भारतीय रेलवे की जय हो. इतनी अद्भुत कहानी सामने आई है कि जय हो कहने के सिवाए कुछ और मुख से निकलता नहीं है. कुछ दिन पहले जापान रेलवे की खबर सुनी थी कि ट्रेन एक मिनट लेट हुई और तमाम रेलवे अधिकारियों ने सामूहिक माफीनामा जारी किया. यानी समय की इतनी अहमियत कि हम भारतीय इस पर शर्मा जाएं.
मगर यहां इंडिया में एक मालगाड़ी 2014 में अपनी मंजिल की ओर चली और 2018 में पहुंची. 3.5 साल लग गए किसी की डिलीवरी पहुंचाने में. अब रेलवे इस पर माफीनामा भी दे तो कैसे. असल में हुआ ये है कि आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम से उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाली मालगाड़ी में इंडियन पोटाश लिमिटेड नाम की कंपनी ने यूपी के बस्ती जिले के लिए किसी ऑर्डर पर खाद भेजी. 1400 किलोमीटर का सफर तय करके इसे बस्ती तक पहुंचना था. उस खाद की कीमत 10 लाख रुपए थी. उधर नवंबर 2014 में जब ये डिलीवरी बस्ती तक नहीं पहुंची तो उसके मालिक ने इंडियन रेलवे से संपर्क किया. मगर रेलवे इस पार्सल को ट्रैक ही नहीं कर पाई. खाद वाले ये डिब्बे स्टेशन दर स्टेशन घूमते रहे. अब 3.5 साल बाद ये ट्रेन खाद के साथ बस्ती के स्टेशन पर पहुंच चुके हैं जिसमें भरी खाद खराब भी हो चुकी है और इनके मालिक रामचंद्र गुप्ता ने इन्हें लेने से मना कर दिया है.
इनका कहना है कि 3.5 साल में रेलवे को कई बार रीमांइडर भेजे मगर उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था. अब ये खाद खराब हो चुकी है औऱ रेलवे इसकी भरपाई करे. वहीं उत्तर-पूर्वी रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर संजय यादव कहते हैं कि इस मामले की जांच की जा रही है. अगर किसी डिब्बे में कभी कोई दिक्कत आ जाती है तो उसे ट्रेन से हटा दिया जाता है. इस डिब्बे के साथ भी यही हुआ था जिसके चलते इतनी देरी हुई.
जो भी हुआ हो, ये भारतीय रेलवे की उस लापरवाही और सरकारी उदासीनता का सबसे बड़ा उदाहरण है जिससे हमारा सिस्टम सदियों से जूझ रहा है.
Indian Train carrying goods reaches it destination after 3.5 years of its departure