AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह देश का अंदरूनी मामला है. हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने यहां के मक्का मस्जिद में कहा, ''यह हमारे देश की संप्रभुता का मामला है. यह भारत का मामला है, मैं अंतिम सांस तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करूंगा लेकिन जब देश की बात आएगी तो हम सरकार का समर्थन करेंगे चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो.'' उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट 14 जून को जारी की और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने 49 पेज की अपनी रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर (कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख क्षेत्र) और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (आजाद जम्मू कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान) दोनों पर गौर किया.
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से शांतिपूर्वक काम करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंक रोधी कानूनों का दुरूपयोग रोकने और असंतोष की आवाज के दमन को भी बंद करने को कहा. रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य में लागू सशस्त्र बल (जम्मू कश्मीर) विशेषाधिकार अधिनियम, 1990 (आफस्पा) और जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम, 1978 जैसे विशेष कानूनों ने सामान्य विधि व्यवस्था में बाधा, जवाबदेही में अड़चन और मानवाधिकार उल्लंघनों के पीड़ितों के लिए उपचारात्मक अधिकार में दिक्कत पैदा की है.
इसमें 2016 से सुरक्षा बलों द्वारा कथित अत्याचार की घटनाओं और प्रदर्शनों की जानकारी मौजूद है. संयुक्त राष्ट्र संस्था ने कहा कि उसकी रिपोर्ट के निष्कर्ष के आधार पर, कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों की विस्तृत निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच कराने के लिए जांच आयोग गठित होना चाहिए. संस्था ने पाकिस्तान से उसके कब्जे वाले कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से सम्मान करने को कहा.
भारत की तीखी प्रतिक्रिया
रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने इस रिपोर्ट को ‘भ्रामक और प्रेरित' बताकर खारिज कर दिया. नई दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र में अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि सरकार ''इस बात से गहरी चिंता में है कि संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था की विश्वसनीयता को कमतर करने के लिए निजी पूर्वाग्रह को आगे बढ़ाया जा रहा है.''
पीओके के लिए ''आजाद जम्मू-कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान'' जैसे शब्द प्रयोग करने पर संयुक्त राष्ट्र पर आपत्ति जताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, ''रिपोर्ट में भारतीय भूभाग का गलत वर्णन शरारतपूर्ण, गुमराह करने वाला और अस्वीकार्य है. 'आजाद जम्मू-कश्मीर' और ' गिलगित बाल्टिस्तान' जैसा कुछ नहीं है.''
विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों वाले बयान में कहा कि यह रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है. सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. पाकिस्तान ने आक्रमण के जरिये भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह तथ्य परेशान करने वाला है कि रिपोर्ट बनाने वालों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान वाले और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठनों को '' हथियारबंद संगठन'' और आतंकवादियों को ''नेता'' बताया है. उन्होंने कहा कि यह आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर संयुक्त राष्ट्र की आम सहमति को कमतर करता है.