मछली खाने – खिलाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए है . बिना देरी तुरंत जाग जाइए . बिहार सरकार ने निर्णय कर लिया है . सोमवार एक अक्तूबर से आंध्र प्रदेश से आने वाली मछली की बिक्री पर रोक लगा दी गई है .
बताया गया है कि आंध्र प्रदेश से आने वाली मछलियों के खाने से कैंसर होने का खतरा उत्पन्न हो रहा था . इसे कंफर्म करने को लैब टेस्टिंग कराई गई थी .
आंध्र की मछलियों पर रोक
बिहार के पशु व मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस के हवाले से मीडिया को आंध्र प्रदेश से बिहार आ रही मछलियों को लेकर जरुरी जानकारी दी गई है . मंत्री पारस ने ही बताया है कि सोमवार एक अक्तूबर सेआंध्र प्रदेश से आने वाली मछली की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया गया है . इसके संबंध में आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं .
दरअसल, मामला यह है कि आंध्र प्रदेश से बिहार आने वाली मछलियों में केमिकल फार्मेलिन पाया गया है . केमिकल फार्मेलिन का इस्तेमाल मछलियों को अधिक दिनों तक प्रीजर्व रखने के लिए किया जा रहा है आंध्र प्रदेश के कारोबारियों द्वारा .
होता यह है कि आंध्र प्रदेश से मछलियों को लाने में सड़क मार्ग से कई दिन लग जाते हैं . ऐसे में, इसे प्रीजर्व रखने को केमिकल फार्मेलिन का प्रयोग किया जा रहा था .
हो सकता है कैंसर का खतरा !
बिहार सरकार को मछली में केमिकल फार्मेलिन के प्रयोग की शिकायतें मिली थीं . यह फार्मेलिन हमारे – आपके भीतर कैंसर रोग की संभावनाओं को जन्म देता है . जानकारी के बाद फार्मेलिन के माध्यम प्रीजर्व कर आंध्र प्रदेश से बिहार लाई जा रही मछलियों को लैब टेस्टिंग के लिए कोलकाता और सीएफआरआई की कोचीन लैबोरेटरी में भेजा गया . लैब टेस्टिंग की मिली रिपोर्ट में शिकायतें सही पाई गईं हैं .
आपकी जानकारी को प्रतिवर्ष 6.42 लाख टन मछली की खपत है . यह प्रत्येक साल बढ़ ही रहा है . साल 2017 – 2018 में खपत 5.87 लाख टन था . जानकारी के मुताबिक इनमें से कोई 50 हजार से 60 हजार टन मछली सीधे आंध्र प्रदेश से आती है .
आंध्र प्रदेश से बिहार आने वाली मछली का कारोबार भी अरबों का है . सो, आखिरी बात यह कि यदि आप अपनी सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं और कैंसर जैसी भयानक बीमारी से बचना चाहते हैं, तो आंध्र प्रदेश से बिहार आ रही मछलियों को खाना – खिलाना तुरंत बंद कर दीजिए .
Source: Live Cities News