ईश्वर ने इस धरती को रचा है | और ईश्वर द्वारा बनायी गयी सबसे अच्छी खोज थी इन्सान | जिसमे ईश्वर ने बल के साथ-साथ बुद्धि भी डाली थी | ताकि बेजुबान पशु पक्षी सभी की मदद कर सके इंसान | किंतु कलयुग का जैसे जैसे वर्चसव बढ़ रहा है | उसी को देखते हुये आज का कलयुग इन्सान हर वो काम कर रहा है | शायद जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती थी | "जिन पशु पक्षी को उसे सहेज कर रखना चाहिये था उन्ही को आज वो खा रहा है |व अपना शिकार बना रहा है व दिवारों पर अपने शौकीन के लिये उन्हें टांग रहा है | अपने ही स्वार्थ के लिये इंसान आज प्रकर्ति का भी दुश्मन बन बैठा है | जहां निरंतर वृक्षों की कटाई अपने स्वार्थ के लिये लगातार जारी है | अगर आज इंसान किसी की मदद करता भी है तो भी उसके पीछे कोई न कोई स्वार्थ ही छिपा रहता है | "आलम तो इस बात का भी है जिन पवित्र स्थलों पर इंसान अपनी श्रद्दा के लिये शीश झुकाता है | आज उसी को ही इंसान ने मौज मस्ती व पिकनिक बना दिया है |
अगर इन्सान की इंसानियत ऐसी ही चलती रही तो वो दिन भी दूर नही जब इंसान को बनाने वाला भगवान इस धरती पर प्रलय का ऐसा तांडव मचायेगा की सब कुछ समाप्त हो जायेगा |