिपपालक हे दया सिन्धु!!
सच्चिदानंद घट घट वासी, हे सुखराशि करुणावतार!
हे विघ्न हर्न मंगल मूर्त, हे शक्ति रूप हे गुणागार!!
सभ्यता यशश्वी हो जाए, मानवता का फैले प्रकाश!
सब दिव्य दृष्टि के पोषक हो, कर दो कुदृष्टि का सर्व् नाश!!
इतिहास गड़े जाएँ प्रतिपल, पृष्ठों में अकलंकता रहे!
सज्जनता का अनुशीलन हो, मानव हो पथ का पता रहे!!
हर एक बालिका विदुषी हो, हर बालक नीति निधान रहे!
फ़ैराये तिरंगा अंबर तक, माँ का धानी परिधान रहे!!
कविता चाहेगी धरती पर, संस्क्रतियों का सम्मान रहे!
जब तक सूरज चंदा चमके, तब तक ये हिंदुस्तान रहे!!
-कविता तिवारी